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۱-تیمتھیس 4:3 - किताबे-मुक़द्दस

3 यह शादी करने की इजाज़त नहीं देते और लोगों को कहते हैं कि वह मुख़्तलिफ़ खाने की चीज़ों से परहेज़ करें। लेकिन अल्लाह ने यह चीज़ें इसलिए बनाई हैं कि जो ईमान रखते हैं और सच्चाई से वाक़िफ़ हैं इन्हें शुक्रगुज़ारी के साथ खाएँ।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

3 یہ لوگ بیاہ کرنے سے منع کرتے ہیں اَور اُن بعض کھانوں سے پرہیز کرنے کا حُکم دیتے ہیں جنہیں خُدا نے اِس لیٔے پیدا کیا ہے کہ مُومِنین اَور حق کو جاننے والے اُنہیں شُکر گُزاری کے ساتھ کھایٔیں۔

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کِتابِ مُقادّس

3 یہ لوگ بیاہ کرنے سے منع کریں گے اور اُن کھانوں سے پرہیز کرنے کا حُکم دیں گے جِنہیں خُدا نے اِس لِئے پَیدا کِیا ہے کہ اِیمان دار اور حق کے پہچاننے والے اُنہیں شُکرگُذاری کے ساتھ کھائیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

3 یہ شادی کرنے کی اجازت نہیں دیتے اور لوگوں کو کہتے ہیں کہ وہ مختلف کھانے کی چیزوں سے پرہیز کریں۔ لیکن اللہ نے یہ چیزیں اِس لئے بنائی ہیں کہ جو ایمان رکھتے ہیں اور سچائی سے واقف ہیں اِنہیں شکرگزاری کے ساتھ کھائیں۔

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۱-تیمتھیس 4:3
30 حوالہ جات  

जो कुछ भी अल्लाह ने ख़लक़ किया है वह अच्छा है, और हमें उसे रद्द नहीं करना चाहिए बल्कि ख़ुदा का शुक्र करके उसे खा लेना चाहिए।


लाज़िम है कि सबके सब इज़दिवाजी ज़िंदगी का एहतराम करें। शौहर और बीवी एक दूसरे के वफ़ादार रहें, क्योंकि अल्लाह ज़िनाकारों और शादी का बंधन तोड़नेवालों की अदालत करेगा।


जो एक दिन को ख़ास क़रार देता है वह इससे ख़ुदावंद की ताज़ीम करना चाहता है। इसी तरह जो सब कुछ खाता है वह इससे ख़ुदावंद को जलाल देना चाहता है। यह इससे ज़ाहिर होता है कि वह इसके लिए ख़ुदा का शुक्र करता है। लेकिन जो कुछ खानों से परहेज़ करता है वह भी ख़ुदा का शुक्र करके इससे उस की ताज़ीम करना चाहता है।


चुनाँचे कोई आपको इस वजह से मुजरिम न ठहराए कि आप क्या क्या खाते-पीते या कौन कौन-सी ईदें मनाते हैं। इसी तरह कोई आपकी अदालत न करे अगर आप हिलाल की ईद या सबत का दिन नहीं मनाते।


हक़ीक़त तो यह है कि हमारा अल्लाह को पसंद आना इस बात पर मबनी नहीं कि हम क्या खाते हैं और क्या नहीं खाते। न परहेज़ करने से हमें कोई नुक़सान पहुँचता है और न खा लेने से कोई फ़ायदा।


जिस तरह मैंने तुम्हारे खाने के लिए पौदों की पैदावार मुक़र्रर की है उसी तरह अब से तुम्हें हर क़िस्म के जानवर खाने की इजाज़त भी है।


और जो कुछ भी आप करें ख़ाह ज़बानी हो या अमली वह ख़ुदावंद ईसा का नाम लेकर करें। हर काम में उसी के वसीले से ख़ुदा बाप का शुक्र करें।


