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۱-سموئیل 7:17 - किताबे-मुक़द्दस

17 इसके बाद वह दुबारा रामा अपने घर वापस आ जाता जहाँ मुस्तक़िल कचहरी थी। वहाँ उसने रब के लिए क़ुरबानगाह भी बनाई थी।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

17 لیکن وہ ہمیشہ رامہؔ کو جہاں اُن کا گھر تھا واپس چلے جاتے تھے اَور وہاں بھی وہ بنی اِسرائیل کی عدالت کرتے تھے۔ وہیں اُنہُوں نے یَاہوِہ کے لیٔے ایک مذبح بنایا۔

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کِتابِ مُقادّس

17 پِھر وہ رامہ کو لَوٹ آتا کیونکہ وہاں اُس کا گھر تھا اور وہاں اِسرائیلؔ کی عدالت کرتا تھا اور وہِیں اُس نے خُداوند کے لِئے ایک مذبح بنایا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

17 اِس کے بعد وہ دوبارہ رامہ اپنے گھر واپس آ جاتا جہاں مستقل کچہری تھی۔ وہاں اُس نے رب کے لئے قربان گاہ بھی بنائی تھی۔

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۱-سموئیل 7:17
18 حوالہ جات  

अगले दिन पूरा ख़ानदान सुबह-सवेरे उठा। उन्होंने मक़दिस में जाकर रब की परस्तिश की, फिर रामा वापस चले गए जहाँ उनका घर था। और रब ने हन्ना को याद करके उस की दुआ सुनी।


फिर इसराईल के बुज़ुर्ग मिलकर समुएल के पास आए, जो रामा में था।


इफ़राईम के पहाड़ी इलाक़े के शहर रामातायम-सोफ़ीम यानी रामा में एक इफ़राईमी रहता था जिसका नाम इलक़ाना बिन यरोहाम बिन इलीहू बिन तूख़ू बिन सूफ़ था।


चुनाँचे तमाम लोगों ने जिलजाल जाकर रब के हुज़ूर इसकी तसदीक़ की कि साऊल हमारा बादशाह है। इसके बाद उन्होंने रब के हुज़ूर सलामती की क़ुरबानियाँ पेश करके बड़ा जशन मनाया।


याक़ूब ने वहाँ क़ुरबानगाह बनाकर मक़ाम का नाम बैतेल यानी ‘अल्लाह का घर’ रखा। क्योंकि वहाँ अल्लाह ने अपने आपको उस पर ज़ाहिर किया था जब वह अपने भाई से फ़रार हो रहा था।


वहाँ उसने क़ुरबानगाह बनाई जिसका नाम उसने ‘एल ख़ुदाए-इसराईल’ रखा।


फिर इलक़ाना और हन्ना रामा में अपने घर वापस चले गए। लेकिन उनका बेटा एली इमाम के पास रहा और मक़दिस में रब की ख़िदमत करने लगा।


लड़कियों ने जवाब दिया, “जी, वह अभी अभी पहुँचा है, क्योंकि शहर के लोग आज पहाड़ी पर क़ुरबानियाँ चढ़ाकर ईद मना रहे हैं। अगर जल्दी करें तो पहाड़ी पर चढ़ने से पहले उससे मुलाक़ात हो जाएगी। उस वक़्त तक ज़ियाफ़त शुरू नहीं होगी जब तक ग़ैबबीन पहुँच न जाए। क्योंकि उसे पहले खाने को बरकत देना है, फिर ही मेहमानों को खाना खाने की इजाज़त है। अब जाएँ, क्योंकि इसी वक़्त आप उससे बात कर सकते हैं।”


वहाँ साऊल ने पहली दफ़ा रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई।


फिर वह रामा वापस चला गया, और साऊल अपने घर गया जो जिबिया में था।


उस वक़्त समुएल इंतक़ाल कर चुका था, और पूरे इसराईल ने उसका मातम करके उसे उसके आबाई शहर रामा में दफ़नाया था। उन दिनों में इसराईल में मुरदों से राबिता करनेवाले और ग़ैबदान नहीं थे, क्योंकि साऊल ने उन्हें पूरे मुल्क से निकाल दिया था।


दर्रे को पार करके वह कहते हैं, “आज हम रात को जिबा में गुज़ारेंगे।” रामा थरथरा रहा और साऊल का शहर जिबिया भाग गया है।


और वह ‘दबोरा के खजूर’ के पास रहती थी जो इफ़राईम के पहाड़ी इलाक़े में रामा और बैतेल के दरमियान था। इस दरख़्त के साये में वह इसराईलियों के मामलात के फ़ैसले किया करती थी।


वहीं जिदौन ने रब के लिए क़ुरबानगाह बनाई और उसका नाम ‘रब सलामत है’ रखा। यह आज तक अबियज़र के ख़ानदान के शहर उफ़रा में मौजूद है।


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