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۱-کرنتھیوں 12:8 - किताबे-मुक़द्दस

8 एक को रूहुल-क़ुद्स हिकमत का कलाम अता करता है, दूसरे को वही रूह इल्मो-इरफ़ान का कलाम।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

8 کسی کو پاک رُوح کی طرف سے حِکمت کا کلام عطا کیا جاتا ہے اَور کسی کو اُسی رُوح کے وسیلہ سے علمیّت کا کلام،

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کِتابِ مُقادّس

8 کیونکہ ایک کو رُوح کے وسِیلہ سے حِکمت کا کلام عِنایت ہوتا ہے اور دُوسرے کو اُسی رُوح کی مرضی کے مُوافِق عِلمِیّت کا کلام۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

8 ایک کو روح القدس حکمت کا کلام عطا کرتا ہے، دوسرے کو وہی روح علم و عرفان کا کلام۔

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۱-کرنتھیوں 12:8
30 حوالہ جات  

क्योंकि रब ही हिकमत अता करता, उसी के मुँह से इरफ़ान और समझ निकलती है।


आपके पास सब कुछ कसरत से पाया जाता है, ख़ाह ईमान हो, ख़ाह कलाम, इल्म, मुकम्मल सरगरमी या हमसे मुहब्बत हो। अब इस बात का ख़याल रखें कि आप यह हदिया देने में भी अपनी कसीर दौलत का इज़हार करें।


आपको उसमें हर लिहाज़ से दौलतमंद किया गया है, हर क़िस्म की तक़रीर और इल्मो-इरफ़ान में।


मुझे अपनी मरज़ी पूरी करना सिखा, क्योंकि तू मेरा ख़ुदा है। तेरा नेक रूह हमवार ज़मीन पर मेरी राहनुमाई करे।


यह अल्लाह की तरफ़ से है कि आप मसीह ईसा में हैं। अल्लाह की बख़्शिश से ईसा ख़ुद हमारी दानाई, हमारी रास्तबाज़ी, हमारी तक़दीस और हमारी मख़लसी बन गया है।


न सिर्फ़ यह बल्कि तूने उन्हें अपना नेक रूह अता किया जो उन्हें तालीम दे। जब उन्हें भूक और प्यास थी तो तू उन्हें मन खिलाने और पानी पिलाने से बाज़ न आया।


मुहब्बत कभी ख़त्म नहीं होती। इसके मुक़ाबले में नबुव्वतें ख़त्म हो जाएँगी, ग़ैरज़बानें जाती रहेंगी, इल्म मिट जाएगा।


उसने जवाब दिया, “तुमको तो आसमान की बादशाही के भेद समझने की लियाक़त दी गई है, लेकिन उन्हें यह लियाक़त नहीं दी गई।


रब फ़रमाता है, “जहाँ तक मेरा ताल्लुक़ है, उनके साथ मेरा यह अहद है : मेरा रूह जो तुझ पर ठहरा हुआ है और मेरे अलफ़ाज़ जो मैंने तेरे मुँह में डाले हैं वह अब से अबद तक न तेरे मुँह से, न तेरी औलाद के मुँह से और न तेरी औलाद की औलाद से हटेंगे।” यह रब का फ़रमान है।


रब क़ादिरे-मुतलक़ ने मुझे शागिर्द की-सी ज़बान अता की ताकि मैं वह कलाम जान लूँ जिससे थकामाँदा तक़वियत पाए। सुबह बसुबह वह मेरे कान को जगा देता है ताकि मैं शागिर्द की तरह सुन सकूँ।


लेकिन जो रूह इनसान में है यानी जो दम क़ादिरे-मुतलक़ ने उसमें फूँक दिया वही इनसान को समझ अता करता है।


मैंने उसे इलाही रूह से मामूर करके हिकमत, समझ और तामीर के हर काम के लिए दरकार इल्म दे दिया है।


