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۱-سموئیل 1:3 - किताबे-मुक़द्दस

3 इलक़ाना हर साल अपने ख़ानदान समेत सफ़र करके सैला के मक़दिस के पास जाता ताकि वहाँ रब्बुल-अफ़वाज के हुज़ूर क़ुरबानी गुज़राने और उस की परस्तिश करे। उन दिनों में एली इमाम के दो बेटे हुफ़नी और फ़ीनहास सैला में इमाम की ख़िदमत अंजाम देते थे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

3 یہ آدمی ہر سال اَپنے شہر سے شیلوہؔ میں جہاں عیلیؔ کے دو بیٹے حُفنیؔ اَور فِنحاسؔ یَاہوِہ کے کاہِنؔ تھے قادرمُطلق یَاہوِہ کے حُضُور سَجدہ کرنے اَور قُربانی گزراننے کو جاتے تھے۔

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کِتابِ مُقادّس

3 یہ شخص ہر سال اپنے شہر سے سَیلا میں ربُّ الافواج کے حضُور سِجدہ کرنے اور قُربانی گُذراننے کو جاتا تھا اور عیلی کے دونوں بیٹے حُفنی اور فِینحاؔس جو خُداوند کے کاہِن تھے وہِیں رہتے تھے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

3 اِلقانہ ہر سال اپنے خاندان سمیت سفر کر کے سَیلا کے مقدِس کے پاس جاتا تاکہ وہاں رب الافواج کے حضور قربانی گزرانے اور اُس کی پرستش کرے۔ اُن دنوں میں عیلی امام کے دو بیٹے حُفنی اور فینحاس سَیلا میں امام کی خدمت انجام دیتے تھے۔

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۱-سموئیل 1:3
22 حوالہ جات  

ईसा के वालिदैन हर साल फ़सह की ईद के लिए यरूशलम जाया करते थे।


कनान पर ग़ालिब आने के बाद इसराईल की पूरी जमात सैला शहर में जमा हुई। वहाँ उन्होंने मुलाक़ात का ख़ैमा खड़ा किया।


लाज़िम है कि तेरे तमाम मर्द साल में तीन मरतबा रब क़ादिरे-मुतलक़ के सामने जो इसराईल का ख़ुदा है हाज़िर हों।


साल में तीन दफ़ा मेरी ताज़ीम में ईद मनाना।


अगले साल इलक़ाना ख़ानदान के साथ मामूल के मुताबिक़ सैला गया ताकि रब को सालाना क़ुरबानी पेश करे और अपनी मन्नत पूरी करे।


एक दिन जब वह सैला में थे तो हन्ना खाने-पीने के बाद दुआ करने के लिए उठी। एली इमाम रब के मक़दिस के दरवाज़े के पास कुरसी पर बैठा था।


इसराईल के तमाम मर्द साल में तीन मरतबा उस मक़दिस पर हाज़िर हो जाएँ जो रब तेरा ख़ुदा चुनेगा यानी बेख़मीरी रोटी की ईद, फ़सल की कटाई की ईद और झोंपड़ियों की ईद पर। कोई भी रब के हुज़ूर ख़ाली हाथ न आए।


मीकाह का बनवाया हुआ बुत तब तक दान में रहा जब तक अल्लाह का घर सैला में था।


उसने सैला में अपनी सुकूनतगाह छोड़ दी, वह ख़ैमा जिसमें वह इनसान के दरमियान सुकूनत करता था।


एली के दो बेटे हुफ़नी और फ़ीनहास भी उसी दिन हलाक हुए, और अल्लाह के अहद का संदूक़ फ़िलिस्तियों के क़ब्ज़े में आ गया।


चुनाँचे अहद का संदूक़ जिसके ऊपर रब्बुल-अफ़वाज करूबी फ़रिश्तों के दरमियान तख़्तनशीन है सैला से लाया गया। एली के दो बेटे हुफ़नी और फ़ीनहास भी साथ आए।


मैं एली को आगाह कर चुका हूँ कि उसका घराना हमेशा तक मेरी अदालत का निशाना बना रहेगा। क्योंकि गो उसे साफ़ मालूम था कि उसके बेटे अपनी ग़लत हरकतों से मेरा ग़ज़ब अपने आप पर लाएँगे तो भी उसने उन्हें करने दिया और न रोका।


तेरे बेटे हुफ़नी और फ़ीनहास दोनों एक ही दिन हलाक हो जाएंगे। इस निशान से तुझे यक़ीन आएगा कि जो कुछ मैंने फ़रमाया है वह सच है।


यों तेरे तमाम मर्द तीन मरतबा रब क़ादिरे-मुतलक़ के हुज़ूर हाज़िर हुआ करें।


यों सोचते सोचते उन्हें आख़िरकार यह तरकीब सूझी, “कुछ देर के बाद यहाँ सैला में रब की सालाना ईद मनाई जाएगी। सैला बैतेल के शिमाल में, लबूना के जुनूब में और उस रास्ते के मशरिक़ में है जो बैतेल से सिकम तक ले जाता है।


हर साल जब उस की माँ ख़ाविंद के साथ क़ुरबानी पेश करने के लिए सैला आती तो वह नया चोग़ा सीकर उसे दे देती।


अख़ियाह इमाम भी साथ था जो इमाम का बालापोश पहने हुए था। अख़ियाह यकबोद के भाई अख़ीतूब का बेटा था। उसका दादा फ़ीनहास और परदादा एली था, जो पुराने ज़माने में सैला में रब का इमाम था। किसी को भी मालूम न था कि यूनतन चला गया है।


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