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۱-سلاطین 8:29 - किताबे-मुक़द्दस

29 कि बराहे-करम दिन-रात इस इमारत की निगरानी कर! क्योंकि यह वह जगह है जिसके बारे में तूने ख़ुद फ़रमाया, ‘यहाँ मेरा नाम सुकूनत करेगा।’ चुनाँचे अपने ख़ादिम की गुज़ारिश सुन जो मैं इस मक़ाम की तरफ़ रुख़ किए हुए करता हूँ।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

29 آپ کی آنکھیں اِس بیت المُقدّس کی طرف دِن اَور رات لگی رہیں! آپ نے اِسی مقام کی بابت فرمایا تھا، ’میں اَپنا جلالی نام وہاں قائِم رکھوں گا،‘ تاکہ جو دعا آپ کا خادِم اِس مقام کی طرف رُخ کرکے مانگے اُسے آپ سُن کر جَواب دیں گے۔

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کِتابِ مُقادّس

29 تاکہ تیری آنکھیں اِس گھر کی طرف یعنی اُسی جگہ کی طرف جِس کی بابت تُو نے فرمایا کہ مَیں اپنا نام وہاں رکُھّوں گا دِن اور رات کُھلی رہیں تاکہ تُو اُس دُعا کو سُنے جو تیرا بندہ اِس مقام کے طرف رُخ کر کے تُجھ سے کرے گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

29 کہ براہِ کرم دن رات اِس عمارت کی نگرانی کر! کیونکہ یہ وہ جگہ ہے جس کے بارے میں تُو نے خود فرمایا، ’یہاں میرا نام سکونت کرے گا۔‘ چنانچہ اپنے خادم کی گزارش سن جو مَیں اِس مقام کی طرف رُخ کئے ہوئے کرتا ہوں۔

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۱-سلاطین 8:29
34 حوالہ جات  

कि बराहे-करम दिन-रात इस इमारत की निगरानी कर! क्योंकि यह वह जगह है जिसके बारे में तूने ख़ुद फ़रमाया, ‘यहाँ मेरा नाम सुकूनत करेगा।’ चुनाँचे अपने ख़ादिम की गुज़ारिश सुन जो मैं इस मक़ाम की तरफ़ रुख़ किए हुए करता हूँ।


मेरी बात सुनकर ध्यान दे कि तेरा ख़ादिम किस तरह तुझसे इलतमास कर रहा है। दिन-रात मैं इसराईलियों के लिए जो तेरे ख़ादिम हैं दुआ करता हूँ। मैं इक़रार करता हूँ कि हमने तेरा गुनाह किया है। इसमें मैं और मेरे बाप का घराना भी शामिल है।


‘जिस दिन मैं अपनी क़ौम इसराईल को मिसर से निकाल लाया उस दिन से लेकर आज तक मैंने कभी न फ़रमाया कि इसराईली क़बीलों के किसी शहर में मेरे नाम की ताज़ीम में घर बनाया जाए। लेकिन मैंने दाऊद को अपनी क़ौम इसराईल का बादशाह बनाया है।’


तब रब तुम्हारा ख़ुदा अपने नाम की सुकूनत के लिए एक जगह चुन लेगा, और तुम्हें सब कुछ जो मैं बताऊँगा वहाँ लाकर पेश करना है, ख़ाह वह भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ, ज़बह की क़ुरबानियाँ, पैदावार का दसवाँ हिस्सा, उठानेवाली क़ुरबानियाँ या मन्नत के ख़ास हदिये क्यों न हों।


ऐ मेरे ख़ुदा, कान लगाकर मेरी सुन! अपनी आँखें खोल! उस शहर के खंडरात पर नज़र कर जिस पर तेरे ही नाम का ठप्पा लगा है। हम इसलिए तुझसे इल्तिजाएँ नहीं कर रहे कि हम रास्तबाज़ हैं बल्कि इसलिए कि तू निहायत मेहरबान है।


