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۲-سلاطین 5:20 - किताबे-मुक़द्दस

20 तो कुछ देर के बाद इलीशा का नौकर जैहाज़ी सोचने लगा, “मेरे आक़ा ने शाम के इस बंदे नामान पर हद से ज़्यादा नरमदिली का इज़हार किया है। चाहिए तो था कि वह उसके तोह्फ़े क़बूल कर लेता। रब की हयात की क़सम, मैं उसके पीछे दौड़कर कुछ न कुछ उससे ले लूँगा।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

20 تَب مَرد خُدا الِیشعؔ کے خادِم گیحازیؔ نے اَپنے دِل میں کہا، ”میرے آقا نے تو اُس ارامی نَعمانؔ کو یُوں ہی چھوڑ دیا اَورجو کچھ وہ دینے کے لیٔے لایاتھا اُسے قبُول نہ کیا۔ یَاہوِہ کی حیات کی قَسم میں دَوڑکر اُس کے پیچھے جاؤں گا اَور اُس سے کچھ نہ کچھ تو لے ہی لُوں گا۔“

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کِتابِ مُقادّس

20 لیکن اُس مردِ خُدا الِیشع کے خادِم جیحازؔی نے سوچا کہ میرے آقا نے ارامی نعماؔن کو یُوں ہی جانے دِیا کہ جو کُچھ وہ لایا تھا اُس سے نہ لِیا سو خُداوند کی حیات کی قَسم مَیں اُس کے پِیچھے دَوڑ جاؤُنگا اور اُس سے کُچھ نہ کُچھ لُوں گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

20 تو کچھ دیر کے بعد الیشع کا نوکر جیحازی سوچنے لگا، ”میرے آقا نے شام کے اِس بندے نعمان پر حد سے زیادہ نرم دلی کا اظہار کیا ہے۔ چاہئے تو تھا کہ وہ اُس کے تحفے قبول کر لیتا۔ رب کی حیات کی قَسم، مَیں اُس کے پیچھے دوڑ کر کچھ نہ کچھ اُس سے لے لوں گا۔“

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۲-سلاطین 5:20
33 حوالہ جات  

उसने अपने नौकर जैहाज़ी से कहा, “शूनीमी मेज़बान को बुला लाओ।” जब वह आकर उसके सामने खड़ी हुई


उसने पुकारा, “अल्लाह मुझे सख़्त सज़ा दे अगर मैं इलीशा बिन साफ़त का आज ही सर क़लम न करूँ!”


इलीशा ने जैहाज़ी को आवाज़ देकर कहा, “शूनीमी औरत को बुला लाओ।” वह कमरे में दाख़िल हुई तो इलीशा बोला, “आएँ, अपने बेटे को उठाकर ले जाएँ।”


जैहाज़ी भाग भागकर उनसे पहले पहुँच गया और लाठी को लड़के के चेहरे पर रख दिया। लेकिन कुछ न हुआ। न कोई आवाज़ सुनाई दी, न कोई हरकत हुई। वह इलीशा के पास वापस आया और बोला, “लड़का अभी तक मुरदा ही है।”


निगरान को तो अल्लाह का घराना सँभालने की ज़िम्मादारी दी गई है, इसलिए लाज़िम है कि वह बेइलज़ाम हो। वह ख़ुदसर, ग़ुसीला, शराबी, लड़ाका या लालची न हो।


क्योंकि देमास ने इस दुनिया को प्यार करके मुझे छोड़ दिया है। वह थिस्सलुनीके चला गया। क्रेसकेंस गलतिया और तितुस दल्मतिया चले गए हैं।


रब अपने ख़ुदा का नाम बेमक़सद या ग़लत मक़सद के लिए इस्तेमाल न करना। जो भी ऐसा करता है उसे रब सज़ा दिए बग़ैर नहीं छोड़ेगा।


गल्लाबान होते हुए अल्लाह के उस गल्ले की देख-भाल करें जो आपके सुपुर्द किया गया है। यह ख़िदमत मजबूरन न करें बल्कि ख़ुशी से, क्योंकि यह अल्लाह की मरज़ी है। लालच के बग़ैर पूरी लग्न से यह ख़िदमत सरंजाम दें।


लेकिन हननियाह पूरी रक़म रसूलों के पास न लाया बल्कि उसमें से कुछ अपने लिए रख छोड़ा और बाक़ी रसूलों के पाँवों में रख दिया। उस की बीवी भी इस बात से वाक़िफ़ थी।


फिर शाम का खाना तैयार हुआ। उस वक़्त इबलीस शमौन इस्करियोती के बेटे यहूदाह के दिल में ईसा को दुश्मन के हवाले करने का इरादा डाल चुका था।


जवाब में ईसा ने कहा, “क्या मैंने तुम बारह को नहीं चुना? तो भी तुममें से एक शख़्स शैतान है।”


