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۱-سموئیل 26:10 - किताबे-मुक़द्दस

10 रब की हयात की क़सम, रब ख़ुद साऊल की मौत मुक़र्रर करेगा, ख़ाह वह बूढ़ा होकर मर जाए, ख़ाह जंग में लड़ते हुए।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

10 داویؔد نے کہا، ”یَاہوِہ کی حیات کی قَسم، یَاہوِہ خُود ہی اُسے ماریں گے یا اُس کے اِنتقال کا وقت آئے گا اَور وہ مَر جائے گا، یا وہ جنگ میں جائے گا اَور فنا ہو جائے گا۔

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کِتابِ مُقادّس

10 اور داؤُد نے یہ بھی کہا کہ خُداوند کی حیات کی قَسم خُداوند آپ اُس کو مارے گا یا اُس کی مَوت کا دِن آئے گا یا وہ جنگ میں جا کر مَر جائے گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

10 رب کی حیات کی قَسم، رب خود ساؤل کی موت مقرر کرے گا، خواہ وہ بوڑھا ہو کر مر جائے، خواہ جنگ میں لڑتے ہوئے۔

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۱-سموئیل 26:10
23 حوالہ جات  

रब ने मूसा से कहा, “अब तेरी मौत क़रीब है। यशुअ को बुलाकर उसके साथ मुलाक़ात के ख़ैमे में हाज़िर हो जा। वहाँ मैं उसे उस की ज़िम्मादारियाँ सौंपूँगा।” मूसा और यशुअ आकर ख़ैमे में हाज़िर हुए


जब मरने का वक़्त क़रीब आया तो उसने यूसुफ़ को बुलाकर कहा, “मेहरबानी करके अपना हाथ मेरी रान के नीचे रखकर क़सम खा कि तू मुझ पर शफ़क़त और वफ़ादारी का इस तरह इज़हार करेगा कि मुझे मिसर में दफ़न नहीं करेगा।


अज़ीज़ो, इंतक़ाम मत लें बल्कि अल्लाह के ग़ज़ब को बदला लेने का मौक़ा दें। क्योंकि कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “रब फ़रमाता है, इंतक़ाम लेना मेरा ही काम है, मैं ही बदला लूँगा।”


लेकिन रब उस पर हँसता है, क्योंकि वह जानता है कि उसका अंजाम क़रीब ही है।


यों उस दिन साऊल, उसके तीन बेटे, उसका सिलाहबरदार और उसके तमाम आदमी हलाक हो गए।


दस दिन के बाद रब ने उसे मरने दिया।


लेकिन रब की और आपकी हयात की क़सम, रब ने आपको अपने हाथों से बदला लेने और क़ातिल बनने से बचाया है। और अल्लाह करे कि जो भी आपसे दुश्मनी रखते और आपको नुक़सान पहुँचाना चाहते हैं उन्हें नाबाल की-सी सज़ा मिल जाए।


इंतक़ाम लेना मेरा ही काम है, मैं ही बदला लूँगा। एक वक़्त आएगा कि उनका पाँव फिसलेगा। क्योंकि उनकी तबाही का दिन क़रीब है, उनका अंजाम जल्द ही आनेवाला है।”


इस वजह से एक दिन यह बलाएँ यानी मौत, मातम और काल उस पर आन पड़ेंगी। वह भस्म हो जाएगी, क्योंकि उस की अदालत करनेवाला रब ख़ुदा क़वी है।”


एक बार मरना और अल्लाह की अदालत में हाज़िर होना हर इनसान के लिए मुक़र्रर है।


अगर उसने आख़िरकार इनसाफ़ किया तो क्या अल्लाह अपने चुने हुए लोगों का इनसाफ़ नहीं करेगा जो दिन-रात उसे मदद के लिए पुकारते हैं? क्या वह उनकी बात मुलतवी करता रहेगा?


जन्म लेने और मरने का, पौदा लगाने और उखाड़ने का,


वह उनकी नाइनसाफ़ी उन पर वापस आने देगा और उनकी शरीर हरकतों के जवाब में उन्हें तबाह करेगा। रब हमारा ख़ुदा उन्हें नेस्त करेगा।


मज़ीद थोड़ी देर सब्र कर तो बेदीन का नामो-निशान मिट जाएगा। तू उसका खोज लगाएगा, लेकिन कहीं नहीं पाएगा।


(क्योंकि अगर इनसान मर जाए तो क्या वह दुबारा ज़िंदा हो जाएगा?) फिर मैं अपनी सख़्त ख़िदमत के तमाम दिन बरदाश्त करता, उस वक़्त तक इंतज़ार करता जब तक मेरी सबुकदोशी न हो जाती।


इनसान की उम्र तो मुक़र्रर हुई है, उसके महीनों की तादाद तुझे मालूम है, क्योंकि तू ही ने उसके दिनों की वह हद बाँधी है जिससे आगे वह बढ़ नहीं सकता।


इनसान दुनिया में सख़्त ख़िदमत करने पर मजबूर होता है, जीते-जी वह मज़दूर की-सी ज़िंदगी गुज़ारता है।


रब हमारा मुंसिफ़ हो। वही हम दोनों का फ़ैसला करे। वह मेरे मामले पर ध्यान दे, मेरे हक़ में बात करे और मुझे बेइलज़ाम ठहराकर आपके हाथ से बचाए।”


क्योंकि हम उसे जानते हैं जिसने फ़रमाया, “इंतक़ाम लेना मेरा ही काम है, मैं ही बदला लूँगा।” उसने यह भी कहा, “रब अपनी क़ौम का इनसाफ़ करेगा।”


रब ख़ुद फ़ैसला करे कि किससे ग़लती हो रही है, आपसे या मुझ से। वही आपसे मेरा बदला ले। लेकिन ख़ुद मैं कभी आप पर हाथ नहीं उठाऊँगा।


जब दाऊद को नाबाल की मौत की ख़बर मिल गई तो वह पुकारा, “रब की तारीफ़ हो जिसने मेरे लिए नाबाल से लड़कर मेरी बेइज़्ज़ती का बदला लिया है। उस की मेहरबानी है कि मैं ग़लत काम करने से बच गया हूँ जबकि नाबाल की बुराई उसके अपने सर पर आ गई है।” कुछ देर के बाद दाऊद ने अपने लोगों को अबीजेल के पास भेजा ताकि वह दाऊद की उसके साथ शादी की दरख़ास्त पेश करें।


उसने अपने सिलाहबरदार को हुक्म दिया, “अपनी तलवार मियान से खींचकर मुझे मार डाल, वरना यह नामख़तून मुझे छेदकर बेइज़्ज़त करेंगे।” लेकिन सिलाहबरदार ने इनकार किया, क्योंकि वह बहुत डरा हुआ था। आख़िर में साऊल अपनी तलवार लेकर ख़ुद उस पर गिर गया।


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