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۱-سلاطین 19:8 - किताबे-मुक़द्दस

8 तब इलियास ने उठकर दुबारा खाना खाया और पानी पिया। इस ख़ुराक ने उसे इतनी तक़वियत दी कि वह चालीस दिन और चालीस रात सफ़र करते करते अल्लाह के पहाड़ होरिब यानी सीना तक पहुँच गया।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

8 تَب ایلیّاہ نے اُٹھ کر کھایا پیا اَور اُس کھانے سے قُوّت پا کر چالیس دِن اَور چالیس رات سفر کرتے ہویٔے وہ خُدا کے پہاڑ حورِبؔ پہُنچ گیٔے۔

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کِتابِ مُقادّس

8 سو اُس نے اُٹھ کر کھایا پِیا اور اُس کھانے کی قُوّت سے چالِیس دِن اور چالِیس رات چل کر خُدا کے پہاڑ حورِب تک گیا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

8 تب الیاس نے اُٹھ کر دوبارہ کھانا کھایا اور پانی پیا۔ اِس خوراک نے اُسے اِتنی تقویت دی کہ وہ چالیس دن اور چالیس رات سفر کرتے کرتے اللہ کے پہاڑ حورب یعنی سینا تک پہنچ گیا۔

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۱-سلاطین 19:8
15 حوالہ جات  

मूसा चालीस दिन और चालीस रात वहीं रब के हुज़ूर रहा। इस दौरान न उसने कुछ खाया न पिया। उसने पत्थर की तख़्तियों पर अहद के दस अहकाम लिखे।


चालीस दिन और चालीस रात रोज़ा रखने के बाद उसे आख़िरकार भूक लगी।


एक और बार मैं रब के सामने मुँह के बल गिरा। मैंने न कुछ खाया, न कुछ पिया। 40 दिन और रात मैं तुम्हारे तमाम गुनाहों के बाइस इसी हालत में रहा। क्योंकि जो कुछ तुमने किया था वह रब को निहायत बुरा लगा, इसलिए वह ग़ज़बनाक हो गया था।


चढ़ते चढ़ते मूसा बादल में दाख़िल हुआ। वहाँ वह चालीस दिन और चालीस रात रहा।


मूसा अपने सुसर यितरो की भेड़-बकरियों की निगहबानी करता था (मिदियान का इमाम रऊएल यितरो भी कहलाता था)। एक दिन मूसा रेवड़ को रेगिस्तान की परली जानिब ले गया और चलते चलते अल्लाह के पहाड़ होरिब यानी सीना तक पहुँच गया।


लेकिन उसने मुझे यही जवाब दिया, “मेरा फ़ज़ल तेरे लिए काफ़ी है, क्योंकि मेरी क़ुदरत का पूरा इज़हार तेरी कमज़ोर हालत ही में होता है।” इसलिए मैं मज़ीद ख़ुशी से अपनी कमज़ोरियों पर फ़ख़र करूँगा ताकि मसीह की क़ुदरत मुझ पर ठहरी रहे।


वहाँ उसे चालीस दिन तक इबलीस से आज़माया गया। इस पूरे अरसे में उसने कुछ न खाया। आख़िरकार उसे भूक लगी।


वहाँ वह चालीस दिन रहा जिसके दौरान इबलीस उस की आज़माइश करता रहा। वह जंगली जानवरों के दरमियान रहता और फ़रिश्ते उस की ख़िदमत करते थे।


दस दिन के बाद क्या देखता है कि दानियाल और उसके तीन दोस्त शाही खाना खानेवाले दीगर नौजवानों की निसबत कहीं ज़्यादा सेहतमंद और मोटे-ताज़े लग रहे हैं।


सीना पहाड़ धुएँ से ढका हुआ था, क्योंकि रब आग में उस पर उतर आया। पहाड़ से धुआँ इस तरह उठ रहा था जैसे किसी भट्टे से उठता है। पूरा पहाड़ शिद्दत से लरज़ने लगा।


रब ने हारून से भी बात की, “रेगिस्तान में मूसा से मिलने जा।” हारून चल पड़ा और अल्लाह के पहाड़ के पास मूसा से मिला। उसने उसे बोसा दिया।


लेकिन रब का फ़रिश्ता एक बार फिर आया और उसे हाथ लगाकर कहा, “उठ, खाना खा ले, वरना आगे का लंबा सफ़र तेरे बस की बात नहीं होगी।”


सुबहो-शाम कौवे उसे रोटी और गोश्त पहुँचाते रहे, और पानी वह नदी से पीता था।


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