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۱-تھسلنیکیوں 2:9 - किताबे-मुक़द्दस

9 भाइयो, बेशक आपको याद है कि हमने कितनी सख़्त मेहनत-मशक़्क़त की। दिन-रात हम काम करते रहे ताकि अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाते वक़्त किसी पर बोझ न बनें।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

9 اَے بھائیوں اَور بہنوں! جَب ہم تمہارے درمیان رہ کر الٰہی خُوشخبری سُنا رہے تھے تو تُمہیں ہماری وہ محنت اَور مشقّت ضروُر یاد ہوگی جَب ہم روز رات دِن اَپنے ہاتھوں سے کام کرتے تھے تاکہ کسی پر بوجھ نہ بنیں۔

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کِتابِ مُقادّس

9 کیونکہ اَے بھائِیو! تُم کو ہماری مِحنت اور مُشقّت یاد ہو گی کہ ہم نے تُم میں سے کِسی پر بوجھ نہ ڈالنے کی غرض سے رات دِن مِحنت مزدُوری کر کے تُمہیں خُدا کی خُوشخبری کی مُنادی کی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

9 بھائیو، بےشک آپ کو یاد ہے کہ ہم نے کتنی سخت محنت مشقت کی۔ دن رات ہم کام کرتے رہے تاکہ اللہ کی خوش خبری سناتے وقت کسی پر بوجھ نہ بنیں۔

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۱-تھسلنیکیوں 2:9
35 حوالہ جات  

और जब मैं आपके पास था और ज़रूरतमंद था तो मैं किसी पर बोझ न बना, क्योंकि जो भाई मकिदुनिया से आए उन्होंने मेरी ज़रूरियात पूरी कीं। माज़ी में मैं आप पर बोझ न बना और आइंदा भी नहीं बनूँगा।


और चूँकि उनका पेशा भी ख़ैमे सिलाई करना था इसलिए वह उनके घर ठहरकर रोज़ी कमाने लगा।


मैं आपके लिए ख़ुदा का शुक्र करता हूँ जिसकी ख़िदमत मैं अपने बापदादा की तरह साफ़ ज़मीर से करता हूँ। दिन-रात मैं लगातार आपको अपनी दुआओं में याद रखता हूँ।


जो औरत वाक़ई ज़रूरतमंद बेवा और तनहा रह गई है वह अपनी उम्मीद अल्लाह पर रखकर दिन-रात अपनी इल्तिजाओं और दुआओं में लगी रहती है।


यही वजह है कि हम मेहनत-मशक़्क़त और जाँफ़िशानी करते रहते हैं, क्योंकि हमने अपनी उम्मीद ज़िंदा ख़ुदा पर रखी है जो तमाम इनसानों का नजातदहिंदा है, ख़ासकर ईमान रखनेवालों का।


हम इस मक़सद से काम नहीं कर रहे थे कि लोग हमारी इज़्ज़त करें, ख़ाह आप हों या दीगर लोग।


तो फिर मेरा अज्र क्या है? यह कि मैं इंजील की ख़ुशख़बरी मुफ़्त सुनाऊँ और अपने उस हक़ से फ़ायदा न उठाऊँ जो मुझे उस की मुनादी करने से हासिल है।


लेकिन मैंने किसी तरह भी इससे फ़ायदा नहीं उठाया, और न इसलिए लिखा है कि मेरे साथ ऐसा सुलूक किया जाए। नहीं, इससे पहले कि फ़ख़र करने का मेरा यह हक़ मुझसे छीन लिया जाए बेहतर यह है कि मैं मर जाऊँ।


इसलिए जागते रहें! यह बात ज़हन में रखें कि मैं तीन साल के दौरान दिन-रात हर एक को समझाने से बाज़ न आया। मेरे आँसुओं को याद रखें जो मैंने आपके लिए बहाए हैं।


रोज़ाना एक बैल, छः बेहतरीन भेड़-बकरियाँ और बहुत-से परिंदे मेरे लिए ज़बह करके तैयार किए जाते, और दस दस दिन के बाद हमें कई क़िस्म की बहुत-सी मै ख़रीदनी पड़ती थी। इन अख़राजात के बावुजूद मैंने गवर्नर के लिए मुक़र्ररा वज़ीफ़ा न माँगा, क्योंकि क़ौम पर बोझ वैसे भी बहुत ज़्यादा था।


असल में माज़ी के गवर्नरों ने क़ौम पर बड़ा बोझ डाल दिया था। उन्होंने रिआया से न सिर्फ़ रोटी और मै बल्कि फ़ी दिन चाँदी के 40 सिक्के भी लिए थे। उनके अफ़सरों ने भी आम लोगों से ग़लत फ़ायदा उठाया था। लेकिन चूँकि मैं अल्लाह का ख़ौफ़ मानता था, इसलिए मैंने उनसे ऐसा सुलूक न किया।


और सेहतबख़्श तालीम क्या है? वह जो मुबारक ख़ुदा की उस जलाली ख़ुशख़बरी में पाई जाती है जो मेरे सुपुर्द की गई है।


दिन-रात हम बड़ी संजीदगी से दुआ करते रहते हैं कि आपसे दुबारा मिलकर वह कमियाँ पूरी करें जो आपके ईमान में अब तक रह गई हैं।