ताहम अगर आपने शादी कर ही ली है तो आपने गुनाह नहीं किया। इसी तरह अगर कुँवारी शादी कर चुकी है तो यह गुनाह नहीं। मगर ऐसे लोग जिस्मानी तौर पर मुसीबत में पड़ जाएंगे जबकि मैं आपको इससे बचाना चाहता हूँ।


जो सब कुछ खाता है वह उसे हक़ीर न जाने जो यह नहीं कर सकता। और जो यह नहीं कर सकता वह उसे मुजरिम न ठहराए जो सब कुछ खाता है, क्योंकि अल्लाह ने उसे क़बूल किया है।


तरह तरह की और बेगाना तालीमात आपको इधर-उधर न भटकाएँ। आप तो अल्लाह के फ़ज़ल से तक़वियत पाते हैं और इससे नहीं कि आप मुख़्तलिफ़ खानों से परहेज़ करते हैं। इसमें कोई ख़ास फ़ायदा नहीं है।


हाँ, वह चाहता है कि तमाम इनसान नजात पाकर सच्चाई को जान लें।


बेशक ख़ुराक पेट के लिए और पेट ख़ुराक के लिए है, मगर अल्लाह दोनों को नेस्त कर देगा। लेकिन हम इससे यह नतीजा नहीं निकाल सकते कि जिस्म ज़िनाकारी के लिए है। हरगिज़ नहीं! जिस्म ख़ुदावंद के लिए है और ख़ुदावंद जिस्म के लिए।


क्योंकि अल्लाह की बादशाही खाने-पीने की चीज़ों पर क़ायम नहीं है बल्कि रास्तबाज़ी, सुलह-सलामती और रूहुल-क़ुद्स में ख़ुशी पर।


फिर सात रोटियों और मछलियों को लेकर उसने शुक्रगुज़ारी की दुआ की और उन्हें तोड़ तोड़कर अपने शागिर्दों को तक़सीम करने के लिए दे दिया।


तब मैंने जान लिया कि इनसान के लिए अच्छा और मुनासिब है कि वह जितने दिन अल्लाह ने उसे दिए हैं खाए पिए और सूरज तले अपनी मेहनत-मशक़्क़त के फल का मज़ा ले, क्योंकि यही उसके नसीब में है।


और लोगों को घास पर बैठने का हुक्म दिया। ईसा ने उन पाँच रोटियों और दो मछलियों को लेकर आसमान की तरफ़ देखा और शुक्रगुज़ारी की दुआ की। फिर उसने रोटियों को तोड़ तोड़कर शागिर्दों को दिया, और शागिर्दों ने यह रोटियाँ लोगों में तक़सीम कर दीं।


यह कहकर उसने कुछ रोटी ली और उन सबके सामने अल्लाह से शुक्रगुज़ारी की दुआ की। फिर उसे तोड़कर खाने लगा।


फिर कुछ कश्तियाँ तिबरियास से उस मक़ाम के क़रीब पहुँचीं जहाँ ख़ुदावंद ईसा ने रोटी के लिए शुक्रगुज़ारी की दुआ करके उसे लोगों को खिलाया था।


और ऐसा हुआ कि जब वह खाने के लिए बैठ गए तो उसने रोटी लेकर उसके लिए शुक्रगुज़ारी की दुआ की। फिर उसने उसे टुकड़े करके उन्हें दिया।


बादशाह न अपने बापदादा के देवताओं की परवा करेगा, न औरतों के अज़ीज़ देवता की, न किसी और की। क्योंकि वह अपने आपको सब पर सरफ़राज़ करेगा।


कोई ऐसी चीज़ है नहीं जो इनसान के मुँह में दाख़िल होकर उसे नापाक कर सके, बल्कि जो कुछ इनसान के मुँह से निकलता है वही उसे नापाक कर देता है।”


इसलिए मैं चाहता हूँ कि जवान बेवाएँ दुबारा शादी करके बच्चों को जन्म दें और अपने घरों को सँभालें। फिर वह दुश्मन को बदगोई करने का मौक़ा नहीं देंगी।


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