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۱-کرنتھیوں 14:3 - किताबे-मुक़द्दस

3 इसके बरअक्स नबुव्वत करनेवाला लोगों से ऐसी बातें करता है जो उनकी तामीरो-तरक़्क़ी, हौसलाअफ़्ज़ाई और तसल्ली का बाइस बनती हैं।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

3 لیکن جو نبُوّت کرتا ہے وہ لوگوں سے اُن کی ترقّی، نصیحت اَور تسلّی کی باتیں کرتا ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

3 لیکن جو نبُوّت کرتا ہے وہ آدمِیوں سے ترقّی اور نصِیحت اور تسلّی کی باتیں کہتا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

3 اِس کے برعکس نبوّت کرنے والا لوگوں سے ایسی باتیں کرتا ہے جو اُن کی تعمیر و ترقی، حوصلہ افزائی اور تسلی کا باعث بنتی ہیں۔

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۱-کرنتھیوں 14:3
42 حوالہ جات  

यह उसूल आप पर भी लागू होता है। चूँकि आप रूहानी नेमतों के लिए तड़पते हैं तो फिर ख़ासकर उन नेमतों में माहिर बनने की कोशिश करें जो ख़ुदा की जमात को तामीर करती हैं।


जब तक मैं नहीं आता इस पर ख़ास ध्यान दें कि जमात में बाक़ायदगी से कलाम की तिलावत की जाए, लोगों को नसीहत की जाए और उन्हें तालीम दी जाए।


लेकिन आप मेरे अज़ीज़ो, अपने आपको अपने मुक़द्दसतरीन ईमान की बुनियाद पर तामीर करें और रूहुल-क़ुद्स में दुआ करें।


वह उस कलाम के साथ लिपटा रहे जो क़ाबिले-एतमाद और हमारी तालीम के मुताबिक़ है। क्योंकि इस तरह ही वह सेहतबख़्श तालीम देकर दूसरों की हौसलाअफ़्ज़ाई कर सकेगा और मुख़ालफ़त करनेवालों को समझा भी सकेगा।


मैंने उसे इसी लिए आपके पास भेज दिया कि आपको हमारे हाल का पता चले और आपको तसल्ली मिले।


कि वक़्त बेवक़्त कलामे-मुक़द्दस की मुनादी करने के लिए तैयार रहें। बड़े सब्र से ईमानदारों को तालीम देकर उन्हें समझाएँ, मलामत करें और उनकी हौसलाअफ़्ज़ाई भी करें।


इसी तरह जवान आदमियों की हौसलाअफ़्ज़ाई करें कि वह हर लिहाज़ से समझदार ज़िंदगी गुज़ारें।


क्योंकि आप सब बारी बारी नबुव्वत कर सकते हैं ताकि तमाम लोग सीखें और उनकी हौसलाअफ़्ज़ाई हो।


भाइयो, फिर क्या होना चाहिए? जब आप जमा होते हैं तो हर एक के पास कोई गीत या तालीम या मुकाशफ़ा या ग़ैरज़बान या इसका तरजुमा हो। इन सबका मक़सद ख़ुदा की जमात की तामीरो-तरक़्क़ी हो।


चुनाँचे आएँ, हम पूरी जिद्दो-जहद के साथ वह कुछ करने की कोशिश करें जो सुलह-सलामती और एक दूसरे की रूहानी तामीरो-तरक़्क़ी का बाइस है।


तौरेत और नबियों के सहीफ़ों की तिलावत के बाद इबादतख़ाने के राहनुमाओं ने उन्हें कहला भेजा, “भाइयो, अगर आपके पास लोगों के लिए कोई नसीहत की बात है तो उसे पेश करें।”


ग़ुलामों को कह देना कि वह हर लिहाज़ से अपने मालिकों के ताबे रहें। वह उन्हें पसंद आएँ, बहस-मुबाहसा किए बग़ैर उनकी बात मानें


क्योंकि जब हम आपको उभारते हैं तो इसके पीछे न तो कोई ग़लत नीयत होती है, न कोई नापाक मक़सद या चालाकी।


सब कुछ रवा तो है, लेकिन सब कुछ मुफ़ीद नहीं। सब कुछ जायज़ तो है, लेकिन सब कुछ हमारी तामीरो-तरक़्क़ी का बाइस नहीं होता।


मैं आपको यह मुख़तसर ख़त सिलवानुस की मदद से लिख रहा हूँ जिसे मैं वफ़ादार भाई समझता हूँ। मैं इससे आपकी हौसलाअफ़्ज़ाई और इसकी तसदीक़ करना चाहता हूँ कि यही अल्लाह का हक़ीक़ी फ़ज़ल है। इस पर क़ायम रहें।


भाइयो, मेहरबानी करके नसीहत की इन बातों पर संजीदगी से ग़ौर करें, क्योंकि मैंने आपको सिर्फ़ चंद अलफ़ाज़ लिखे हैं।


हम बाहम जमा होने से बाज़ न आएँ, जिस तरह बाज़ की आदत बन गई है। इसके बजाए हम एक दूसरे की हौसलाअफ़्ज़ाई करें, ख़ासकर यह बात मद्दे-नज़र रखकर कि ख़ुदावंद का दिन क़रीब आ रहा है।


इन्हीं बातों की तालीम देकर पूरे इख़्तियार के साथ लोगों को समझाएँ और उनकी इसलाह करें। कोई भी आपको हक़ीर न जाने।