आप उस दुख से भी वाक़िफ़ हैं जो हमें आपके पास आने से पहले सहना पड़ा, कि फ़िलिप्पी शहर में हमारे साथ कितनी बदसुलूकी हुई थी। तो भी हमने अपने ख़ुदा की मदद से आपको उस की ख़ुशख़बरी सुनाने की जुर्रत की हालाँकि बहुत मुख़ालफ़त का सामना करना पड़ा।


हमें अपने ख़ुदा बाप के हुज़ूर ख़ासकर आपका अमल, मेहनत-मशक़्क़त और साबितक़दमी याद आती रहती है। आप अपना ईमान कितनी अच्छी तरह अमल में लाए, आपने मुहब्बत की रूह में कितनी मेहनत-मशक़्क़त की और आपने कितनी साबितक़दमी दिखाई, ऐसी साबितक़दमी जो सिर्फ़ हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह पर उम्मीद ही दिला सकती है।


उस वक़्त भी जब मैं थिस्सलुनीके शहर में था आपने कई बार मेरी ज़रूरियात पूरी करने के लिए कुछ भेज दिया।


जब लोग हमें मारते और क़ैद में डालते हैं, जब हम बेकाबू हुजूमों का सामना करते हैं, जब हम मेहनत-मशक़्क़त करते, रात के वक़्त जागते और भूके रहते हैं,


और बड़ी मशक़्क़त से हम अपने हाथों से रोज़ी कमाते हैं। लान-तान करनेवालों को हम बरकत देते हैं, ईज़ा देनेवालों को बरदाश्त करते हैं।


इलाही निशानों और मोजिज़ों की क़ुव्वत से और अल्लाह के रूह की क़ुदरत से सरंजाम दिया है। यों मैंने यरूशलम से लेकर सूबा इल्लुरिकुम तक सफ़र करते करते अल्लाह की ख़ुशख़बरी फैलाने की ख़िदमत पूरी की है।


आप ग़ैरयहूदियों के लिए मसीह ईसा का ख़ादिम हूँ। और मैं अल्लाह की ख़ुशख़बरी फैलाने में बैतुल-मुक़द्दस के इमाम की-सी ख़िदमत सरंजाम देता हूँ ताकि आप एक ऐसी क़ुरबानी बन जाएँ जो अल्लाह को पसंद आए और जिसे रूहुल-क़ुद्स ने उसके लिए मख़सूसो-मुक़द्दस किया हो।


यह ख़त मसीह ईसा के ग़ुलाम पौलुस की तरफ़ से है जिसे रसूल होने के लिए बुलाया और अल्लाह की ख़ुशख़बरी की मुनादी करने के लिए अलग किया गया है।


अगर उसने आख़िरकार इनसाफ़ किया तो क्या अल्लाह अपने चुने हुए लोगों का इनसाफ़ नहीं करेगा जो दिन-रात उसे मदद के लिए पुकारते हैं? क्या वह उनकी बात मुलतवी करता रहेगा?


अब वह बेवा की हैसियत से 84 साल की हो चुकी थी। वह कभी बैतुल-मुक़द्दस को नहीं छोड़ती थी, बल्कि दिन-रात अल्लाह को सिजदा करती, रोज़ा रखती और दुआ करती थी।


काश मेरा सर पानी का मंबा और मेरी आँखें आँसुओं का चश्मा हों ताकि मैं दिन-रात अपनी क़ौम के मक़तूलों पर आहो-ज़ारी कर सकूँ।


क़ोरह की औलाद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। तर्ज़ : महलत लअन्नोत। हैमान इज़राही का हिकमत का गीत। ऐ रब, ऐ मेरी नजात के ख़ुदा, दिन-रात मैं तेरे हुज़ूर चीख़ता-चिल्लाता हूँ।


क्योंकि दिन-रात मैं तेरे हाथ के बोझ तले पिसता रहा, मेरी ताक़त गोया मौसमे-गरमा की झुलसती तपिश में जाती रही। (सिलाह)


ख़ैर, मैं अपनी ज़िंदगी को किसी तरह भी अहम नहीं समझता। अहम बात सिर्फ़ यह है कि मैं अपना वह मिशन और ज़िम्मादारी पूरी करूँ जो ख़ुदावंद ईसा ने मेरे सुपुर्द की है। और वह ज़िम्मादारी यह है कि मैं लोगों को गवाही देकर यह ख़ुशख़बरी सुनाऊँ कि अल्लाह ने अपने फ़ज़ल से उनके लिए क्या कुछ किया है।


क्या हमें खाने-पीने का हक़ नहीं?


मैंने जाँफ़िशानी से सख़्त मेहनत-मशक़्क़त की है और कई रात जागता रहा हूँ, मैं भूका और प्यासा रहा हूँ, मैंने बहुत रोज़े रखे हैं। मुझे सर्दी और नंगेपन का तजरबा हुआ है।


क्यों न हम दरियाए-यरदन पर जाएँ और हर आदमी वहाँ से शहतीर ले आए ताकि हम रहने की नई जगह बना सकें।” इलीशा बोला, “ठीक है, जाएँ।”


वह महसूस करती है, “मेरा कारोबार फ़ायदामंद है,” इसलिए उसका चराग़ रात के वक़्त भी नहीं बुझता।


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