23 दो साल गुज़र गए। अबीसलूम की भेड़ें इफ़राईम के क़रीब के बाल-हसूर में लाई गईं ताकि उनके बाल कतरे जाएँ। इस मौक़े पर अबीसलूम ने बादशाह के तमाम बेटों को दावत दी कि वह वहाँ ज़ियाफ़त में शरीक हों।
23 دو سال بعد جَب اَبشالومؔ کی بھیڑوں کے بال کترنے والے اِفرائیمؔ کی سرحد کے نزدیک بَعل حَصورؔ میں تھے تو اُس نے بادشاہ کے سَب بیٹوں کو وہاں آنے کی دعوت دی۔
23 اور اَیسا ہُؤا کہ پُورے دو سال کے بعد بھیڑوں کے بال کُترنے والے ابی سلوؔم کے ہاں بعل حصوؔر میں تھے جو اِفرائِیم کے پاس ہے اور ابی سلوؔم نے بادشاہ کے سب بیٹوں کو دعوت دی۔
23 دو سال گزر گئے۔ ابی سلوم کی بھیڑیں افرائیم کے قریب کے بعل حصور میں لائی گئیں تاکہ اُن کے بال کترے جائیں۔ اِس موقع پر ابی سلوم نے بادشاہ کے تمام بیٹوں کو دعوت دی کہ وہ وہاں ضیافت میں شریک ہوں۔
उसने बयाबान में भी बुर्ज तामीर किए और साथ साथ पत्थर के बेशुमार हौज़ तराशे, क्योंकि मग़रिबी यहूदाह के नशेबी पहाड़ी इलाक़े और मैदानी इलाक़े में उसके बड़े बड़े रेवड़ चरते थे। बादशाह को काश्तकारी का काम ख़ास पसंद था। बहुत लोग पहाड़ी इलाक़ों और ज़रख़ेज़ वादियों में उसके खेतों और अंगूर के बाग़ों की निगरानी करते थे।
मोआब का बादशाह मेसा भेड़ें रखता था, और सालाना उसे भेड़ के एक लाख बच्चे और एक लाख मेंढे उनकी ऊन समेत इसराईल के बादशाह को ख़राज के तौर पर अदा करने पड़ते थे।
क्योंकि आज उसने ऐन-राजिल जाकर बहुत-से गाय-बैल, मोटे-ताज़े बछड़े और भेड़-बकरियों को ज़बह किया है। ज़ियाफ़त के लिए उसने तमाम शहज़ादों, तमाम फ़ौजी अफ़सरों और अबियातर इमाम को दावत दी है। इस वक़्त वह उसके साथ खाना खा खाकर और मै पी पीकर नारा लगा रहे हैं, ‘अदूनियाह बादशाह ज़िंदाबाद!’
उसने ज़ियाफ़त के लिए बहुत-से गाय-बैल, मोटे-ताज़े बछड़े और भेड़-बकरियाँ ज़बह करके तमाम शहज़ादों को दावत दी है। अबियातर इमाम और फ़ौज का कमाँडर योआब भी इनमें शामिल हैं, लेकिन आपके ख़ादिम सुलेमान को दावत नहीं मिली।
एक दिन अदूनियाह ने ऐन-राजिल चश्मे के क़रीब की चट्टान ज़ुहलत के पास ज़ियाफ़त की। काफ़ी भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल और मोटे-ताज़े बछड़े ज़बह किए गए। अदूनियाह ने बादशाह के तमाम बेटों और यहूदाह के तमाम शाही अफ़सरों को दावत दी थी।
जब अबीजेल अपने घर पहुँची तो देखा कि बहुत रौनक़ है, क्योंकि नाबाल बादशाह की-सी ज़ियाफ़त करके ख़ुशियाँ मना रहा था। चूँकि वह नशे में धुत था इसलिए अबीजेल ने उसे उस वक़्त कुछ न बताया।
सुना है कि भेड़ों के बाल कतरने का वक़्त आ गया है। करमिल में आपके चरवाहे हमेशा हमारे साथ रहे। उस पूरे अरसे में न उन्हें हमारी तरफ़ से कोई नुक़सान पहुँचा, न कोई चीज़ चोरी हुई।
मऊन में कालिब के ख़ानदान का एक आदमी रहता था जिसका नाम नाबाल था। वह निहायत अमीर था। करमिल के क़रीब उस की 3,000 भेड़ें और 1,000 बकरियाँ थीं। बीवी का नाम अबीजेल था। वह ज़हीन भी थी और ख़ूबसूरत भी। उसके मुक़ाबले में नाबाल सख़्तमिज़ाज और कमीना था। एक दिन नाबाल अपनी भेड़ों के बाल कतरने के लिए करमिल आया। जब दाऊद को ख़बर मिली