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۲-کرنتھیوں 6:6 - किताबे-मुक़द्दस

6 जब हम अपनी पाकीज़गी, इल्म, सब्र और मेहरबान सुलूक का इज़हार करते हैं, जब हम रूहुल-क़ुद्स के वसीले से हक़ीक़ी मुहब्बत रखते,

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

6 ہم پاکیزگی سے، علم سے، تحمُّل سے، مہربانی سے؛ پاک رُوح سے، سچّی مَحَبّت سے؛

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کِتابِ مُقادّس

6 پاکِیزگی سے۔ عِلم سے۔ تحمُّل سے۔ مِہربانی سے رُوحُ القُدس سے۔ بے رِیا مُحبّت سے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

6 جب ہم اپنی پاکیزگی، علم، صبر اور مہربان سلوک کا اظہار کرتے ہیں، جب ہم روح القدس کے وسیلے سے حقیقی محبت رکھتے،

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۲-کرنتھیوں 6:6
41 حوالہ جات  

क्योंकि अल्लाह चाहता था कि वह जान लें कि ग़ैरयहूदियों में यह राज़ कितना बेशक़ीमत और जलाली है। और यह राज़ है क्या? यह कि मसीह आपमें है। वही आपमें है जिसके बाइस हम अल्लाह के जलाल में शरीक होने की उम्मीद रखते हैं।


एक दूसरे पर मेहरबान और रहमदिल हों और एक दूसरे को यों मुआफ़ करें जिस तरह अल्लाह ने आपको भी मसीह में मुआफ़ कर दिया है।


हर वक़्त हलीम और नरमदिल रहें, सब्र से काम लें और एक दूसरे से मुहब्बत रखकर उसे बरदाश्त करें।


रूहुल-क़ुद्स का फल फ़रक़ है। वह मुहब्बत, ख़ुशी, सुलह-सलामती, सब्र, मेहरबानी, नेकी, वफ़ादारी,


क्या अल्लाह इसलिए आपको अपना रूह देता और आपके दरमियान मोजिज़े करता है कि आप शरीअत की पैरवी करते हैं? हरगिज़ नहीं, बल्कि इसलिए कि आप मसीह के बारे में पैग़ाम सुनकर ईमान लाए हैं।


मैं तो बड़ी ख़ुशी से आपके लिए हर ख़र्चा उठा लूँगा बल्कि अपने आपको भी ख़र्च कर दूँगा। क्या आप मुझे कम प्यार करेंगे अगर मैं आपसे ज़्यादा मुहब्बत रखूँ?


मैं यह क्यों कह रहा हूँ? इसलिए कि मैं आपसे मुहब्बत नहीं रखता? ख़ुदा ही जानता है कि मैं आपसे मुहब्बत रखता हूँ।


हो सकता है कि मैं बोलने में माहिर नहीं हूँ, लेकिन यह मेरे इल्म के बारे में नहीं कहा जा सकता। यह हमने आपको साफ़ साफ़ और हर लिहाज़ से दिखाया है।


क्योंकि आप ख़ुशी से हर एक को बरदाश्त करते हैं जो आपके पास आकर एक फ़रक़ क़िस्म का ईसा पेश करता है, एक ऐसा ईसा जो हमने आपको पेश नहीं किया था। और आप एक ऐसी रूह और ऐसी “ख़ुशख़बरी” क़बूल करते हैं जो उस रूह और ख़ुशख़बरी से बिलकुल फ़रक़ है जो आपको हमसे मिली थी।


हमें अपने दिल में जगह दें। न हमने किसी से नाइनसाफ़ी की, न किसी को बिगाड़ा या उससे ग़लत फ़ायदा उठाया।


क्योंकि जिस ख़ुदा ने फ़रमाया, “अंधेरे में से रौशनी चमके,” उसने हमारे दिलों में अपनी रौशनी चमकने दी ताकि हम अल्लाह का वह जलाल जान लें जो ईसा मसीह के चेहरे से चमकता है।


यह साफ़ ज़ाहिर है कि आप मसीह का ख़त हैं जो उसने हमारी ख़िदमत के ज़रीए लिख दिया है। और यह ख़त स्याही से नहीं बल्कि ज़िंदा ख़ुदा के रूह से लिखा गया, पत्थर की तख़्तियों पर नहीं बल्कि इनसानी दिलों पर।


मैंने आपको निहायत रंजीदा और परेशान हालत में आँसू बहा बहाकर लिख दिया। मक़सद यह नहीं था कि आप ग़मगीन हो जाएँ बल्कि मैं चाहता था कि आप जान लें कि मैं आपसे कितनी गहरी मुहब्बत रखता हूँ।


मुहब्बत सब्र से काम लेती है, मुहब्बत मेहरबान है। न यह हसद करती है न डींगें मारती है। यह फूलती भी नहीं।


चुनाँचे पाक कलाम में लिखा है, “किसने रब की सोच को जाना? कौन उसको तालीम देगा?” लेकिन हम मसीह की सोच रखते हैं।


आपकी मुहब्बत महज़ दिखावे की न हो। जो कुछ बुरा है उससे नफ़रत करें और जो कुछ अच्छा है उसके साथ लिपटे रहें।


लेकिन गो इन लोगों के हुजूम आकर तेरे पैग़ामात सुनने के लिए तेरे सामने बैठ जाते हैं तो भी वह उन पर अमल नहीं करते। क्योंकि उनकी ज़बान पर इश्क़ के ही गीत हैं। उन्हीं पर वह अमल करते हैं, जबकि उनका दिल नारवा नफ़ा के पीछे पड़ा रहता है।


