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۱-سموئیل 17:18 - किताबे-मुक़द्दस

18 पनीर की यह दस टिक्कियाँ उनके कप्तान को दे देना। भाइयों का हाल मालूम करके उनकी कोई चीज़ वापस ले आओ ताकि मुझे तसल्ली हो जाए कि वह ठीक हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

18 اَور اُن کی پلٹن کے سردار کے لیٔے پنیر کی دس ٹکیاں بھی ساتھ لیتا جا اَور دیکھنا تیرے بھائیوں کا کیا حال ہے اَور اُن کی طرف سے کویٔی نِشانی لے کر واپس آنا۔

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کِتابِ مُقادّس

18 اور اُن کے ہزاری سردار کے پاس پنِیر کی یہ دس ٹِکیاں لے جا اور دیکھ کہ تیرے بھائِیوں کا کیا حال ہے اور اُن کی کُچھ نِشانی لے آ۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

18 پنیر کی یہ دس ٹکیاں اُن کے کپتان کو دے دینا۔ بھائیوں کا حال معلوم کر کے اُن کی کوئی چیز واپس لے آؤ تاکہ مجھے تسلی ہو جائے کہ وہ ٹھیک ہیں۔

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۱-سموئیل 17:18
13 حوالہ جات  

याक़ूब ने कहा, “जाकर मालूम कर कि तेरे भाई और उनके साथ के रेवड़ ख़ैरियत से हैं कि नहीं। फिर वापस आकर मुझे बता देना।” चुनाँचे उसके बाप ने उसे वादीए-हबरून से भेज दिया, और यूसुफ़ सिकम पहुँच गया।


यह सुनकर यस्सी ने रोटी, मै का मशकीज़ा और एक जवान बकरी गधे पर लादकर दाऊद के हवाले कर दी और उसे साऊल के दरबार में भेज दिया।


कुछ दिनों के बाद पौलुस ने बरनबास से कहा, “आओ, हम मुड़कर उन तमाम शहरों में जाएँ जहाँ हमने ख़ुदावंद के कलाम की मुनादी की है और वहाँ के भाइयों से मुलाक़ात करके उनका हाल मालूम करें।”


तूने ख़ुद मुझे दूध की तरह उंडेलकर पनीर की तरह जमने दिया।


शहद, दही, भेड़-बकरियाँ और गाय के दूध का पनीर मुहैया किया। क्योंकि उन्होंने सोचा, “यह लोग रेगिस्तान में चलते चलते ज़रूर भूके, प्यासे और थकेमाँदे हो गए होंगे।”


तो याक़ूब ने यूसुफ़ से कहा, “तेरे भाई सिकम में रेवड़ों को चरा रहे हैं। आ, मैं तुझे उनके पास भेज देता हूँ।” यूसुफ़ ने जवाब दिया, “ठीक है।”


वह वादीए-ऐला में साऊल और इसराईली फ़ौज के साथ फ़िलिस्तियों से लड़ रहे हैं।”


मूसा अपने सुसर के इस्तक़बाल के लिए बाहर निकला, उसके सामने झुका और उसे बोसा दिया। दोनों ने एक दूसरे का हाल पूछा, फिर ख़ैमे में चले गए।


पाँचों ने मीकाह के घर में दाख़िल होकर जवान लावी को सलाम किया


तो उसने 10 जवानों को भेजकर कहा, “करमिल जाकर नाबाल से मिलें और उसे मेरा सलाम दें।


जब दाऊद अपने आदमियों के साथ वापस आ रहा था तो जो 200 आदमी निढाल होने के बाइस बसोर नदी से आगे न जा सके वह भी उनसे आ मिले। दाऊद ने सलाम करके उनका हाल पूछा।


हर दिन मर्दकी ज़नानख़ाने के सहन से गुज़रता ताकि आस्तर के हाल का पता करे और यह कि उसके साथ क्या क्या हो रहा है।


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