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۱-سلاطین 8:66 - किताबे-मुक़द्दस

66 दो हफ़तों के बाद सुलेमान ने इसराईलियों को रुख़सत किया। बादशाह को बरकत देकर वह अपने अपने घर चले गए। सब शादमान और दिल से ख़ुश थे कि रब ने अपने ख़ादिम दाऊद और अपनी क़ौम इसराईल पर इतनी मेहरबानी की है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

66 اَور اگلے دِن شُلومونؔ نے لوگوں کو رخصت کر دیا۔ اُنہُوں نے بادشاہ کو مُبارکباد دی اَور وہ اُس تمام نیکی کے لیٔے جو یَاہوِہ نے اَپنے خادِم داویؔد اَور اَپنی اُمّت بنی اِسرائیل کے ساتھ کی تھی اَپنے دِل میں خُوش و خُرّم اَور مسرُور ہوکر اَپنے گھر کو لَوٹ گیٔے۔

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کِتابِ مُقادّس

66 اور آٹھویں روز اُس نے اُن لوگوں کو رُخصت کر دِیا۔ سو اُنہوں نے بادشاہ کو مُبارک باد دی اور اُس ساری نیکی کے باعِث جو خُداوند نے اپنے بندہ داؤُد اور اپنی قَوم اِسرائیلؔ سے کی تھی اپنے ڈیروں کو دِل میں خُوش اور مسرُور ہو کر لَوٹ گئے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

66 دو ہفتوں کے بعد سلیمان نے اسرائیلیوں کو رُخصت کیا۔ بادشاہ کو برکت دے کر وہ اپنے اپنے گھر چلے گئے۔ سب شادمان اور دل سے خوش تھے کہ رب نے اپنے خادم داؤد اور اپنی قوم اسرائیل پر اِتنی مہربانی کی ہے۔

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۱-سلاطین 8:66
30 حوالہ جات  

हर वक़्त ख़ुदावंद में ख़ुशी मनाएँ। एक बार फिर कहता हूँ, ख़ुशी मनाएँ।


रोज़ाना वह यकदिली से बैतुल-मुक़द्दस में जमा होते रहे। साथ साथ वह मसीह की याद में अपने घरों में रोटी तोड़ते, बड़ी ख़ुशी और सादगी से रिफ़ाक़ती खाना खाते


वह कितने दिलकश और ख़ूबसूरत लगेंगे! अनाज और मै की कसरत से कुँवारे-कुँवारियाँ फलने फूलने लगेंगे।


वहाँ रब के सामने तुम, तुम्हारे बेटे-बेटियाँ, तुम्हारे ग़ुलाम और लौंडियाँ ख़ुशी मनाएँ। अपने शहरों में आबाद लावियों को भी अपनी ख़ुशी में शरीक करो, क्योंकि उनके पास मौरूसी ज़मीन नहीं होगी।


वहाँ रब अपने ख़ुदा के हुज़ूर अपने घरानों समेत खाना खाकर उन कामयाबियों की ख़ुशी मनाओ जो तुझे रब तेरे ख़ुदा की बरकत के बाइस हासिल हुई हैं।


रूहुल-क़ुद्स का फल फ़रक़ है। वह मुहब्बत, ख़ुशी, सुलह-सलामती, सब्र, मेहरबानी, नेकी, वफ़ादारी,


ऐ सिय्यून बेटी, शादियाना बजा! ऐ यरूशलम बेटी, शादमानी के नारे लगा! देख, तेरा बादशाह तेरे पास आ रहा है। वह रास्तबाज़ और फ़तहमंद है, वह हलीम है और गधे पर, हाँ गधी के बच्चे पर सवार है।


ऐ सिय्यून बेटी, ख़ुशी के नारे लगा! ऐ इसराईल, ख़ुशी मना! ऐ यरूशलम बेटी, शादमान हो, पूरे दिल से शादियाना बजा।


रब हमारे ख़ुदा के घर की ख़ातिर मैं तेरी ख़ुशहाली का तालिब रहूँगा।


यरूशलम के लिए सलामती माँगो! “जो तुझसे प्यार करते हैं वह सुकून पाएँ।


अब जाएँ, उम्दा खाना खाकर और पीने की मीठी चीज़ें पीकर ख़ुशी मनाएँ। जो अपने लिए कुछ तैयार न कर सकें उन्हें अपनी ख़ुशी में शरीक करें। यह दिन हमारे रब के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस है। उदास न हों, क्योंकि रब की ख़ुशी आपकी पनाहगाह है।”


