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۲-توارِیخ 31:2 - किताबे-मुक़द्दस

2 हिज़क़ियाह ने इमामों और लावियों को दुबारा ख़िदमत के वैसे ही गुरोहों में तक़सीम किया जैसे पहले थे। उनकी ज़िम्मादारियाँ भस्म होनेवाली और सलामती की क़ुरबानियाँ चढ़ाना, रब के घर में मुख़्तलिफ़ क़िस्म की ख़िदमात अंजाम देना और हम्दो-सना के गीत गाना थीं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

2 حِزقیاہؔ نے کاہِنوں اَور لیویوں کو اُن کے فریقوں کے مُطابق کام سُپرد کیا یعنی کاہِنوں اَور لیویوں میں سے ہر ایک کو اُن کے فرائض کے مُطابق سوختنی نذریں اَور سلامتی کی نذریں گذراننے، عبادت اَور شُکر گزاری کرنے اَور یَاہوِہ کے قِیام کے پھاٹکوں پر سِتائش کرنے کی ذمّہ داریاں سُپرد کیں۔

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کِتابِ مُقادّس

2 اور حِزقیاہ نے کاہِنوں کے فرِیقوں کو اور لاویوں کو اُن کے فرِیقوں کے مُوافِق یعنی کاہِنوں اور لاویوں دونوں کے ہر شخص کو اُس کی خِدمت کے مُطابِق خُداوند کی خَیمہ گاہ کے پھاٹکوں کے اندر سوختنی قُربانیوں اور سلامتی کی قُربانیوں کے لِئے اور عِبادت اور شُکرگُذاری اور سِتایش کرنے کے لِئے مُقرّر کِیا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

2 حِزقیاہ نے اماموں اور لاویوں کو دوبارہ خدمت کے ویسے ہی گروہوں میں تقسیم کیا جیسے پہلے تھے۔ اُن کی ذمہ داریاں بھسم ہونے والی اور سلامتی کی قربانیاں چڑھانا، رب کے گھر میں مختلف قسم کی خدمات انجام دینا اور حمد و ثنا کے گیت گانا تھیں۔

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۲-توارِیخ 31:2
23 حوالہ جات  

हारून की औलाद को भी मुख़्तलिफ़ गुरोहों में तक़सीम किया गया। हारून के चार बेटे नदब, अबीहू, इलियज़र और इतमर थे।


यहूदिया के बादशाह हेरोदेस के ज़माने में एक इमाम था जिसका नाम ज़करियाह था। बैतुल-मुक़द्दस में इमामों के मुख़्तलिफ़ गुरोह ख़िदमत सरंजाम देते थे, और ज़करियाह का ताल्लुक़ अबियाह के गुरोह से था। उस की बीवी इमामे-आज़म हारून की नसल से थी और उसका नाम इलीशिबा था।


उनमें दुबारा ख़ुशीओ-शादमानी, दूल्हे दुलहन की आवाज़ और रब के घर में शुक्रगुज़ारी की क़ुरबानियाँ पहुँचानेवालों के गीत सुनाई देंगे। उस वक़्त वह गाएँगे, ‘रब्बुल-अफ़वाज का शुक्र करो, क्योंकि रब भला है, और उस की शफ़क़त अबदी है।’ क्योंकि मैं इस मुल्क को पहले की तरह बहाल कर दूँगा। यह रब का फ़रमान है।


ज़ियारत का गीत। आओ, रब की सताइश करो, ऐ रब के तमाम ख़ादिमो जो रात के वक़्त रब के घर में खड़े हो।


नीज़ शुक्रगुज़ारी का राहनुमा मत्तनियाह बिन मीका बिन ज़बदी बिन आसफ़ था जो दुआ करते वक़्त हम्दो-सना की राहनुमाई करता था, नीज़ उसका मददगार मत्तनियाह का भाई बक़बूक़ियाह, और आख़िर में अबदा बिन सम्मुअ बिन जलाल बिन यदूतून।


फिर इमामों और लावियों को रब के घर की ख़िदमत के मुख़्तलिफ़ गुरोहों में तक़सीम किया गया, जिस तरह मूसा की शरीअत हिदायत देती है।


लावी और यहूदाह के इन तमाम मर्दों ने ऐसा ही किया। अगले सबत के दिन सब अपने बंदों समेत उसके पास आए, वह भी जिनकी ड्यूटी थी और वह भी जिनकी अब छुट्टी थी। क्योंकि यहोयदा ने ख़िदमत करनेवालों में से किसी को भी जाने की इजाज़त नहीं दी थी।


सुलेमान ने इमामों के मुख़्तलिफ़ गुरोहों को वह ज़िम्मादारियाँ सौंपीं जो उसके बाप दाऊद ने मुक़र्रर की थीं। लावियों की ज़िम्मादारियाँ भी मुक़र्रर की गईं। उनकी एक ज़िम्मादारी रब की हम्दो-सना करने में परस्तारों की राहनुमाई करनी थी। नीज़, उन्हें रोज़ाना की ज़रूरियात के मुताबिक़ इमामों की मदद करनी थी। रब के घर के दरवाज़ों की पहरादारी भी लावियों की एक ख़िदमत थी। हर दरवाज़े पर एक अलग गुरोह की ड्यूटी लगाई गई। यह भी मर्दे-ख़ुदा दाऊद की हिदायात के मुताबिक़ हुआ।


फिर इमाम मुक़द्दस कमरे से निकलकर सहन में आए। जितने इमाम आए थे उन सबने अपने आपको पाक-साफ़ किया हुआ था, ख़ाह उस वक़्त उनके गुरोह की रब के घर में ड्यूटी थी या नहीं।


दाऊद ने आसफ़ और उसके साथी लावियों को रब के अहद के संदूक़ के सामने छोड़कर कहा, “आइंदा यहाँ बाक़ायदगी से रोज़ाना की ज़रूरी ख़िदमत करते जाएँ।”


एक दिन बैतुल-मुक़द्दस मैं अबियाह के गुरोह की बारी थी और ज़करियाह अल्लाह के हुज़ूर अपनी ख़िदमत सरंजाम दे रहा था।


उज़्ज़ियेल की औलाद में से मीकाह, मीकाह की औलाद में से समीर,


सलूमीत अपने भाइयों के साथ उन मुक़द्दस चीज़ों को सँभालता था जो दाऊद बादशाह, ख़ानदानी सरपरस्तों, हज़ार हज़ार और सौ सौ फ़ौजियों पर मुक़र्रर अफ़सरों और दूसरे आला अफ़सरों ने रब के लिए मख़सूस की थीं।


काम के इख़्तिताम पर ठेकेदार बाक़ी पैसे युआस बादशाह और यहोयदा के पास लाए। इनसे उन्होंने रब के घर की ख़िदमत के लिए दरकार प्याले, सोने और चाँदी के बरतन और दीगर कई चीज़ें जो क़ुरबानियाँ चढ़ाने के लिए इस्तेमाल होती थीं बनवाईं। यहोयदा के जीते-जी रब के घर में बाक़ायदगी से भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ पेश की जाती रहीं।


इन फ़हरिस्तों में इमामों को उनके कुंबों के मुताबिक़ दर्ज किया गया। इसी तरह 20 साल या इससे ज़ायद के लावियों को उन ज़िम्मादारियों और ख़िदमत के मुताबिक़ जो वह अपने गुरोहों में सँभालते थे फ़हरिस्तों में दर्ज किया गया।


बादशाह ने इमामों को काम पर लगाकर उनकी हौसलाअफ़्ज़ाई की कि वह रब के घर में अपनी ख़िदमत अच्छी तरह अंजाम दें।


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