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۲-سموئیل 5:7 - किताबे-मुक़द्दस

7 तो भी दाऊद ने सिय्यून के क़िले पर क़ब्ज़ा कर लिया जो आजकल ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

7 تاہم داویؔد نے صِیّونؔ کے قلعہ پر قبضہ کر لیا۔ اُسے اَب داویؔد کا شہر کہتے ہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

7 تَو بھی داؤُد نے صِیُّون کا قلعہ لے لِیا۔ وُہی داؤُد کا شہر ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

7 توبھی داؤد نے صیون کے قلعے پر قبضہ کر لیا جو آج کل ’داؤد کا شہر‘ کہلاتا ہے۔

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۲-سموئیل 5:7
27 حوالہ جات  

फिर दाऊद मरकर अपने बापदादा से जा मिला। उसे यरूशलम के उस हिस्से में दफ़न किया गया जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है।


रब का संदूक़ दाऊद के शहर में दाख़िल हुआ तो दाऊद की बीवी मीकल बिंत साऊल खिड़की में से जुलूस को देख रही थी। जब बादशाह रब के हुज़ूर कूदता और नाचता हुआ नज़र आया तो मीकल ने दिल में उसे हक़ीर जाना।


एक दिन दाऊद को इत्तला दी गई, “जब से अल्लाह का संदूक़ ओबेद-अदोम के घर में है उस वक़्त से रब ने उसके घराने और उस की पूरी मिलकियत को बरकत दी है।” यह सुनकर दाऊद ओबेद-अदोम के घर गया और ख़ुशी मनाते हुए अल्लाह के संदूक़ को दाऊद के शहर ले आया।


फिर मैंने देखा कि लेला मेरे सामने ही सिय्यून के पहाड़ पर खड़ा है। उसके साथ 1,44,000 अफ़राद खड़े थे जिनके माथों पर उसका और उसके बाप का नाम लिखा था।


नहीं, आप सिय्यून पहाड़ के पास आ गए हैं, यानी ज़िंदा ख़ुदा के शहर आसमानी यरूशलम के पास। आप बेशुमार फ़रिश्तों और जशन मनानेवाली जमात के पास आ गए हैं,


यह बात कलामे-मुक़द्दस में लिखी भी है, “देखो मैं सिय्यून में एक पत्थर रख देता हूँ जो ठोकर का बाइस बनेगा, एक चट्टान जो ठेस लगने का सबब होगी। लेकिन जो उस पर ईमान लाएगा उसे शरमिंदा नहीं किया जाएगा।”


और बेशुमार क़ौमें आकर कहेंगी, “आओ, हम रब के पहाड़ पर चढ़कर याक़ूब के ख़ुदा के घर के पास जाएँ ताकि वह हमें अपनी मरज़ी की तालीम दे और हम उस की राहों पर चलें।” क्योंकि सिय्यून पहाड़ से रब की हिदायत निकलेगी, और यरूशलम से उसका कलाम सादिर होगा।


रब फ़रमाता है, “छुड़ानेवाला कोहे-सिय्यून पर आएगा। वह याक़ूब के उन फ़रज़ंदों के पास आएगा जो अपने गुनाहों को छोड़कर वापस आएँगे।”


ऐ यरूशलम की रहनेवाली, शादियाना बजाकर ख़ुशी के नारे लगा! क्योंकि इसराईल का क़ुद्दूस अज़ीम है, और वह तेरे दरमियान ही सुकूनत करता है।”


क्योंकि रब ने कोहे-सिय्यून को चुन लिया है, और वही वहाँ सुकूनत करने का आरज़ूमंद था।


रब सिय्यून के दरवाज़ों को याक़ूब की दीगर आबादियों से कहीं ज़्यादा प्यार करता है।


अपनी मेहरबानी का इज़हार करके सिय्यून को ख़ुशहाली बख़्श, यरूशलम की फ़सील तामीर कर।


सिय्यून के इर्दगिर्द घूमो फिरो, उस की फ़सील के साथ साथ चलकर उसके बुर्ज गिन लो।


रब की तमजीद में गीत गाओ जो सिय्यून पहाड़ पर तख़्तनशीन है, उम्मतों में वह कुछ सुनाओ जो उसने किया है।


वह फ़रमाता है, “मैंने ख़ुद अपने बादशाह को अपने मुक़द्दस पहाड़ सिय्यून पर मुक़र्रर किया है!”


