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۱-سموئیل 2:36 - किताबे-मुक़द्दस

36 उस वक़्त तेरे घर के बचे हुए तमाम अफ़राद उस इमाम के सामने झुक जाएंगे और पैसे और रोटी माँगकर इलतमास करेंगे, ‘मुझे इमाम की कोई न कोई ज़िम्मादारी दें ताकि रोटी का टुकड़ा मिल जाए’।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

36 تَب ہر ایک جو تیرے گھرانے میں بچا رہ جائے گا ایک ٹکڑے چاندی اَور ایک ٹکیا روٹی کے لیٔے اُس کے سامنے آکر سَجدہ کرےگا اَور اِلتجا کرےگا، ”کہانت کا کویٔی کام مُجھے بھی دیا جائے تاکہ کھانے کے لیٔے مُجھے روٹی مُیسّر ہو سکے۔“ ‘ “

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کِتابِ مُقادّس

36 اور اَیسا ہو گا کہ ہر ایک شخص جو تیرے گھر میں بچ رہے گا ایک ٹُکڑے چاندی اور روٹی کے ایک گِردے کے لِئے اُس کے سامنے آ کر سِجدہ کرے گا اور کہے گا کہ کہانت کا کوئی کام مُجھے دِیجئے تاکہ مَیں روٹی کا نوالہ کھا سکُوں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

36 اُس وقت تیرے گھر کے بچے ہوئے تمام افراد اُس امام کے سامنے جھک جائیں گے اور پیسے اور روٹی مانگ کر التماس کریں گے، مجھے امام کی کوئی نہ کوئی ذمہ داری دیں تاکہ روٹی کا ٹکڑا مل جائے‘۔“

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۱-سموئیل 2:36
9 حوالہ جات  

यह कहकर सुलेमान ने अबियातर का रब के हुज़ूर इमाम की ख़िदमत सरंजाम देने का हक़ मनसूख़ कर दिया। यों रब की वह पेशगोई पूरी हुई जो उसने सैला में एली के घराने के बारे में की थी।


तुम शिकायत करते हो, ‘हाय, यह ख़िदमत कितनी तकलीफ़देह है!’ और क़ुरबानी की आग को हिक़ारत की नज़रों से देखते हुए तेज़ करते हो। हर क़िस्म का जानवर पेश किया जाता है, ख़ाह वह ज़ख़मी, लँगड़ा या बीमार क्यों न हो।” रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “क्या मैं तुम्हारे हाथों से ऐसी क़ुरबानियाँ क़बूल कर सकता हूँ? हरगिज़ नहीं!


तब मैं अपने लिए एक इमाम खड़ा करूँगा जो वफ़ादार रहेगा। जो भी मेरा दिल और मेरी जान चाहेगी वही वह करेगा। मैं उसके घर की मज़बूत बुनियादें रखूँगा, और वह हमेशा तक मेरे मसह किए हुए ख़ादिम के हुज़ूर आता जाता रहेगा।


छोटा समुएल एली के ज़ेरे-निगरानी रब के हुज़ूर ख़िदमत करता था। उन दिनों में रब की तरफ़ से बहुत कम पैग़ाम या रोयाएँ मिलती थीं।


शरीरों को नेकों के सामने झुकना पड़ेगा, और बेदीनों को रास्तबाज़ के दरवाज़े पर औंधे मुँह होना पड़ेगा।


मीकाह बोला, “यहाँ मेरे पास अपना घर बनाकर मेरे बाप और इमाम बनें। तब आपको साल में चाँदी के दस सिक्के और ज़रूरत के मुताबिक़ कपड़े और ख़ुराक मिलेगी।”


जिन इमामों ने ऊँची जगहों पर ख़िदमत की थी उन्हें यरूशलम में रब के हुज़ूर क़ुरबानियाँ पेश करने की इजाज़त नहीं थी। लेकिन वह बाक़ी इमामों की तरह बेख़मीरी रोटी के लिए मख़सूस रोटी खा सकते थे।


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