लेकिन अगर तुम मेरे पास वापस आकर दुबारा मेरे अहकाम के ताबे हो जाओ तो मैं तुम्हें तुम्हारे वतन में वापस लाऊँगा, ख़ाह तुम ज़मीन की इंतहा तक क्यों न पहुँच गए हो। मैं तुम्हें उस जगह वापस लाऊँगा जिसे मैंने चुन लिया है ताकि मेरा नाम वहाँ सुकूनत करे।’


उसने रब के घर में भी अपनी क़ुरबानगाहें खड़ी कीं, हालाँकि रब ने इस मक़ाम के बारे में फ़रमाया था, “यरूशलम में मेरा नाम अबद तक क़ायम रहेगा।”


इसी लिए रब ने फ़रमाया, “जो कुछ मैंने इसराईल के साथ किया वही कुछ यहूदाह के साथ भी करूँगा। मैं उसे अपने हुज़ूर से ख़ारिज कर दूँगा। अपने चुने हुए शहर यरूशलम को मैं रद्द करूँगा और साथ साथ उस घर को भी जिसके बारे में मैंने कहा, ‘वहाँ मेरा नाम होगा’।”


जब दानियाल को मालूम हुआ कि फ़रमान सादिर हुआ है तो वह सीधा अपने घर में चला गया। छत पर एक कमरा था जिसकी खुली खिड़कियों का रुख़ यरूशलम की तरफ़ था। इस कमरे में दानियाल रोज़ाना तीन बार अपने घुटने टेककर दुआ और अपने ख़ुदा की सताइश करता था। अब भी उसने यह सिलसिला जारी रखा।


इसमें तेरी क़ौम आबाद हुई। तेरे नाम की ताज़ीम में मक़दिस बनाकर उन्होंने कहा,


रब तो अपनी नज़र पूरी रूए-ज़मीन पर दौड़ाता रहता है ताकि उनकी तक़वियत करे जो पूरी वफ़ादारी से उससे लिपटे रहते हैं। आपकी अहमक़ाना हरकत की वजह से आपको अब से मुतवातिर जंगें तंग करती रहेंगी।”


ऐ मेरे ख़ुदा, तेरी आँखें और तेरे कान उन दुआओं के लिए खुले रहें जो इस जगह पर की जाती हैं।


यसीरत देवी का खंबा बनवाकर उसने उसे रब के घर में खड़ा किया, हालाँकि रब ने दाऊद और उसके बेटे सुलेमान से कहा था, “इस घर और इस शहर यरूशलम में जो मैंने तमाम इसराईली क़बीलों में से चुन लिया है मैं अपना नाम अबद तक क़ायम रखूँगा।


उसने रब के घर में भी अपनी क़ुरबानगाहें खड़ी कीं, हालाँकि रब ने इस मक़ाम के बारे में फ़रमाया था, “मैं यरूशलम में अपना नाम क़ायम करूँगा।”


ऐ रब, मेरी सुन! अपनी आँखें खोलकर देख! सनहेरिब की उन बातों पर ध्यान दे जो उसने इस मक़सद से हम तक पहुँचाई हैं कि ज़िंदा ख़ुदा की इहानत करे।


सिर्फ़ एक क़बीला सुलेमान के बेटे के सुपुर्द रहेगा ताकि मेरे ख़ादिम दाऊद का चराग़ हमेशा मेरे हुज़ूर यरूशलम में जलता रहे, उस शहर में जो मैंने अपने नाम की सुकूनत के लिए चुन लिया है।


ऐ अल्लाह, तेरी आँखें मेरी इल्तिजाओं और तेरी क़ौम इसराईल की फ़रियादों के लिए खुली रहें। जब भी वह मदद के लिए तुझे पुकारें तो उनकी सुन लेना!