उसे यरूशलम के उस हिस्से में शाही क़ब्रिस्तान में दफ़नाया गया जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है, क्योंकि उसने इसराईल में अल्लाह और उसके घर की अच्छी ख़िदमत की थी।


फिर सुलेमान ने इसराईल के तमाम बुज़ुर्गों और क़बीलों और कुंबों के तमाम सरपरस्तों को अपने पास यरूशलम में बुलाया, क्योंकि रब के अहद का संदूक़ अब तक यरूशलम के उस हिस्से में था जो ‘दाऊद का शहर’ या सिय्यून कहलाता है। सुलेमान चाहता था कि क़ौम के नुमाइंदे हाज़िर हों जब संदूक़ को वहाँ से रब के घर में पहुँचाया जाए।


यरूशलम पर फ़तह पाने के बाद दाऊद क़िले में रहने लगा। उसने उसे ‘दाऊद का शहर’ क़रार दिया


फिर सुलेमान ने इसराईल के तमाम बुज़ुर्गों और क़बीलों और कुंबों के तमाम सरपरस्तों को अपने पास यरूशलम में बुलाया, क्योंकि रब के अहद का संदूक़ अब तक यरूशलम के उस हिस्से में था जो ‘दाऊद का शहर’ या सिय्यून कहलाता है। सुलेमान चाहता था कि क़ौम के नुमाइंदे हाज़िर हों जब संदूक़ को वहाँ से रब के घर में पहुँचाया जाए।


सुलेमान फ़िरौन की बेटी से शादी करके मिसरी बादशाह का दामाद बन गया। शुरू में उस की बीवी शहर के उस हिस्से में रहती थी जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता था। क्योंकि उस वक़्त नया महल, रब का घर और शहर की फ़सील ज़ेरे-तामीर थे।


चुनाँचे उसने फ़ैसला किया कि हम रब का संदूक़ यरूशलम नहीं ले जाएंगे बल्कि उसे ओबेद-अदोम जाती के घर में महफ़ूज़ रखेंगे।


यरूशलम पर फ़तह पाने के बाद दाऊद क़िले में रहने लगा। उसने उसे ‘दाऊद का शहर’ क़रार दिया और उसके इर्दगिर्द शहर को बढ़ाने लगा। यह तामीरी काम इर्दगिर्द के चबूतरों से शुरू हुआ और होते होते क़िले तक पहुँच गया।


जिस दिन उन्होंने शहर पर हमला किया उसने एलान किया, “जो भी यबूसियों पर फ़तह पाना चाहे उसे पानी की सुरंग में से गुज़रकर शहर में घुसना पड़ेगा ताकि उन लँगड़ों और अंधों को मारे जिनसे मेरी जान नफ़रत करती है।” इसलिए आज तक कहा जाता है, “लँगड़ों और अंधों को घर में जाने की इजाज़त नहीं।”


जब फ़िरौन की बेटी यरूशलम के पुराने हिस्से बनाम ‘दाऊद का शहर’ से उस महल में मुंतक़िल हुई जो सुलेमान ने उसके लिए तामीर किया था तो वह इर्दगिर्द के चबूतरे बनवाने लगा।


रब फ़रमाता है कि ऐ यरूशलम, तू वादी के ऊपर ऊँची चट्टान पर रहकर फ़ख़र करती है कि कौन हम पर हमला करेगा, कौन हमारे घरों में घुस सकता है? लेकिन अब मैं ख़ुद तुझसे निपट लूँगा।


चश्मे के दरवाज़े की तामीर सल्लून बिन कुलहोज़ा के हाथ में थी जो ज़िले मिसफ़ाह का अफ़सर था। उसने दरवाज़े पर छत बनाकर उसके किवाड़, चटख़नियाँ और कुंडे लगा दिए। साथ साथ उसने फ़सील के उस हिस्से की मरम्मत की जो शाही बाग़ के पासवाले तालाब से गुज़रता है। यह वही तालाब है जिसमें पानी नाले के ज़रीए पहुँचता है। सल्लून ने फ़सील को उस सीढ़ी तक तामीर किया जो यरूशलम के उस हिस्से से उतरती है जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है।


अल्लाह उसके महलों में है, वह उस की पनाहगाह साबित हुआ है।


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