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۲-سلاطین 8:7 - किताबे-मुक़द्दस

7 एक दिन इलीशा दमिश्क़ आया। उस वक़्त शाम का बादशाह बिन-हदद बीमार था। जब उसे इत्तला मिली कि मर्दे-ख़ुदा आया है

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

7 اَور الِیشعؔ دَمشق کو روانہ ہویٔے۔ اُس وقت شاہِ ارام بِن ہددؔ بیمار تھا۔ جَب بادشاہ کو اِطّلاع کیا گیا، ”مَرد خُدا یہاں تشریف لایٔے ہیں۔“

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کِتابِ مُقادّس

7 اور الِیشع دؔمشق میں آیا اور شاہِ اراؔم بِن ہدد بِیمار تھا اور اُس کو خبر ہُوئی کہ وہ مَردِ خُدا اِدھر آیا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

7 ایک دن الیشع دمشق آیا۔ اُس وقت شام کا بادشاہ بن ہدد بیمار تھا۔ جب اُسے اطلاع ملی کہ مردِ خدا آیا ہے

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۲-سلاطین 8:7
18 حوالہ جات  

कुछ देर के बाद शाम का बादशाह बिन-हदद अपनी पूरी फ़ौज जमा करके इसराईल पर चढ़ आया और सामरिया का मुहासरा किया।


कुछ आदमियों को अपने गिर्द जमा किया और डाकुओं के जत्थे का सरग़ना बन गया। जब दाऊद ने ज़ोबाह को शिकस्त दे दी तो रज़ून अपने आदमियों के साथ दमिश्क़ गया और वहाँ आबाद होकर अपनी हुकूमत क़ायम कर ली।


एक दिन शाम के बादशाह बिन-हदद ने अपनी पूरी फ़ौज को जमा किया। 32 इत्तहादी बादशाह भी अपने रथों और घोड़ों को लेकर आए। इस बड़ी फ़ौज के साथ बिन-हदद ने सामरिया का मुहासरा करके इसराईल से जंग का एलान किया।


लेकिन वह वहाँ नहीं थे, इसलिए वह यासोन और चंद एक और ईमानदार भाइयों को शहर के मजिस्ट्रेटों के सामने लाए। उन्होंने चीख़कर कहा, “यह लोग पूरी दुनिया में गड़बड़ पैदा कर रहे हैं और अब यहाँ भी आ गए हैं।


क्योंकि शाम का सर दमिश्क़ और दमिश्क़ का सर महज़ रज़ीन है। जहाँ तक मुल्के-इसराईल का ताल्लुक़ है, 65 साल के अंदर अंदर वह चकनाचूर हो जाएगा, और क़ौम नेस्तो-नाबूद हो जाएगी।


किसी अफ़सर ने जवाब दिया, “मेरे आक़ा और बादशाह, हममें से कोई नहीं है। मसला यह है कि इसराईल का नबी इलीशा इसराईल के बादशाह को वह बातें भी बता देता है जो आप अपने सोने के कमरे में बयान करते हैं।”


यरीहू से आए नबी अब तक दरिया के मग़रिबी किनारे पर खड़े थे। जब उन्होंने इलीशा को अपने पास आते हुए देखा तो पुकार उठे, “इलियास की रूह इलीशा पर ठहरी हुई है!” वह उससे मिलने गए और औंधे मुँह उसके सामने झुककर


बिन-हदद ने अख़ियब से कहा, “मैं आपको वह तमाम शहर वापस कर देता हूँ जो मेरे बाप ने आपके बाप से छीन लिए थे। आप हमारे दारुल-हुकूमत दमिश्क़ में तिजारती मराकिज़ भी क़ायम कर सकते हैं, जिस तरह मेरे बाप ने पहले सामरिया में किया था।” अख़ियब बोला, “ठीक है। इसके बदले में मैं आपको रिहा कर दूँगा।” उन्होंने मुआहदा किया, फिर अख़ियब ने शाम के बादशाह को रिहा कर दिया।


जवाब में आसा ने शाम के बादशाह बिन-हदद के पास वफ़द भेजा। बिन-हदद का बाप ताबरिम्मोन बिन हज़यून था, और उसका दारुल-हुकूमत दमिश्क़ था। आसा ने रब के घर और शाही महल के ख़ज़ानों का तमाम बचा हुआ सोना और चाँदी वफ़द के सुपुर्द करके दमिश्क़ के बादशाह को पैग़ाम भेजा,


वह अभी क़ुरबानगाह के पास खड़ा अपनी क़ुरबानियाँ पेश करना ही चाहता था कि एक मर्दे-ख़ुदा आन पहुँचा। रब ने उसे यहूदाह से बैतेल भेज दिया था।


जब शहर के बाशिंदों को इत्तला मिली कि समसून शहर में है तो उन्होंने कसबी के घर को घेर लिया। साथ साथ वह रात के वक़्त शहर के दरवाज़े पर ताक में रहे। फ़ैसला यह हुआ, “रात के वक़्त हम कुछ नहीं करेंगे, जब पौ फटेगी तब उसे मार डालेंगे।”


मरने से पेशतर मर्दे-ख़ुदा मूसा ने इसराईलियों को बरकत देकर


वहाँ उसने अपने बंदों को गुरोहों में तक़सीम करके रात के वक़्त दुश्मन पर हमला किया। दुश्मन शिकस्त खाकर भाग गया और अब्राम ने दमिश्क़ के शिमाल में वाक़े ख़ूबा तक उसका ताक़्क़ुब किया।


सामरिया के शाही महल के बालाख़ाने की एक दीवार में जंगला लगा था। एक दिन अख़ज़ियाह बादशाह जंगले के साथ लग गया तो वह टूट गया और बादशाह ज़मीन पर गिरकर बहुत ज़ख़मी हुआ। उसने क़ासिदों को फ़िलिस्ती शहर अक़रून भेजकर कहा, “जाकर अक़रून के देवता बाल-ज़बूब से पता करें कि मेरी सेहत बहाल हो जाएगी कि नहीं।”


तो कुछ देर के बाद इलीशा का नौकर जैहाज़ी सोचने लगा, “मेरे आक़ा ने शाम के इस बंदे नामान पर हद से ज़्यादा नरमदिली का इज़हार किया है। चाहिए तो था कि वह उसके तोह्फ़े क़बूल कर लेता। रब की हयात की क़सम, मैं उसके पीछे दौड़कर कुछ न कुछ उससे ले लूँगा।”


बादशाह ने औरत से सवाल किया, “क्या यह सहीह है?” औरत ने तसदीक़ में उसे दुबारा सब कुछ सुनाया। तब उसने औरत का मामला किसी दरबारी अफ़सर के सुपुर्द करके हुक्म दिया, “ध्यान दें कि इसे पूरी मिलकियत वापस मिल जाए! और जितने पैसे क़ब्ज़ा करनेवाला औरत की ग़ैरमौजूदगी में ज़मीन की फ़सलों से कमा सका वह भी औरत को दे दिए जाएँ।”


यरमियाह अब तक झिजक रहा था, इसलिए नबूज़रादान ने कहा, “फिर जिदलियाह बिन अख़ीक़ाम बिन साफ़न के पास चले जाएँ! शाहे-बाबल ने उसे सूबा यहूदाह के शहरों पर मुक़र्रर किया है। उसके साथ रहें। या फिर जहाँ भी रहना पसंद करें वहीं रहें।” नबूज़रादान ने यरमियाह को कुछ ख़ुराक और एक तोह्फ़ा देकर उसे रुख़सत कर दिया।


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