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۱-یوحنا 4:21 - किताबे-मुक़द्दस

21 जो हुक्म मसीह ने हमें दिया है वह यह है, जो अल्लाह से मुहब्बत रखता है वह अपने भाई से भी मुहब्बत रखे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

21 ہمیں تو خُدا کی طرف سے یہ حُکم مِلا ہے: جو کویٔی خُدا سے مَحَبّت رکھتا ہے اُسے لازِم ہے کہ اَپنے بھایٔی اَور بہن سے بھی مَحَبّت رکھے۔

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کِتابِ مُقادّس

21 اور ہم کو اُس کی طرف سے یہ حُکم مِلا ہے کہ جو کوئی خُدا سے مُحبّت رکھتا ہے وہ اپنے بھائی سے بھی مُحبّت رکھّے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

21 جو حکم مسیح نے ہمیں دیا ہے وہ یہ ہے، جو اللہ سے محبت رکھتا ہے وہ اپنے بھائی سے بھی محبت رکھے۔

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۱-یوحنا 4:21
20 حوالہ جات  

इंतक़ाम न लेना। अपनी क़ौम के किसी शख़्स पर देर तक तेरा ग़ुस्सा न रहे बल्कि अपने पड़ोसी से वैसी मुहब्बत रखना जैसी तू अपने आपसे रखता है। मैं रब हूँ।


क्योंकि यही वह पैग़ाम है जो आपने शुरू से सुन रखा है, कि हमें एक दूसरे से मुहब्बत रखना है।


यह लिखने की ज़रूरत नहीं कि आप दूसरे ईमानदारों से मुहब्बत रखें। अल्लाह ने ख़ुद आपको एक दूसरे से मुहब्बत रखना सिखाया है।


आख़िर में एक और बात, आप सब एक ही सोच रखें और एक दूसरे से ताल्लुक़ात में हमदर्दी, प्यार, रहम और हलीमी का इज़हार करें।


क्योंकि पूरी शरीअत एक ही हुक्म में समाई हुई है, “अपने पड़ोसी से वैसी मुहब्बत रखना जैसी तू अपने आपसे रखता है।”


मेरा हुक्म यह है कि एक दूसरे को वैसे प्यार करो जैसे मैंने तुमको प्यार किया है।


और उसका यह हुक्म है कि हम उसके फ़रज़ंद ईसा मसीह के नाम पर ईमान लाकर एक दूसरे से मुहब्बत रखें, जिस तरह मसीह ने हमें हुक्म दिया था।


हम तो जानते हैं कि हम मौत से निकलकर ज़िंदगी में दाख़िल हो गए हैं। हम यह इसलिए जानते हैं कि हम अपने भाइयों से मुहब्बत रखते हैं। जो मुहब्बत नहीं रखता वह अब तक मौत की हालत में है।


सबसे ज़रूरी बात यह है कि आप एक दूसरे से लगातार मुहब्बत रखें, क्योंकि मुहब्बत गुनाहों की बड़ी तादाद पर परदा डाल देती है।


आलिम ने जवाब दिया, “वह जिसने उस पर रहम किया।” ईसा ने कहा, “बिलकुल ठीक। अब तू भी जाकर ऐसा ही कर।”


अज़ीज़ो, चूँकि अल्लाह ने हमें इतना प्यार किया इसलिए लाज़िम है कि हम भी एक दूसरे को प्यार करें।


क्योंकि जब हम मसीह ईसा में होते हैं तो ख़तना करवाने या न करवाने से कोई फ़रक़ नहीं पड़ता। फ़रक़ सिर्फ़ उस ईमान से पड़ता है जो मुहब्बत करने से ज़ाहिर होता है।


प्यारे बच्चो, आएँ हम अलफ़ाज़ और बातों से मुहब्बत का इज़हार न करें बल्कि हमारी मुहब्बत अमली और हक़ीक़ी हो।


तुमने सुना है कि फ़रमाया गया है, ‘अपने पड़ोसी से मुहब्बत रखना और अपने दुश्मन से नफ़रत करना।’


अज़ीज़ो, मैं आपको कोई नया हुक्म नहीं लिख रहा, बल्कि वही पुराना हुक्म जो आपको शुरू से मिला है। यह पुराना हुक्म वही पैग़ाम है जो आपने सुन लिया है।


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