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۱-سموئیل 25:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 उन दिनों में समुएल फ़ौत हुआ। तमाम इसराईल रामा में जनाज़े के लिए जमा हुआ। उसका मातम करते हुए उन्होंने उसे उस की ख़ानदानी क़ब्र में दफ़न किया। उन दिनों में दाऊद दश्ते-फ़ारान में चला गया।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 اَور اَیسا ہُوا کہ شموایلؔ وفات کی ہو گئی اَور سَب اِسرائیلیوں نے جمع ہوکر اُن کا ماتم کیا اَور اُنہُوں نے اُنہیں رامہؔ میں اُن کے گھر میں دفن کیا۔ تَب داویؔد پارانؔ کے بیابان میں چلےگئے۔

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کِتابِ مُقادّس

1 اور سموئیل مَر گیا اور سب اِسرائیلی جمع ہُوئے اور اُنہوں نے اُس پر نَوحہ کِیا اور اُسے رامہ میں اُسی کے گھر میں دفن کِیا اور داؤُد اُٹھ کر دشتِ فاراؔن کو چلا گیا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 اُن دنوں میں سموایل فوت ہوا۔ تمام اسرائیل رامہ میں جنازے کے لئے جمع ہوا۔ اُس کا ماتم کرتے ہوئے اُنہوں نے اُسے اُس کی خاندانی قبر میں دفن کیا۔ اُن دنوں میں داؤد دشتِ فاران میں چلا گیا۔

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۱-سموئیل 25:1
20 حوالہ جات  

उस वक़्त समुएल इंतक़ाल कर चुका था, और पूरे इसराईल ने उसका मातम करके उसे उसके आबाई शहर रामा में दफ़नाया था। उन दिनों में इसराईल में मुरदों से राबिता करनेवाले और ग़ैबदान नहीं थे, क्योंकि साऊल ने उन्हें पूरे मुल्क से निकाल दिया था।


इसराईलियों ने मोआब के मैदानी इलाक़े में 30 दिन तक उसका मातम किया।


जब पूरी जमात को मालूम हुआ कि हारून इंतक़ाल कर गया है तो सबने 30 दिन तक उसके लिए मातम किया।


जब मनस्सी मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे उसके महल में दफ़न किया गया। फिर उसका बेटा अमून तख़्तनशीन हुआ।


कुछ ख़ुदातरस आदमियों ने स्तिफ़नुस को दफ़न करके रो रोकर उसका मातम किया।


फिर इसराईली मुक़र्ररा तरतीब के मुताबिक़ दश्ते-सीना से रवाना हुए। चलते चलते बादल फ़ारान के रेगिस्तान में उतर आया।


जब वह फ़ारान के रेगिस्तान में रहता था तो उस की माँ ने उसे एक मिसरी औरत से ब्याह दिया।


तब बिनायाह ने मुक़द्दस ख़ैमे में जाकर योआब को मार दिया। उसे यहूदाह के बयाबान में उस की अपनी ज़मीन में दफ़ना दिया गया।


मूसा ने रब के कहने पर उन्हें दश्ते-फ़ारान से भेजा। सब इसराईली राहनुमा थे।


दीगर ममालिक के तमाम बादशाह बड़ी इज़्ज़त के साथ अपने अपने मक़बरों में पड़े हुए हैं।


मुझ पर अफ़सोस! मुझे अजनबी मुल्क मसक में, क़ीदार के ख़ैमों के पास रहना पड़ता है।


इसके बाद वह दुबारा रामा अपने घर वापस आ जाता जहाँ मुस्तक़िल कचहरी थी। वहाँ उसने रब के लिए क़ुरबानगाह भी बनाई थी।


वह मूसा, हारून और इसराईल की पूरी जमात के पास आए जो दश्ते-फ़ारान में क़ादिस की जगह पर इंतज़ार कर रहे थे। वहाँ उन्होंने सब कुछ बताया जो उन्होंने मालूम किया था और उन्हें वह फल दिखाए जो लेकर आए थे।


जब वह वापस आई तो इसराईली हसीरात से रवाना होकर फ़ारान के रेगिस्तान में ख़ैमाज़न हुए।


जब मक़ामी कनानियों ने अतद के खलियान पर मातम का यह नज़ारा देखा तो उन्होंने कहा, “यह तो मातम का बहुत बड़ा इंतज़ाम है जो मिसरी करवा रहे हैं।” इसलिए उस जगह का नाम अबील-मिसरीम यानी ‘मिसरियों का मातम’ पड़ गया।


और होरियों को उनके पहाड़ी इलाक़े सईर में शिकस्त दी। यों वह एल-फ़ारान तक पहुँच गए जो रेगिस्तान के किनारे पर है।


जब वह मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे उसके महल के बाग़ में दफ़नाया गया जो उज़्ज़ा का बाग़ कहलाता है। फिर उसका बेटा अमून तख़्तनशीन हुआ।


उस ज़माने में हबरून का नाम क़िरियत-अरबा था, और वह मुल्के-कनान में था। इब्राहीम ने उसके पास आकर मातम किया।


अगले दिन पूरा ख़ानदान सुबह-सवेरे उठा। उन्होंने मक़दिस में जाकर रब की परस्तिश की, फिर रामा वापस चले गए जहाँ उनका घर था। और रब ने हन्ना को याद करके उस की दुआ सुनी।


अब तुम्हारे बापदादा कहाँ हैं? और क्या नबी अबद तक ज़िंदा रहते हैं? दोनों बहुत देर हुई वफ़ात पा चुके हैं।


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