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۱-سلاطین 17:6 - किताबे-मुक़द्दस

6 सुबहो-शाम कौवे उसे रोटी और गोश्त पहुँचाते रहे, और पानी वह नदी से पीता था।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

6 اَور کوّے اُن کے لیٔے ہر صُبح و شام روٹی اَور گوشت لاتے تھے اَور وہ اُس نالے میں سے پانی پیا کرتے تھے۔

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کِتابِ مُقادّس

6 اور کوّے اُس کے لِئے صُبح کو روٹی اور گوشت اور شام کو بھی روٹی اور گوشت لاتے تھے اور وہ اُس نالہ میں سے پِیا کرتا تھا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

6 صبح و شام کوّے اُسے روٹی اور گوشت پہنچاتے رہے، اور پانی وہ ندی سے پیتا تھا۔

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۱-سلاطین 17:6
25 حوالہ جات  

फिर उसने उनसे पूछा, “जब मैंने तुमको बटवे, सामान के लिए बैग और जूतों के बग़ैर भेज दिया तो क्या तुम किसी भी चीज़ से महरूम रहे?” उन्होंने जवाब दिया, “किसी से नहीं।”


ईसा ने ग़ौर से उनकी तरफ़ देखकर जवाब दिया, “यह इनसान के लिए तो नामुमकिन है, लेकिन अल्लाह के लिए सब कुछ मुमकिन है।”


तब सिदक़ियाह बादशाह ने हुक्म दिया कि यरमियाह को शाही मुहाफ़िज़ों के सहन में रखा जाए। उसने यह हिदायत भी दी कि जब तक शहर में रोटी दस्तयाब हो यरमियाह को नानबाई-गली से हर रोज़ एक रोटी मिलती रहे। चुनाँचे यरमियाह मुहाफ़िज़ों के सहन में रहने लगा।


वही बुलंदियों पर बसेगा और पहाड़ के क़िले में महफ़ूज़ रहेगा। उसे रोटी मिलती रहेगी, और पानी की कभी कमी न होगी।


मुसीबत के वक़्त वह शर्मसार नहीं होंगे, काल भी पड़े तो सेर होंगे।


ग़रज़, यह दो बातें क़ायम रही हैं, अल्लाह का वादा और उस की क़सम। वह इन्हें न तो बदल सकता न इनके बारे में झूट बोल सकता है। यों हम जिन्होंने उसके पास पनाह ली है बड़ी तसल्ली पाकर उस उम्मीद को मज़बूती से थामे रख सकते हैं जो हमें पेश की गई है।


रब पर भरोसा रखकर भलाई कर, मुल्क में रहकर वफ़ादारी की परवरिश कर।


समसून ने कहा, “खानेवाले में से खाना निकला और ज़ोरावर में से मिठास।” तीन दिन गुज़र गए। जवान पहेली का मतलब न बता सके।


रब ने कहा, “क्या रब का इख़्तियार कम है? अब तू ख़ुद देख लेगा कि मेरी बातें दुरुस्त हैं कि नहीं।”


लेकिन आज मैं वह ज़ंजीरें खोल देता हूँ जिनसे आपके हाथ जकड़े हुए हैं। आप आज़ाद हैं। अगर चाहें तो मेरे साथ बाबल जाएँ। तब मैं ही आपकी निगरानी करूँगा। बाक़ी आपकी मरज़ी। अगर यहीं रहना पसंद करेंगे तो यहीं रहें। पूरे मुल्क में जहाँ भी जाना चाहें जाएँ। कोई आपको नहीं रोकेगा।”


इसराईलियों को 40 साल तक मन मिलता रहा। वह उस वक़्त तक मन खाते रहे जब तक रेगिस्तान से निकलकर कनान की सरहद पर न पहुँचे।


इलियास रब की सुनकर रवाना हुआ और वादीए-करीत में रहने लगा जिसकी नदी दरियाए-यरदन में बहती है।


इस पूरे अरसे में बारिश न हुई, इसलिए नदी आहिस्ता आहिस्ता सूख गई। जब उसका पानी बिलकुल ख़त्म हो गया


और वह उस पर बैठकर रवाना हुआ। जब वहाँ पहुँचा तो देखा कि लाश अब तक रास्ते में पड़ी है और गधा और शेर दोनों ही उसके पास खड़े हैं। शेरबबर ने न लाश को छेड़ा और न गधे को फाड़ा था।


जब उसने अपनी आँखें खोलीं तो देखा कि सिरहाने के क़रीब कोयलों पर बनाई गई रोटी और पानी की सुराही पड़ी है। उसने रोटी खाई, पानी पिया और दुबारा सो गया।


तब इलियास ने उठकर दुबारा खाना खाया और पानी पिया। इस ख़ुराक ने उसे इतनी तक़वियत दी कि वह चालीस दिन और चालीस रात सफ़र करते करते अल्लाह के पहाड़ होरिब यानी सीना तक पहुँच गया।


यक़ीनन रब की आँख उन पर लगी रहती है जो उसका ख़ौफ़ मानते और उस की मेहरबानी के इंतज़ार में रहते हैं,


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