25 फिर दाऊद सदोक़ से मुख़ातिब हुआ, “अल्लाह का संदूक़ शहर में वापस ले जाएँ। अगर रब की नज़रे-करम मुझ पर हुई तो वह किसी दिन मुझे शहर में वापस लाकर अहद के संदूक़ और उस की सुकूनतगाह को दुबारा देखने की इजाज़त देगा।
25 تَب بادشاہ نے صدُوقؔ سے کہا، ”خُدا کے صندُوق کو واپس شہر میں لے جا۔ اگر مُجھ پر یَاہوِہ کی نظرِکرم ہوگی تو وہ مُجھے واپس لے آئے گا اَور موقع دے گا کہ میں اِسے اَور اِس کی قِیام گاہ کو پھر سے دیکھ سکوں۔
25 تب بادشاہ نے صدُوؔق سے کہا کہ خُدا کا صندُوق شہر کو واپس لے جا۔ پس اگر خُداوند کے کرم کی نظر مُجھ پر ہو گی تو وہ مُجھے پِھر لے آئے گا اور اُسے اور اپنے مسکن کو مُجھے پِھر دِکھائے گا۔
25 پھر داؤد صدوق سے مخاطب ہوا، ”اللہ کا صندوق شہر میں واپس لے جائیں۔ اگر رب کی نظرِ کرم مجھ پر ہوئی تو وہ کسی دن مجھے شہر میں واپس لا کر عہد کے صندوق اور اُس کی سکونت گاہ کو دوبارہ دیکھنے کی اجازت دے گا۔
“ऐ यरमियाह, उन्हें यह तमाम पेशगोइयाँ सुनाकर बता कि रब बुलंदियों से दहाड़ेगा। उस की मुक़द्दस सुकूनतगाह से उस की कड़कती आवाज़ निकलेगी, वह ज़ोर से अपनी चरागाह के ख़िलाफ़ गरजेगा। जिस तरह अंगूर का रस निकालनेवाले अंगूर को रौंदते वक़्त ज़ोर से नारे लगाते हैं उसी तरह वह नारे लगाएगा, अलबत्ता जंग के नारे। क्योंकि वह दुनिया के तमाम बाशिंदों के ख़िलाफ़ जंग के नारे लगाएगा।
तेरी बारगाहों में एक दिन किसी और जगह पर हज़ार दिनों से बेहतर है। मुझे अपने ख़ुदा के घर के दरवाज़े पर हाज़िर रहना बेदीनों के घरों में बसने से कहीं ज़्यादा पसंद है।
मूसा ने रब से कहा, “देख, तू मुझसे कहता आया है कि इस क़ौम को कनान ले चल। लेकिन तू मेरे साथ किस को भेजेगा? तूने अब तक यह बात मुझे नहीं बताई हालाँकि तूने कहा है, ‘मैं तुझे बनाम जानता हूँ, तुझे मेरा करम हासिल हुआ है।’
अगर मुझे वाक़ई तेरा करम हासिल है तो मुझे अपने रास्ते दिखा ताकि मैं तुझे जान लूँ और तेरा करम मुझे हासिल होता रहे। इस बात का ख़याल रख कि यह क़ौम तेरी ही उम्मत है।”