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۲-توارِیخ 32:30 - किताबे-मुक़द्दस

30 हिज़क़ियाह ही ने जैहून चश्मे का मुँह बंद करके उसका पानी सुरंग के ज़रीए मग़रिब की तरफ़ यरूशलम के उस हिस्से में पहुँचाया जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है। जो भी काम उसने शुरू किया उसमें वह कामयाब रहा।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

30 یہ حِزقیاہؔ ہی تھا جِس نے گیحونؔ کے چشمہ کے پانی نکلنے کے بالائی راستہ کو بند کرکے پانی کو دُوسرے راستہ سے داویؔد کے شہر کے مغرب کی طرف پہُنچایا اَور وہ ہر کام میں جو اُس نے شروع کیا کامیاب ہُوا۔

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کِتابِ مُقادّس

30 اِسی حِزقیاہ نے جیحُوؔن کے پانی کے اُوپر کے سوتے کو بند کر دِیا اور اُسے داؤُد کے شہر کے مغرِب کی طرف سِیدھا پُہنچایا اور حِزقیاؔہ اپنے سارے کام میں کامیاب ہُؤا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

30 حِزقیاہ ہی نے جیحون چشمے کا منہ بند کر کے اُس کا پانی سرنگ کے ذریعے مغرب کی طرف یروشلم کے اُس حصے میں پہنچایا جو ’داؤد کا شہر‘ کہلاتا ہے۔ جو بھی کام اُس نے شروع کیا اُس میں وہ کامیاب رہا۔

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۲-توارِیخ 32:30
11 حوالہ جات  

तो बादशाह उनसे मुख़ातिब हुआ, “मेरे बेटे सुलेमान को मेरे ख़च्चर पर बिठाएँ। फिर मेरे अफ़सरों को साथ लेकर उसे जैहून चश्मे तक पहुँचा दें।


क्योंकि उन्होंने कहा, “असूर के बादशाह को यहाँ आकर कसरत का पानी क्यों मिले?” बहुत-से आदमी जमा हुए और मिलकर चश्मों को मलबे से बंद कर दिया। उन्होंने उस ज़मीनदोज़ नाले का मुँह भी बंद कर दिया जिसके ज़रीए पानी शहर में पहुँचता था।


बाक़ी जो कुछ हिज़क़ियाह की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कामयाबियाँ उसे हासिल हुईं वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज हैं। वहाँ यह भी बयान किया गया है कि उसने किस तरह तालाब बनवाकर वह सुरंग खुदवाई जिसके ज़रीए चश्मे का पानी शहर तक पहुँचता है।


जैहून चश्मे के पास सदोक़ इमाम और नातन नबी ने उसे मसह करके बादशाह बना दिया। फिर वह ख़ुशी मनाते हुए शहर में वापस चले गए। पूरे शहर में हलचल मच गई। यही वह शोर है जो आपको सुनाई दे रहा है।


फिर सदोक़ इमाम, नातन नबी, बिनायाह बिन यहोयदा और बादशाह के मुहाफ़िज़ करेतियों और फ़लेतियों ने सुलेमान को बादशाह के ख़च्चर पर बिठाकर उसे जैहून चश्मे तक पहुँचा दिया।


इमामे-आज़म ज़करियाह के जीते-जी उज़्ज़ियाह रब का तालिब रहा, क्योंकि ज़करियाह उसे अल्लाह का ख़ौफ़ मानने की तालीम देता रहा। जब तक बादशाह रब का तालिब रहा उस वक़्त तक अल्लाह उसे कामयाबी बख़्शता रहा।


तो उसने अपने सरकारी और फ़ौजी अफ़सरों से मशवरा किया। ख़याल यह पेश किया गया कि यरूशलम शहर के बाहर तमाम चश्मों को मलबे से बंद किया जाए। सब मुत्तफ़िक़ हो गए,


इसके बाद उसने ‘दाऊद के शहर’ की बैरूनी फ़सील नए सिरे से बनवाई। यह फ़सील जैहून चश्मे के मग़रिब से शुरू हुई और वादीए-क़िदरोन में से गुज़रकर मछली के दरवाज़े तक पहुँच गई। इस दीवार ने रब के घर की पूरी पहाड़ी बनाम ओफ़ल का इहाता कर लिया और बहुत बुलंद थी। इसके अलावा बादशाह ने यहूदाह के तमाम क़िलाबंद शहरों पर फ़ौजी अफ़सर मुक़र्रर किए।


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