तब आसमान पर से उनकी फ़रियाद सुन लेना। जो भी दरख़ास्त वह पेश करें वह पूरी करना ताकि दुनिया की तमाम अक़वाम तेरा नाम जानकर तेरी क़ौम इसराईल की तरह ही तेरा ख़ौफ़ मानें और जान लें कि जो इमारत मैंने तामीर की है उस पर तेरे ही नाम का ठप्पा लगा है।


तो जो भी फ़सल तू काटेगा उसके पहले फल में से कुछ टोकरे में रखकर उस जगह ले जा जो रब तेरा ख़ुदा अपने नाम की सुकूनत के लिए चुनेगा।


बल्कि सिर्फ़ उस जगह जो वह अपने नाम की सुकूनत के लिए चुनेगा। मिसर से निकलते वक़्त की तरह क़ुरबानी के जानवर को सूरज डूबते वक़्त ज़बह कर।


उस जगह जमा हो जा जो रब अपने नाम की सुकूनत के लिए चुनेगा। उसे क़ुरबानी के लिए भेड़-बकरियाँ या गाय-बैल पेश करना।


मेरे लिए मिट्टी की क़ुरबानगाह बनाकर उस पर अपनी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों की भस्म होनेवाली और सलामती की क़ुरबानियाँ चढ़ाना। मैं तुझे वह जगहें दिखाऊँगा जहाँ मेरे नाम की ताज़ीम में क़ुरबानियाँ पेश करनी हैं। ऐसी तमाम जगहों पर मैं तेरे पास आकर तुझे बरकत दूँगा।


रब की आँखें रास्तबाज़ों पर लगी रहती हैं, और उसके कान उनकी इल्तिजाओं की तरफ़ मायल हैं।


देवी का बुत बनवाकर उसने उसे अल्लाह के घर में खड़ा किया, हालाँकि रब ने दाऊद और उसके बेटे सुलेमान से कहा था, “इस घर और इस शहर यरूशलम में जो मैंने तमाम इसराईली क़बीलों में से चुन लिया है मैं अपना नाम अबद तक क़ायम रखूँगा।


उसने सुलेमान से कहा, “जो दुआ और इल्तिजा तूने मेरे हुज़ूर की उसे मैंने सुनकर इस इमारत को जो तूने बनाई है अपने लिए मख़सूसो-मुक़द्दस कर लिया है। उसमें मैं अपना नाम अबद तक क़ायम रखूँगा। मेरी आँखें और दिल अबद तक वहाँ हाज़िर रहेंगे।


और मैं पूरी ममलकत उसके हाथ से नहीं लूँगा बल्कि अपने ख़ादिम दाऊद और अपने चुने हुए शहर यरूशलम की ख़ातिर उसके लिए एक क़बीला छोड़ दूँगा।”


मैं तेरी मुक़द्दस सुकूनतगाह की तरफ़ रुख़ करके सिजदा करूँगा, तेरी मेहरबानी और वफ़ादारी के बाइस तेरा शुक्र करूँगा। क्योंकि तूने अपने नाम और कलाम को तमाम चीज़ों पर सरफ़राज़ किया है।


रब तुम्हारा ख़ुदा क़बीलों में से अपने नाम की सुकूनत के लिए एक जगह चुन लेगा। इबादत के लिए वहाँ जाया करो,


बल्कि सिर्फ़ उस जगह पर जो रब क़बीलों में से चुनेगा। वहीं सब कुछ यों मना जिस तरह मैं तुझे बताता हूँ।


यहूदाह में रहुबियाम बिन सुलेमान हुकूमत करता था। उस की माँ नामा अम्मोनी थी। 41 साल की उम्र में वह तख़्तनशीन हुआ और 17 साल बादशाह रहा। उसका दारुल-हुकूमत यरूशलम था, वह शहर जिसे रब ने तमाम इसराईली क़बीलों में से चुन लिया ताकि उसमें अपना नाम क़ायम करे।


रब फ़रमाता है, “उस दिन मैं तमाम घोड़ों में अबतरी और उनके सवारों में दीवानगी पैदा करूँगा। मैं दीगर अक़वाम के तमाम घोड़ों को अंधा कर दूँगा। साथ साथ मैं खुली आँखों से यहूदाह के घराने की देख-भाल करूँगा।


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