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۱-سلاطین 14:21 - किताबे-मुक़द्दस

21 यहूदाह में रहुबियाम बिन सुलेमान हुकूमत करता था। उस की माँ नामा अम्मोनी थी। 41 साल की उम्र में वह तख़्तनशीन हुआ और 17 साल बादशाह रहा। उसका दारुल-हुकूमत यरूशलम था, वह शहर जिसे रब ने तमाम इसराईली क़बीलों में से चुन लिया ताकि उसमें अपना नाम क़ायम करे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

21 اَور شُلومونؔ کا بیٹا رحُبعامؔ یہُوداہؔ میں بادشاہ تھا۔ وہ اکتالیس سال کا تھا جَب وہ بادشاہ بنا اَور اُس نے یروشلیمؔ شہر میں سترہ سال تک جسے یَاہوِہ نے اِسرائیل کے سَب قبیلوں میں سے مُنتخب کر لیا تھا کہ اَپنا نام وہاں قائِم کرے، حُکمرانی کی۔ اُس کی ماں کا نام نعمہؔ تھا جو عمُّونی قوم کی عورت تھی۔

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کِتابِ مُقادّس

21 اور سُلیماؔن کا بیٹا رحُبعاؔم یہُوداؔہ میں بادشاہ تھا۔ رحُبعاؔم اِکتالِیس برس کا تھا جب وہ بادشاہی کرنے لگا اور اُس نے یروشلیِم یعنی اُس شہر میں جِسے خُداوند نے بنی اِسرائیل کے سب قبِیلوں میں سے چُنا تھا تاکہ اپنا نام وہاں رکھّے ستّرہ برس سلطنت کی اور اُس کی ماں کا نام نعمہ تھا جو عمُّونی عَورت تھی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

21 یہوداہ میں رحبعام بن سلیمان حکومت کرتا تھا۔ اُس کی ماں نعمہ عمونی تھی۔ 41 سال کی عمر میں وہ تخت نشین ہوا اور 17 سال بادشاہ رہا۔ اُس کا دار الحکومت یروشلم تھا، وہ شہر جسے رب نے تمام اسرائیلی قبیلوں میں سے چن لیا تاکہ اُس میں اپنا نام قائم کرے۔

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۱-سلاطین 14:21
22 حوالہ جات  

रहुबियाम की सलतनत ने दुबारा तक़वियत पाई, और यरूशलम में रहकर वह अपनी हुकूमत जारी रख सका। 41 साल की उम्र में वह तख़्तनशीन हुआ था, और वह 17 साल बादशाह रहा। उसका दारुल-हुकूमत यरूशलम था, वह शहर जिसे रब ने तमाम इसराईली क़बीलों में से चुन लिया ताकि उसमें अपना नाम क़ायम करे। उस की माँ नामा अम्मोनी थी।


सिर्फ़ एक क़बीला सुलेमान के बेटे के सुपुर्द रहेगा ताकि मेरे ख़ादिम दाऊद का चराग़ हमेशा मेरे हुज़ूर यरूशलम में जलता रहे, उस शहर में जो मैंने अपने नाम की सुकूनत के लिए चुन लिया है।


जब रहुबियाम मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे यरूशलम के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ानदानी क़ब्र में दफ़नाया गया। उस की माँ नामा अम्मोनी थी। फिर रहुबियाम का बेटा अबियाह तख़्तनशीन हुआ।


ऐ यरूशलम की रहनेवाली, शादियाना बजाकर ख़ुशी के नारे लगा! क्योंकि इसराईल का क़ुद्दूस अज़ीम है, और वह तेरे दरमियान ही सुकूनत करता है।”


उसके इर्दगिर्द कुछ बदमाश जमा हुए और रहुबियाम बिन सुलेमान की मुख़ालफ़त करने लगे। उस वक़्त वह जवान और नातजरबाकार था, इसलिए उनका सहीह मुक़ाबला न कर सका।


जब वह मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे यरूशलम के उस हिस्से में दफ़न किया गया जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है। फिर उसका बेटा रहुबियाम तख़्तनशीन हुआ।


एक ही क़बीला उसके पास रहेगा, और यह भी सिर्फ़ उसके बाप दाऊद और उस शहर की ख़ातिर जिसे मैंने तमाम क़बीलों में से चुन लिया है।


हो सकता है तेरी क़ौम के मर्द तेरी हिदायत के मुताबिक़ अपने दुश्मन से लड़ने के लिए निकलें। अगर वह तेरे चुने हुए शहर और उस इमारत की तरफ़ रुख़ करके दुआ करें जो मैंने तेरे नाम के लिए तामीर की है


‘जिस दिन मैं अपनी क़ौम इसराईल को मिसर से निकाल लाया उस दिन से लेकर आज तक मैंने कभी न फ़रमाया कि इसराईली क़बीलों के किसी शहर में मेरे नाम की ताज़ीम में घर बनाया जाए। लेकिन मैंने दाऊद को अपनी क़ौम इसराईल का बादशाह बनाया है।’


कोई भी अम्मोनी या मोआबी मुक़द्दस इजतिमा में शरीक नहीं हो सकता। इन क़ौमों की औलाद दसवीं पुश्त तक भी इस जमात में हाज़िर नहीं हो सकती,


अगर तेरा घर उस मक़दिस से दूर हो जिसे रब तेरा ख़ुदा अपने नाम की सुकूनत के लिए चुनेगा तो तू जिस तरह जी चाहे अपने शहरों में रब से मिले हुए मवेशियों को ज़बह करके खा सकता है। लेकिन ऐसा ही करना जैसा मैंने हुक्म दिया है।


रब तुम्हारा ख़ुदा क़बीलों में से अपने नाम की सुकूनत के लिए एक जगह चुन लेगा। इबादत के लिए वहाँ जाया करो,


मेरे लिए मिट्टी की क़ुरबानगाह बनाकर उस पर अपनी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों की भस्म होनेवाली और सलामती की क़ुरबानियाँ चढ़ाना। मैं तुझे वह जगहें दिखाऊँगा जहाँ मेरे नाम की ताज़ीम में क़ुरबानियाँ पेश करनी हैं। ऐसी तमाम जगहों पर मैं तेरे पास आकर तुझे बरकत दूँगा।


यरुबियाम 22 साल बादशाह रहा। जब वह मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसका बेटा नदब तख़्तनशीन हुआ।


कि बराहे-करम दिन-रात इस इमारत की निगरानी कर! क्योंकि यह वह जगह है जिसके बारे में तूने ख़ुद फ़रमाया, ‘यहाँ मेरा नाम सुकूनत करेगा।’ चुनाँचे अपने ख़ादिम की गुज़ारिश सुन जो मैं इस मक़ाम की तरफ़ रुख़ किए हुए करता हूँ।


लेकिन सुलेमान बहुत-सी ग़ैरमुल्की ख़वातीन से मुहब्बत करता था। फ़िरौन की बेटी के अलावा उस की शादी मोआबी, अम्मोनी, अदोमी, सैदानी और हित्ती औरतों से हुई।


सिर्फ़ यहूदाह के क़बीले के शहरों में रहनेवाले इसराईली रहुबियाम के तहत रहे।


उस वक़्त उस की उम्र 35 साल थी। उसका दारुल-हुकूमत यरूशलम रहा, और उस की हुकूमत का दौरानिया 25 साल था। माँ का नाम अज़ूबा बिंत सिलही था।


जब रहुबियाम की सलतनत ज़ोर पकड़कर मज़बूत हो गई तो उसने तमाम इसराईल समेत रब की शरीअत को तर्क कर दिया।


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