उसने कुछ आगे बढ़ा दिया जो हाथ-सा लग रहा था और मेरे बालों को पकड़ लिया। फिर रूह ने मुझे उठाया और ज़मीन और आसमान के दरमियान चलते चलते यरूशलम तक पहुँचाया। अभी तक मैं अल्लाह की रोया देख रहा था। मैं रब के घर के अंदरूनी सहन के उस दरवाज़े के पास पहुँच गया जिसका रुख़ शिमाल की तरफ़ है। दरवाज़े के क़रीब एक बुत पड़ा था जो रब को मुश्तइल करके ग़ैरत दिलाता है।