जब मालिक ईमान लाते हैं तो ग़ुलामों को उनकी इसलिए कम इज़्ज़त नहीं करना चाहिए कि वह अब मसीह में भाई हैं। बल्कि वह उनकी और ज़्यादा ख़िदमत करें, क्योंकि अब जो उनकी अच्छी ख़िदमत से फ़ायदा उठा रहे हैं वह ईमानदार और अज़ीज़ हैं। लाज़िम है कि आप लोगों को इन बातों की तालीम दें और इसमें उनकी हौसलाअफ़्ज़ाई करें।


उन्हें फ़रज़ी कहानियों और ख़त्म न होनेवाले नसबनामे के पीछे न लगने दें। इनसे महज़ बहस-मुबाहसा पैदा होता है और अल्लाह का नजातबख़्श मनसूबा पूरा नहीं होता। क्योंकि यह मनसूबा सिर्फ़ ईमान से तकमील तक पहुँचता है।


ख़ुदावंद ईसा मसीह के नाम में हम ऐसे लोगों को हुक्म देते और समझाते हैं कि आराम से काम करके अपनी रोज़ी कमाएँ।


चुनाँचे इन अलफ़ाज़ से एक दूसरे को तसल्ली दिया करें।


भाइयो, एक आख़िरी बात, आपने हमसे सीख लिया था कि हमारी ज़िंदगी किस तरह होनी चाहिए ताकि वह अल्लाह को पसंद आए। और आप इसके मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारते भी हैं। अब हम ख़ुदावंद ईसा में आपसे दरख़ास्त और आपकी हौसलाअफ़्ज़ाई करते हैं कि आप इसमें मज़ीद तरक़्क़ी करते जाएँ।


तीमुथियुस को भेज देंगे जो हमारा भाई और मसीह की ख़ुशख़बरी फैलाने में हमारे साथ अल्लाह की ख़िदमत करता है। हमने उसे भेज दिया ताकि वह आपको मज़बूत करे और ईमान में आपकी हौसलाअफ़्ज़ाई करे


क्योंकि आप जानते हैं कि हमने आपमें से हर एक से ऐसा सुलूक किया जैसा बाप अपने बच्चों के साथ करता है।


मैंने उसे ख़ासकर इसलिए आपके पास भेज दिया ताकि आपको हमारा हाल मालूम हो जाए और वह आपकी हौसलाअफ़्ज़ाई करे।


कोई भी बुरी बात आपके मुँह से न निकले बल्कि सिर्फ़ ऐसी बातें जो दूसरों की ज़रूरियात के मुताबिक़ उनकी तामीर करें। यों सुननेवालों को बरकत मिलेगी।


अब ज़रूरी है कि आप उसे मुआफ़ करके तसल्ली दें, वरना वह ग़म खा खाकर तबाह हो जाएगा।


जब भी हम मुसीबत में फँस जाते हैं तो वह हमें तसल्ली देता है ताकि हम औरों को भी तसल्ली दे सकें। फिर जब वह किसी मुसीबत से दोचार होते हैं तो हम भी उनको उसी तरह तसल्ली दे सकते हैं जिस तरह अल्लाह ने हमें तसल्ली दी है।


बेशक आप अच्छी तरह ख़ुदा का शुक्र कर रहे होंगे, लेकिन इससे दूसरे शख़्स की तामीरो-तरक़्क़ी नहीं होगी।


अब मैं बुतों की क़ुरबानी के बारे में बात करता हूँ। हम जानते हैं कि हम सब साहबे-इल्म हैं। इल्म इनसान के फूलने का बाइस बनता है जबकि मुहब्बत उस की तामीर करती है।


बल्कि हर एक अपने पड़ोसी को उस की बेहतरी और रूहानी तामीरो-तरक़्क़ी के लिए ख़ुश करे।


अगर आपकी नेमत हौसलाअफ़्ज़ाई करना है तो हौसलाअफ़्ज़ाई करें। अगर आपकी नेमत दूसरों की ज़रूरियात पूरी करना है तो ख़ुलूसदिली से यही करें। अगर आपकी नेमत राहनुमाई करना है तो सरगरमी से राहनुमाई करें। अगर आपकी नेमत रहम करना है तो ख़ुशी से रहम करें।


यहूदाह और सीलास ने भी जो ख़ुद नबी थे भाइयों की हौसलाअफ़्ज़ाई और मज़बूती के लिए काफ़ी बातें कीं।


हर जगह उन्होंने शागिर्दों के दिल मज़बूत करके उनकी हौसलाअफ़्ज़ाई की कि वह ईमान में साबितक़दम रहें। उन्होंने कहा, “लाज़िम है कि हम बहुत-सी मुसीबतों में से गुज़रकर अल्लाह की बादशाही में दाख़िल हों।”


इस पर यहूदिया, गलील और सामरिया के पूरे इलाक़े में फैली हुई जमात को अमनो-अमान हासिल हुआ। रूहुल-क़ुद्स की हिमायत से उस की तामीरो-तक़वियत हुई, वह ख़ुदा का ख़ौफ़ मानकर चलती रही और तादाद में भी बढ़ती गई।


इस क़िस्म की बहुत-सी और बातों से उसने क़ौम को नसीहत की और उसे अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाई।


इसके बजाए जब तक अल्लाह का यह फ़रमान क़ायम है रोज़ाना एक दूसरे की हौसलाअफ़्ज़ाई करें ताकि आपमें से कोई भी गुनाह के फ़रेब में आकर सख़्तदिल न हो।


मसलन यूसुफ़ नामी एक आदमी था जिसका नाम रसूलों ने बरनबास (हौसलाअफ़्ज़ाई का बेटा) रखा था। वह लावी क़बीले से और जज़ीराए-क़ुबरुस का रहनेवाला था।


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