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۲-توارِیخ 17:9 - किताबे-मुक़द्दस

9 रब की शरीअत की किताब अपने साथ लेकर इन आदमियों ने यहूदाह में शहर बशहर जाकर लोगों को तालीम दी।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

9 اُن کے پاس یَاہوِہ کی کِتاب تورہ تھی جِس کی تعلیم اُنہُوں نے سارے یہُودیؔہ مُلک کو دی۔ یعنی وہ یہُوداہؔ کے سَب شہروں میں لوگوں کو تعلیم دیتے پھرے۔

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کِتابِ مُقادّس

9 سو اُنہوں نے خُداوند کی شرِیعت کی کِتاب ساتھ رکھ کر یہُوداؔہ کو تعلِیم دی اور وہ یہُوداؔہ کے سب شہروں میں گئے اور لوگوں کو تعلِیم دی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

9 رب کی شریعت کی کتاب اپنے ساتھ لے کر اِن آدمیوں نے یہوداہ میں شہر بہ شہر جا کر لوگوں کو تعلیم دی۔

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۲-توارِیخ 17:9
22 حوالہ جات  

अगर तुम वाक़ई मूसा पर ईमान रखते तो ज़रूर मुझ पर भी ईमान रखते, क्योंकि उसने मेरे ही बारे में लिखा।


जी हाँ, हर तरह का! अव्वल तो यह कि अल्लाह का कलाम उनके सुपुर्द किया गया है।


अगर कोई बोले तो अल्लाह के-से अलफ़ाज़ के साथ बोले। अगर कोई ख़िदमत करे तो उस ताक़त के ज़रीए जो अल्लाह उसे मुहैया करता है, क्योंकि इस तरह ही अल्लाह को ईसा मसीह के वसीले से जलाल दिया जाएगा। अज़ल से अबद तक जलाल और क़ुदरत उसी की हो! आमीन।


चुनाँचे उन्होंने मिलने का एक दिन मुक़र्रर किया। जब यहूदी दुबारा उस जगह आए जहाँ पौलुस रहता था तो उनकी तादाद बहुत ज़्यादा थी। सुबह से लेकर शाम तक उसने अल्लाह की बादशाही बयान की और उस की गवाही दी। उसने उन्हें मूसा की शरीअत और नबियों के हवालाजात पेश कर करके ईसा के बारे में क़ायल करने की कोशिश की।


क्योंकि मूसवी शरीअत की मुनादी करनेवाले कई नसलों से हर शहर में रह रहे हैं। जिस शहर में भी जाएँ हर सबत के दिन शरीअत की तिलावत की जाती है।”


तौरेत और नबियों के सहीफ़ों की तिलावत के बाद इबादतख़ाने के राहनुमाओं ने उन्हें कहला भेजा, “भाइयो, अगर आपके पास लोगों के लिए कोई नसीहत की बात है तो उसे पेश करें।”


इतने में फ़िलिप्पुस को अशदूद शहर में पाया गया। वह वहाँ और क़ैसरिया तक के तमाम शहरों में से गुज़रकर अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाता गया।


तुम अपने सहीफ़ों में ढूँडते रहते हो क्योंकि समझते हो कि उनसे तुम्हें अबदी ज़िंदगी हासिल है। लेकिन यही मेरे बारे में गवाही देते हैं!


अपने शागिर्दों को यह हिदायात देने के बाद ईसा उनके शहरों में तालीम देने और मुनादी करने के लिए रवाना हुआ।


जब वह एक शहर में तुम्हें सताएँगे तो किसी दूसरे शहर को हिजरत कर जाना। मैं तुमको सच बताता हूँ कि इब्ने-आदम की आमद तक तुम इसराईल के तमाम शहरों तक नहीं पहुँच पाओगे।


अल्लाह की हिदायत और मुकाशफ़ा की तरफ़ रुजू करो! जो इनकार करे उस पर सुबह की रौशनी कभी नहीं चमकेगी।


कुछ लावी हाज़िर थे जिन्होंने लोगों के लिए शरीअत की तशरीह की। उनके नाम यशुअ, बानी, सरिबियाह, यमीन, अक़्क़ूब, सब्बती, हूदियाह, मासियाह, क़लीता, अज़रियाह, यूज़बद, हनान और फ़िलायाह थे। हाज़िरीन अब तक खड़े थे।


लावियों को तमाम इसराईलियों को शरीअत की तालीम देने की ज़िम्मादारी दी गई थी, और साथ साथ उन्हें रब की ख़िदमत के लिए मख़सूस किया गया था। उनसे यूसियाह ने कहा, “मुक़द्दस संदूक़ को उस इमारत में रखें जो इसराईल के बादशाह दाऊद के बेटे सुलेमान ने तामीर किया। उसे अपने कंधों पर उठाकर इधर-उधर ले जाने की ज़रूरत नहीं है बल्कि अब से अपना वक़्त रब अपने ख़ुदा और उस की क़ौम इसराईल की ख़िदमत में सर्फ़ करें।


लंबे अरसे तक इसराईली हक़ीक़ी ख़ुदा के बग़ैर ज़िंदगी गुज़ारते रहे। न कोई इमाम था जो उन्हें अल्लाह की राह सिखाता, न शरीअत।


यरूशलम में यहूसफ़त ने कुछ लावियों, इमामों और ख़ानदानी सरपरस्तों को इनसाफ़ करने की ज़िम्मादारी दी। रब की शरीअत से मुताल्लिक़ किसी मामले या यरूशलम के बाशिंदों के दरमियान झगड़े की सूरत में उन्हें फ़ैसला करना था।


इमामों का फ़र्ज़ है कि वह सहीह तालीम महफ़ूज़ रखें, और लोगों को उनसे हिदायत हासिल करनी चाहिए। क्योंकि इमाम रब्बुल-अफ़वाज का पैग़ंबर है।


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