यह देखकर मालिक ने बेईमान मुलाज़िम की तारीफ़ की कि उसने अक़्ल से काम लिया है। क्योंकि इस दुनिया के फ़रज़ंद अपनी नसल के लोगों से निपटने में नूर के फ़रज़ंदों से ज़्यादा होशियार होते हैं।


फिर उसने उनसे मज़ीद कहा, “ख़बरदार! हर क़िस्म के लालच से बचे रहना, क्योंकि इनसान की ज़िंदगी उसके मालो-दौलत की कसरत पर मुनहसिर नहीं।”


शमौन मुजाहिद और यहूदाह इस्करियोती जिसने बाद में उसे दुश्मनों के हवाले कर दिया।


उस पर अफ़सोस जो नाजायज़ नफ़ा कमाकर अपने घर पर आफ़त लाता है, हालाँकि वह आफ़त से बचने के लिए अपना घोंसला बुलंदियों पर बना लेता है।


लेकिन तू फ़रक़ है। तेरी आँखें और दिल नाजायज़ नफ़ा कमाने पर तुले रहते हैं। न तू बेक़ुसूर को क़त्ल करने से, न ज़ुल्म करने या जबरन कुछ लेने से झिजकता है।”


काहिल अपनी नज़र में हिकमत से जवाब देनेवाले सात आदमियों से कहीं ज़्यादा दानिशमंद है।


क्योंकि बेदीन अपनी दिली आरज़ुओं पर शेख़ी मारता है, और नाजायज़ नफ़ा कमानेवाला लानत करके रब को हक़ीर जानता है।


रब की हयात की क़सम जो इसराईल का नजातदहिंदा है, क़ुसूरवार को फ़ौरन सज़ाए-मौत दी जाएगी, ख़ाह वह मेरा बेटा यूनतन क्यों न हो।” लेकिन सब ख़ामोश रहे।


अपने पड़ोसी के घर का लालच न करना। न उस की बीवी का, न उसके नौकर का, न उस की नौकरानी का, न उसके बैल और न उसके गधे का बल्कि उस की किसी भी चीज़ का लालच न करना।”


एक दिन इलियास नबी ने जो जिलियाद के शहर तिशबी का था अख़ियब बादशाह से कहा, “रब इसराईल के ख़ुदा की क़सम जिसकी ख़िदमत मैं करता हूँ, आनेवाले सालों में न ओस, न बारिश पड़ेगी जब तक मैं न कहूँ।”


लेकिन इलीशा ने इनकार किया, “रब की हयात की क़सम जिसकी ख़िदमत मैं करता हूँ, मैं कुछ नहीं लूँगा।” नामान इसरार करता रहा, तो भी वह कुछ लेने के लिए तैयार न हुआ।


चुनाँचे जैहाज़ी नामान के पीछे भागा। जब नामान ने उसे देखा तो वह रथ से उतरकर जैहाज़ी से मिलने गया और पूछा, “क्या सब ख़ैरियत है?”


ऐन उस वक़्त जब वह दरबार में पहुँची तो बादशाह मर्दे-ख़ुदा इलीशा के नौकर जैहाज़ी से गुफ़्तगू कर रहा था। बादशाह ने उससे दरख़ास्त की थी, “मुझे वह तमाम बड़े काम सुना दो जो इलीशा ने किए हैं।”


एक दिन इलीशा दमिश्क़ आया। उस वक़्त शाम का बादशाह बिन-हदद बीमार था। जब उसे इत्तला मिली कि मर्दे-ख़ुदा आया है


यह देखकर मर्दे-ख़ुदा ग़ुस्से हो गया और बोला, “आपको तीरों को पाँच या छः मरतबा ज़मीन पर पटख़ना चाहिए था। अगर ऐसा करते तो शाम की फ़ौज को शिकस्त देकर मुकम्मल तौर पर तबाह कर देते। लेकिन अब आप उसे सिर्फ़ तीन मरतबा शिकस्त देंगे।”


चलते चलते वह करमिल पहाड़ के पास पहुँच गए जहाँ मर्दे-ख़ुदा इलीशा था। उसे दूर से देखकर इलीशा जैहाज़ी से कहने लगा, “देखो, शूनीम की औरत आ रही है!


ऐ याक़ूब के घराने, सुनो! तुम जो इसराईल कहलाते और यहूदाह के क़बीले के हो, ध्यान दो! तुम जो रब के नाम की क़सम खाकर इसराईल के ख़ुदा को याद करते हो, अगरचे तुम्हारी बात न सच्चाई, न इनसाफ़ पर मबनी है, ग़ौर करो!


यह बहुत महँगी चीज़ है। अगर इसे बेचा जाता तो इसके पैसे ग़रीबों को दिए जा सकते थे।”


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