यह देखकर दलीला ने मुँह फूलाकर मलामत की, “आप किस तरह दावा कर सकते हैं कि मुझसे मुहब्बत रखते हैं? अब आपने तीन मरतबा मेरा मज़ाक़ उड़ाकर मुझे अपनी बड़ी ताक़त का भेद नहीं बताया।”


प्यारे बच्चो, आएँ हम अलफ़ाज़ और बातों से मुहब्बत का इज़हार न करें बल्कि हमारी मुहब्बत अमली और हक़ीक़ी हो।


सच्चाई के ताबे हो जाने से आपको मख़सूसो-मुक़द्दस कर दिया गया और आपके दिलों में भाइयों के लिए बेरिया मुहब्बत डाली गई है। चुनाँचे अब एक दूसरे को ख़ुलूसदिली और लग्न से प्यार करते रहें।


कोई भी आपको इसलिए हक़ीर न जाने कि आप जवान हैं। लेकिन ज़रूरी है कि आप कलाम में, चाल-चलन में, मुहब्बत में, ईमान में और पाकीज़गी में ईमानदारों के लिए नमूना बन जाएँ।


आप और अल्लाह हमारे गवाह हैं कि आप ईमान लानेवालों के साथ हमारा सुलूक कितना मुक़द्दस, रास्त और बेइलज़ाम था।


अल्लाह ने आपको चुनकर अपने लिए मख़सूसो-मुक़द्दस कर लिया है। वह आपसे मुहब्बत रखता है। इसलिए अब तरस, नेकी, फ़रोतनी, नरमदिली और सब्र को पहन लें।


जब आप वह पढ़ेंगे जो मैंने लिखा तो आप जान लेंगे कि मुझे मसीह के राज़ के बारे में क्या क्या समझ आई है।


मुझे एक बात बताएँ, क्या आपको शरीअत की पैरवी करने से रूहुल-क़ुद्स मिला? हरगिज़ नहीं! वह आपको उस वक़्त मिला जब आप मसीह के बारे में पैग़ाम सुनकर उस पर ईमान लाए।


और गुफ़्तगू और मुनादी करते हुए मैंने दुनियावी हिकमत के बड़े ज़ोरदार अलफ़ाज़ की मारिफ़त आपको क़ायल करने की कोशिश न की, बल्कि रूहुल-क़ुद्स और अल्लाह की क़ुदरत ने मेरी बातों की तसदीक़ की,


इलाही निशानों और मोजिज़ों की क़ुव्वत से और अल्लाह के रूह की क़ुदरत से सरंजाम दिया है। यों मैंने यरूशलम से लेकर सूबा इल्लुरिकुम तक सफ़र करते करते अल्लाह की ख़ुशख़बरी फैलाने की ख़िदमत पूरी की है।


उन पर इतना ज़ाहिर किया गया कि उनकी यह पेशगोइयाँ उनके अपने लिए नहीं थीं, बल्कि आपके लिए। और अब यह सब कुछ आपको उन्हीं के वसीले से पेश किया गया है जिन्होंने आसमान से भेजे गए रूहुल-क़ुद्स के ज़रीए आपको अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाई है। यह ऐसी बातें हैं जिन पर फ़रिश्ते भी नज़र डालने के आरज़ूमंद हैं।


आप ख़ुद नेक काम करने में उनके लिए नमूना बनें। तालीम देते वक़्त आपकी ख़ुलूसदिली, शराफ़त


कि वक़्त बेवक़्त कलामे-मुक़द्दस की मुनादी करने के लिए तैयार रहें। बड़े सब्र से ईमानदारों को तालीम देकर उन्हें समझाएँ, मलामत करें और उनकी हौसलाअफ़्ज़ाई भी करें।


लेकिन आप हर लिहाज़ से मेरे शागिर्द रहे हैं, चाल-चलन में, इरादे में, ईमान में, सब्र में, मुहब्बत में, साबितक़दमी में,


बुज़ुर्ग बहनों को यों जैसे वह आपकी माएँ हों और जवान ख़वातीन को तमाम पाकीज़गी के साथ यों जैसे वह आपकी बहनें हों।


उसी में हिकमत और इल्मो-इरफ़ान के तमाम ख़ज़ाने पोशीदा हैं।


एक को रूहुल-क़ुद्स हिकमत का कलाम अता करता है, दूसरे को वही रूह इल्मो-इरफ़ान का कलाम।


अगर मैं झूट बोलूँ तो अल्लाह मेरे ख़िलाफ़ गवाही दे। बात यह है कि मैं आपको बचाने के लिए कुरिंथुस वापस न आया।


जिसे आप कुछ मुआफ़ करते हैं उसे मैं भी मुआफ़ करता हूँ। और जो कुछ मैंने मुआफ़ किया, अगर मुझे कुछ मुआफ़ करने की ज़रूरत थी, वह मैंने आपकी ख़ातिर मसीह के हुज़ूर मुआफ़ किया है


यही वजह है कि मैं आपसे दूर रहकर लिखता हूँ। फिर जब मैं आऊँगा तो मुझे अपना इख़्तियार इस्तेमाल करके आप पर सख़्ती नहीं करनी पड़ेगी। क्योंकि ख़ुदावंद ने मुझे यह इख़्तियार आपको ढा देने के लिए नहीं बल्कि आपको तामीर करने के लिए दिया है।


आसमान की हिकमत फ़रक़ है। अव्वल तो वह पाक और मुक़द्दस है। नीज़ वह अमनपसंद, नरमदिल, फ़रमाँबरदार, रहम और अच्छे फल से भरी हुई, ग़ैरजानिबदार और ख़ुलूसदिल है।


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