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۱-کرنتھیوں 13:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 अगर मैं इनसानों और फ़रिश्तों की ज़बानें बोलूँ, लेकिन मुहब्बत न रखूँ तो फिर मैं बस गूँजता हुआ घड़ियाल या ठनठनाती हुई झाँझ ही हूँ।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 اگر مَیں اِنسانوں اَور فرشتوں کی زبانیں بولُوں لیکن مَحَبّت سے خالی رہُوں تو میں ٹھنٹھناتے ہویٔے پیتل یا جھَنجھَناتی ہُوئی جھانجھ کی مانِند ہُوں۔

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کِتابِ مُقادّس

1 اگر مَیں آدمِیوں اور فرِشتوں کی زُبانیں بولُوں اور مُحبّت نہ رکھُّوں تو مَیں ٹھنٹھناتا پِیتل یا جھنجھناتی جَھانجھ ہُوں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 اگر مَیں انسانوں اور فرشتوں کی زبانیں بولوں، لیکن محبت نہ رکھوں تو پھر مَیں بس گونجتا ہوا گھڑیال یا ٹھنٹھناتی ہوئی جھانجھ ہی ہوں۔

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۱-کرنتھیوں 13:1
22 حوالہ جات  

मेरी इस हिदायत का मक़सद यह है कि मुहब्बत उभर आए, ऐसी मुहब्बत जो ख़ालिस दिल, साफ़ ज़मीर और बेरिया ईमान से पैदा होती है।


सबसे ज़रूरी बात यह है कि आप एक दूसरे से लगातार मुहब्बत रखें, क्योंकि मुहब्बत गुनाहों की बड़ी तादाद पर परदा डाल देती है।


रूहुल-क़ुद्स का फल फ़रक़ है। वह मुहब्बत, ख़ुशी, सुलह-सलामती, सब्र, मेहरबानी, नेकी, वफ़ादारी,


मुहब्बत कभी ख़त्म नहीं होती। इसके मुक़ाबले में नबुव्वतें ख़त्म हो जाएँगी, ग़ैरज़बानें जाती रहेंगी, इल्म मिट जाएगा।


क्योंकि जब हम मसीह ईसा में होते हैं तो ख़तना करवाने या न करवाने से कोई फ़रक़ नहीं पड़ता। फ़रक़ सिर्फ़ उस ईमान से पड़ता है जो मुहब्बत करने से ज़ाहिर होता है।


अब मैं बुतों की क़ुरबानी के बारे में बात करता हूँ। हम जानते हैं कि हम सब साहबे-इल्म हैं। इल्म इनसान के फूलने का बाइस बनता है जबकि मुहब्बत उस की तामीर करती है।


यह मग़रूर बातें करते हैं जिनके पीछे कुछ नहीं है और ग़ैरअख़लाक़ी जिस्मानी शहवतों से ऐसे लोगों को उकसाते हैं जो हाल ही में धोके की ज़िंदगी गुज़ारनेवालों में से बच निकले हैं।


अगर आप अपने भाई को अपने किसी खाने के बाइस परेशान कर रहे हैं तो आप मुहब्बत की रूह में ज़िंदगी नहीं गुज़ार रहे। अपने भाई को अपने खाने से हलाक न करें। याद रखें कि मसीह ने उसके लिए अपनी जान दी है।


वह जवाब देगा, ‘मैं तुमको सच बताता हूँ कि जब कभी तुमने इन सबसे छोटों में से एक की मदद करने से इनकार किया तो तुमने मेरी ख़िदमत करने से इनकार किया।’


एक को रूहुल-क़ुद्स हिकमत का कलाम अता करता है, दूसरे को वही रूह इल्मो-इरफ़ान का कलाम।


या फ़र्ज़ करें कि कान कहे, “मैं आँख नहीं हूँ इसलिए बदन का हिस्सा नहीं।” क्या यह कहने पर उसका बदन से नाता टूट जाएगा?


कि उसे छीनकर फ़िर्दौस में लाया गया जहाँ उसने नाक़ाबिले-बयान बातें सुनीं, ऐसी बातें जिनका ज़िक्र करना इनसान के लिए रवा नहीं।


झाँझों की झंकारती आवाज़ से उस की हम्द करो, गूँजती झाँझ से उस की तारीफ़ करो।


और जहाँ जहाँ लोग ईमान रखेंगे वहाँ यह इलाही निशान ज़ाहिर होंगे : वह मेरे नाम से बदरूहें निकाल देंगे, नई नई ज़बानें बोलेंगे


वह एक को मोजिज़े करने की ताक़त देता है, दूसरे को नबुव्वत करने की सलाहियत और तीसरे को मुख़्तलिफ़ रूहों में इम्तियाज़ करने की नेमत। एक को उससे ग़ैरज़बानें बोलने की नेमत मिलती है और दूसरे को इनका तरजुमा करने की।


ग़ैरज़बान बोलनेवाला लोगों से नहीं बल्कि अल्लाह से बात करता है। कोई उस की बात नहीं समझता क्योंकि वह रूह में भेद की बातें करता है।


ग़ैरज़बान बोलनेवाला अपनी तामीरो-तरक़्क़ी करता है जबकि नबुव्वत करनेवाला जमात की।


मैं चाहता हूँ कि आप सब ग़ैरज़बानें बोलें, लेकिन इससे ज़्यादा यह ख़ाहिश रखता हूँ कि आप नबुव्वत करें। नबुव्वत करनेवाला ग़ैरज़बानें बोलनेवाले से अहम है। हाँ, ग़ैरज़बानें बोलनेवाला भी अहम है बशर्तेकि अपनी ज़बान का तरजुमा करे, क्योंकि इससे ख़ुदा की जमात की तामीरो-तरक़्क़ी होती है।


और मैंने आसमान से एक ऐसी आवाज़ सुनी जो किसी बड़े आबशार और गरजते बादलों की ऊँची कड़क की मानिंद थी। यह उस आवाज़ की मानिंद थी जो सरोद बजानेवाले अपने साज़ों से निकालते हैं।


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