Biblia Todo Logo
آن لائن بائبل

- اشتہارات -




۱-سموئیل 3:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 छोटा समुएल एली के ज़ेरे-निगरानी रब के हुज़ूर ख़िदमत करता था। उन दिनों में रब की तरफ़ से बहुत कम पैग़ाम या रोयाएँ मिलती थीं।

باب دیکھیں کاپی

اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 اَور اُس لڑکے شموایلؔ نے عیلیؔ کے ماتحت یَاہوِہ کے حُضُور میں خدمت کی۔ اُن ایّام میں یَاہوِہ کا کلام کم ہی نازل ہوتا تھا اَور رُویا بھی عام نہ تھی۔

باب دیکھیں کاپی

کِتابِ مُقادّس

1 اور وہ لڑکا سموئیل عیلی کے سامنے خُداوند کی خِدمت کرتا تھا اور اُن دِنوں خُداوند کا کلام گِران قدر تھا۔ کوئی رویا برملا نہ ہوتی تھی۔

باب دیکھیں کاپی

ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 چھوٹا سموایل عیلی کے زیرِ نگرانی رب کے حضور خدمت کرتا تھا۔ اُن دنوں میں رب کی طرف سے بہت کم پیغام یا رویائیں ملتی تھیں۔

باب دیکھیں کاپی




۱-سموئیل 3:1
11 حوالہ جات  

अब हम पर कोई इलाही निशान ज़ाहिर नहीं होता। न कोई नबी हमारे पास रह गया, न कोई और मौजूद है जो जानता हो कि ऐसे हालात कब तक रहेंगे।


अगले सालों में भी रब सैला में अपने कलाम से समुएल पर ज़ाहिर होता रहा।


फिर इलक़ाना और हन्ना रामा में अपने घर वापस चले गए। लेकिन उनका बेटा एली इमाम के पास रहा और मक़दिस में रब की ख़िदमत करने लगा।


लेकिन छोटा समुएल रब के हुज़ूर ख़िदमत करता रहा। उसे भी दूसरे इमामों की तरह कतान का बालापोश दिया गया था।


लोग ख़ालिस सोने से कहीं ज़्यादा नायाब होंगे, इनसान ओफ़ीर के क़ीमती सोने की निसबत कहीं ज़्यादा कमयाब होगा।


इसके बाद समुएल सुबह तक अपने बिस्तर पर लेटा रहा। फिर वह मामूल के मुताबिक़ उठा और रब के घर के दरवाज़े खोल दिए। वह एली को अपनी रोया बताने से डरता था,


तब मैं अपने लिए एक इमाम खड़ा करूँगा जो वफ़ादार रहेगा। जो भी मेरा दिल और मेरी जान चाहेगी वही वह करेगा। मैं उसके घर की मज़बूत बुनियादें रखूँगा, और वह हमेशा तक मेरे मसह किए हुए ख़ादिम के हुज़ूर आता जाता रहेगा।


उस वक़्त तेरे घर के बचे हुए तमाम अफ़राद उस इमाम के सामने झुक जाएंगे और पैसे और रोटी माँगकर इलतमास करेंगे, ‘मुझे इमाम की कोई न कोई ज़िम्मादारी दें ताकि रोटी का टुकड़ा मिल जाए’।”


जहाँ रोया नहीं वहाँ क़ौम बेलगाम हो जाती है, लेकिन मुबारक है वह जो शरीअत के ताबे रहता है।


आफ़त पर आफ़त ही उन पर आएगी, यके बाद दीगरे बुरी ख़बरें उन तक पहुँचेंगी। वह नबी से रोया मिलने की उम्मीद करेंगे, लेकिन बेफ़ायदा। न इमाम उन्हें शरीअत की तालीम, न बुज़ुर्ग उन्हें मशवरा दे सकेंगे।


ہمیں فالو کریں:

اشتہارات


اشتہارات