उसी वक़्त बादशाह के मुहर्रिर बुलाए गए। तीसरे महीने सीवान का 23वाँ दिन था। उन्होंने मर्दकी की तमाम हिदायात के मुताबिक़ फ़रमान लिख दिया जिसे यहूदियों और तमाम 127 सूबों के गवर्नरों, हाकिमों और रईसों को भेजना था। भारत से लेकर एथोपिया तक यह फ़रमान हर सूबे के अपने तर्ज़े-तहरीर और हर क़ौम की अपनी ज़बान में क़लमबंद था। यहूदी क़ौम को भी उसके अपने तर्ज़े-तहरीर और उस की अपनी ज़बान में फ़रमान मिल गया।