यरूशलम में बड़ी शादमानी थी, क्योंकि ऐसी ईद दाऊद बादशाह के बेटे सुलेमान के ज़माने से लेकर उस वक़्त तक यरूशलम में मनाई नहीं गई थी।


हिज़क़ियाह और पूरी क़ौम ने ख़ुशी मनाई कि अल्लाह ने यह सब कुछ इतनी जल्दी से हमें मुहैया किया है।


यह सातवें माह के 23वें दिन वुक़ूपज़ीर हुआ। इसके बाद सुलेमान ने इसराईलियों को रुख़सत किया। सब शादमान और दिल से ख़ुश थे कि रब ने दाऊद, सुलेमान और अपनी क़ौम इसराईल पर इतनी मेहरबानी की है।


शायद वह जिलावतनी में तौबा करके दुबारा तेरी तरफ़ रुजू करें और तुझसे इलतमास करें, ‘हमने गुनाह किया है, हमसे ग़लती हुई है, हमने बेदीन हरकतें की हैं।’


फिर सुलेमान ने इसराईल के तमाम बुज़ुर्गों और क़बीलों और कुंबों के तमाम सरपरस्तों को अपने पास यरूशलम में बुलाया, क्योंकि रब के अहद का संदूक़ अब तक यरूशलम के उस हिस्से में था जो ‘दाऊद का शहर’ या सिय्यून कहलाता है। सुलेमान चाहता था कि क़ौम के नुमाइंदे हाज़िर हों जब संदूक़ को वहाँ से रब के घर में पहुँचाया जाए।


इसके लिए भी उस जगह जमा हो जा जो रब अपने नाम की सुकूनत के लिए चुनेगा। वहाँ उसके हुज़ूर ख़ुशी मना। तेरे बाल-बच्चे, तेरे ग़ुलाम और लौंडियाँ और तेरे शहरों में रहनेवाले लावी, परदेसी, यतीम और बेवाएँ सब तेरी ख़ुशी में शरीक हों।


यह चीज़ें सिर्फ़ रब के हुज़ूर खाना यानी उस जगह पर जिसे वह मक़दिस के लिए चुनेगा। वहीं तू अपने बेटे-बेटियों, ग़ुलामों, लौंडियों और अपने क़बायली इलाक़े के लावियों के साथ जमा होकर ख़ुशी मना कि रब ने हमारी मेहनत को बरकत दी है।


फिर यूसुफ़ अपने बाप याक़ूब को ले आया और फ़िरौन के सामने पेश किया। याक़ूब ने बादशाह को बरकत दी।


ईद 14 दिन तक मनाई गई। पहले हफ़ते में सुलेमान और तमाम इसराईल ने रब के घर की मख़सूसियत मनाई और दूसरे हफ़ते में झोंपड़ियों की ईद। बहुत ज़्यादा लोग शरीक हुए। वह दूर-दराज़ इलाक़ों से यरूशलम आए थे, शिमाल में लबो-हमात से लेकर जुनूब में उस वादी तक जो मिसर की सरहद थी।


चुनाँचे सुलेमान ने रब के घर और शाही महल को तकमील तक पहुँचाया। जो कुछ भी उसने ठान लिया था वह पूरा हुआ।


क़िलाबंद शहर और ज़रख़ेज़ ज़मीनें तेरी क़ौम के क़ाबू में आ गईं, नीज़ हर क़िस्म की अच्छी चीज़ों से भरे घर, तैयारशुदा हौज़, अंगूर के बाग़ और कसरत के ज़ैतून और दीगर फलदार दरख़्त। वह जी भरकर खाना खाकर मोटे हो गए और तेरी बरकतों से लुत्फ़अंदोज़ होते रहे।


मैं रब की मेहरबानियाँ सुनाऊँगा, उसके क़ाबिले-तारीफ़ कामों की तमजीद करूँगा। जो कुछ रब ने हमारे लिए किया, जो मुतअद्दिद भलाइयाँ उसने अपने रहम और बड़े फ़ज़ल से इसराईल को दिखाई हैं उनकी सताइश करूँगा।


यह कहकर यशुअ ने उन्हें बरकत देकर रुख़सत कर दिया, और वह अपने घर चले गए।


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