अगर मेरी नबुव्वत की नेमत हो और मुझे तमाम भेदों और हर इल्म से वाक़िफ़ियत हो, साथ ही मेरा ऐसा ईमान हो कि पहाड़ों को खिसका सकूँ, लेकिन मेरा दिल मुहब्बत से ख़ाली हो तो मैं कुछ भी नहीं।


वही औक़ात और ज़माने बदलने देता है। वही बादशाहों को तख़्त पर बिठा देता और उन्हें तख़्त पर से उतार देता है। वही दानिशमंदों को दानाई और समझदारों को समझ अता करता है।


भाइयो, यह बात पेशे-नज़र रखकर अपने में से सात आदमी चुन लें, जिनके नेक किरदार की आप तसदीक़ कर सकते हैं और जो रूहुल-क़ुद्स और हिकमत से मामूर हैं। फिर हम उन्हें खाना तक़सीम करने की यह ज़िम्मादारी देकर


मेरे भाइयो, मुझे पूरा यक़ीन है कि आप ख़ुद भलाई से मामूर हैं, कि आप हर तरह का इल्मो-इरफ़ान रखते हैं और एक दूसरे को नसीहत करने के क़ाबिल भी हैं।


इनसान के बातिन से कौन वाक़िफ़ है सिवाए इनसान की रूह के जो उसके अंदर है? इसी तरह अल्लाह से ताल्लुक़ रखनेवाली बातों को कोई नहीं जानता सिवाए अल्लाह के रूह के।


चुनाँचे पाक कलाम में लिखा है, “किसने रब की सोच को जाना? कौन उसको तालीम देगा?” लेकिन हम मसीह की सोच रखते हैं।


भाइयो, अगर मैं आपके पास आकर ग़ैरज़बानें बोलूँ, लेकिन मुकाशफ़े, इल्म, नबुव्वत और तालीम की कोई बात न करूँ तो आपको क्या फ़ायदा होगा?


भाइयो, फिर क्या होना चाहिए? जब आप जमा होते हैं तो हर एक के पास कोई गीत या तालीम या मुकाशफ़ा या ग़ैरज़बान या इसका तरजुमा हो। इन सबका मक़सद ख़ुदा की जमात की तामीरो-तरक़्क़ी हो।


यह बात हमारे लिए फ़ख़र का बाइस है कि हमारा ज़मीर साफ़ है। क्योंकि हमने अल्लाह के सामने सादादिली और ख़ुलूस से ज़िंदगी गुज़ारी है, और हमने अपनी इनसानी हिकमत पर इनहिसार नहीं किया बल्कि अल्लाह के फ़ज़ल पर। दुनिया में और ख़ासकर आपके साथ हमारा रवैया ऐसा ही रहा है।


लेकिन ख़ुदा का शुक्र है! वही हमारे आगे आगे चलता है और हम मसीह के क़ैदी बनकर उस की फ़तह मनाते हुए उसके पीछे पीछे चलते हैं। यों अल्लाह हमारे वसीले से हर जगह मसीह के बारे में इल्म ख़ुशबू की तरह फैलाता है।


क्योंकि जिस ख़ुदा ने फ़रमाया, “अंधेरे में से रौशनी चमके,” उसने हमारे दिलों में अपनी रौशनी चमकने दी ताकि हम अल्लाह का वह जलाल जान लें जो ईसा मसीह के चेहरे से चमकता है।


जब हम अपनी पाकीज़गी, इल्म, सब्र और मेहरबान सुलूक का इज़हार करते हैं, जब हम रूहुल-क़ुद्स के वसीले से हक़ीक़ी मुहब्बत रखते,


हो सकता है कि मैं बोलने में माहिर नहीं हूँ, लेकिन यह मेरे इल्म के बारे में नहीं कहा जा सकता। यह हमने आपको साफ़ साफ़ और हर लिहाज़ से दिखाया है।


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