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۲-سلاطین 4:31 - किताबे-मुक़द्दस

31 जैहाज़ी भाग भागकर उनसे पहले पहुँच गया और लाठी को लड़के के चेहरे पर रख दिया। लेकिन कुछ न हुआ। न कोई आवाज़ सुनाई दी, न कोई हरकत हुई। वह इलीशा के पास वापस आया और बोला, “लड़का अभी तक मुरदा ही है।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

31 اَور گیحازیؔ نے اُن سے پہلے پہُنچ کر اُس لڑکے کے مُنہ پر عصا کو رکھ دیا، مگر وہاں نہ تو کویٔی آواز سُنایٔی دی اَور نہ ہی لڑکے کے اَندر زندہ ہونے کی کویٔی نِشانی دِکھائی دی۔ لہٰذا گیحازیؔ نے واپس لَوٹ کر الِیشعؔ کو خبر دی، ”لڑکا زندہ نہیں ہُوا۔“

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کِتابِ مُقادّس

31 اور جیحازؔی نے اُن سے پہلے آ کر عصا کو اُس لڑکے کے مُنہ پر رکھّا پر نہ تو کُچھ آواز ہُوئی نہ سُننا۔ اِس لِئے وہ اُس سے مِلنے کو لَوٹا اور اُسے بتایا کہ لڑکا نہیں جاگا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

31 جیحازی بھاگ بھاگ کر اُن سے پہلے پہنچ گیا اور لاٹھی کو لڑکے کے چہرے پر رکھ دیا۔ لیکن کچھ نہ ہوا۔ نہ کوئی آواز سنائی دی، نہ کوئی حرکت ہوئی۔ وہ الیشع کے پاس واپس آیا اور بولا، ”لڑکا ابھی تک مُردہ ہی ہے۔“

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۲-سلاطین 4:31
17 حوالہ جات  

फिर उसने कहा, “हमारा दोस्त लाज़र सो गया है। लेकिन मैं जाकर उसे जगा दूँगा।”


क्योंकि जो रौशनी में लाया जाता है वह रौशन हो जाता है। इसलिए कहा जाता है, “ऐ सोनेवाले, जाग उठ! मुरदों में से जी उठ, तो मसीह तुझ पर चमकेगा।”


अंदर जाकर ईसा ने उनसे कहा, “यह कैसा शोर-शराबा है? क्यों रो रहे हो? लड़की मर नहीं गई बल्कि सो रही है।”


तब ख़ाक में सोए हुए मुतअद्दिद लोग जाग उठेंगे, कुछ अबदी ज़िंदगी पाने के लिए और कुछ अबदी रुसवाई और घिन का निशाना बनने के लिए।


“ऐ आदमज़ाद, इन आदमियों के दिल अपने बुतों से लिपटे रहते हैं। जो चीज़ें उनके लिए ठोकर और गुनाह का बाइस हैं उन्हें उन्होंने अपने मुँह के सामने ही रखा है। तो फिर क्या मुनासिब है कि मैं उन्हें जवाब दूँ जब वह मुझसे दरियाफ़्त करने आते हैं?


वफ़ात पानेवाले का यही हाल है। वह लेट जाता और कभी नहीं उठेगा। जब तक आसमान क़ायम है न वह जाग उठेगा, न उसे जगाया जाएगा।


दोपहर गुज़र गई, और वह शाम के उस वक़्त तक वज्द में रहे जब ग़ल्ला की नज़र पेश की जाती है। लेकिन कोई आवाज़ न सुनाई दी। न किसी ने जवाब दिया, न उनके तमाशे पर तवज्जुह दी।


उन्होंने बैलों में से एक को चुनकर उसे तैयार किया, फिर बाल का नाम पुकारने लगे। सुबह से लेकर दोपहर तक वह मुसलसल चीख़ते-चिल्लाते रहे, “ऐ बाल, हमारी सुन!” साथ साथ वह उस क़ुरबानगाह के इर्दगिर्द नाचते रहे जो उन्होंने बनाई थी। लेकिन न कोई आवाज़ सुनाई दी, न किसी ने जवाब दिया।


उसने रब से हिदायत हासिल करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब न मिला, न ख़ाब, न मुक़द्दस क़ुरा डालने से और न नबियों की मारिफ़त।


चुनाँचे साऊल ने अल्लाह से पूछा, “क्या हम फ़िलिस्तियों का ताक़्क़ुब जारी रखें? क्या तू उन्हें इसराईल के हवाले कर देगा?” लेकिन इस मरतबा अल्लाह ने जवाब न दिया।


जब इलीशा पहुँच गया तो लड़का अब तक मुरदा हालत में उसके बिस्तर पर पड़ा था।


तो कुछ देर के बाद इलीशा का नौकर जैहाज़ी सोचने लगा, “मेरे आक़ा ने शाम के इस बंदे नामान पर हद से ज़्यादा नरमदिली का इज़हार किया है। चाहिए तो था कि वह उसके तोह्फ़े क़बूल कर लेता। रब की हयात की क़सम, मैं उसके पीछे दौड़कर कुछ न कुछ उससे ले लूँगा।”


एक दिन इलीशा ने उस औरत को जिसका बेटा उसने ज़िंदा किया था मशवरा दिया, “अपने ख़ानदान को लेकर आरिज़ी तौर पर बैरूने-मुल्क चली जाएँ, क्योंकि रब ने हुक्म दिया है कि मुल्क में सात साल तक काल होगा।”


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