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۱-تیمتھیس 3:2 - किताबे-मुक़द्दस

2 लाज़िम है कि निगरान बेइलज़ाम हो। उस की एक ही बीवी हो। वह होशमंद, समझदार, शरीफ़, मेहमान-नवाज़ और तालीम देने के क़ाबिल हो।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

2 لہٰذا نگہبان کو چاہئے کہ وہ بے اِلزام، ایک بیوی کا شوہر، پرہیزگار، خُود پر قابُو رکھنے والا، قابل اِحترام، مُسافر پرور اَور تعلیم دینے کے قابل ہو۔

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کِتابِ مُقادّس

2 پس نِگہبان کو بے اِلزام۔ ایک بِیوی کا شَوہر۔ پرہیزگار۔ مُتّقی۔ شایستہ۔ مُسافِر پرور اور تعلِیم دینے کے لائِق ہونا چاہیے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

2 لازم ہے کہ نگران بےالزام ہو۔ اُس کی ایک ہی بیوی ہو۔ وہ ہوش مند، سمجھ دار، شریف، مہمان نواز اور تعلیم دینے کے قابل ہو۔

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۱-تیمتھیس 3:2
20 حوالہ جات  

लाज़िम है कि ख़ुदावंद का ख़ादिम न झगड़े बल्कि हर एक से मेहरबानी का सुलूक करे। वह तालीम देने के क़ाबिल हो और सब्र से ग़लत सुलूक बरदाश्त करे।


जब मुक़द्दसीन ज़रूरतमंद हैं तो उनकी मदद करने में शरीक हों। मेहमान-नवाज़ी में लगे रहें।


जिस बेवा की उम्र 60 साल से कम है उसे बेवाओं की फ़हरिस्त में दर्ज न किया जाए। शर्त यह भी है कि जब उसका शौहर ज़िंदा था तो वह उस की वफ़ादार रही हो


बुड़बुड़ाए बग़ैर एक दूसरे की मेहमान-नवाज़ी करें।


होशमंद रहें, जागते रहें। आपका दुश्मन इबलीस गरजते हुए शेरबबर की तरह घुमता-फिरता और किसी को हड़प कर लेने की तलाश में रहता है।


मेहमान-नवाज़ी मत भूलना, क्योंकि ऐसा करने से बाज़ ने नादानिस्ता तौर पर फ़रिश्तों की मेहमान-नवाज़ी की है।


बुज़ुर्ग मर्दों को बता देना कि वह होशमंद, शरीफ़ और समझदार हों। उनका ईमान, मुहब्बत और साबितक़दमी सेहतमंद हों।


ताकि आप बेइलज़ाम और पाक होकर अल्लाह के बेदाग़ फ़रज़ंद साबित हो जाएँ, ऐसे लोग जो एक टेढ़ी और उलटी नसल के दरमियान ही आसमान के सितारों की तरह चमकते-दमकते


तमाम चीज़ों का ख़ातमा क़रीब आ गया है। चुनाँचे दुआ करने के लिए चुस्त और होशमंद रहें।


बात यह है कि हम मसीह के शरीके-कार बन गए हैं। लेकिन इस शर्त पर कि हम आख़िर तक वह एतमाद मज़बूती से क़ायम रखें जो हम आग़ाज़ में रखते थे।


यह शादी करने की इजाज़त नहीं देते और लोगों को कहते हैं कि वह मुख़्तलिफ़ खाने की चीज़ों से परहेज़ करें। लेकिन अल्लाह ने यह चीज़ें इसलिए बनाई हैं कि जो ईमान रखते हैं और सच्चाई से वाक़िफ़ हैं इन्हें शुक्रगुज़ारी के साथ खाएँ।


मियाँ-बीवी अल्लाह के नज़दीक रास्तबाज़ थे और रब के तमाम अहकाम और हिदायात के मुताबिक़ बेइलज़ाम ज़िंदगी गुज़ारते थे।


इसराईल के पहरेदार अंधे हैं, सबके सब कुछ भी नहीं जानते। सबके सब बहरे कुत्ते हैं जो भौंक ही नहीं सकते। फ़र्श पर लेटे हुए वह अच्छे अच्छे ख़ाब देखते रहते हैं। ऊँघना उन्हें कितना पसंद है!


वहाँ बैतुल-मुक़द्दस में एक उम्ररसीदा नबिया भी थी जिसका नाम हन्नाह था। वह फ़नुएल की बेटी और आशर के क़बीले से थी। शादी के सात साल बाद उसका शौहर मर गया था।


इसी तरह जमात के मददगार भी शरीफ़ हों। वह रियाकार न हों, न हद से ज़्यादा मै पिएँ। वह लालची भी न हों।


मददगार की एक ही बीवी हो। लाज़िम है कि वह अपने बच्चों और ख़ानदान को अच्छी तरह सँभाल सके।


और कि लोग उसके नेक कामों की अच्छी गवाही दे सकें, मसलन क्या उसने अपने बच्चों को अच्छी तरह पाला है? क्या उसने मेहमान-नवाज़ी की और मुक़द्दसीन के पाँव धोकर उनकी ख़िदमत की है? क्या वह मुसीबत में फँसे हुओं की मदद करती रही है? क्या वह हर नेक काम के लिए कोशाँ रही है?


जल्दी से किसी पर हाथ रखकर उसे किसी ख़िदमत के लिए मख़सूस मत करना, न दूसरों के गुनाहों में शरीक होना। अपने आपको पाक रखें।


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