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۱-کرنتھیوں 11:20 - किताबे-मुक़द्दस

20 जब आप जमा होते हैं तो जो खाना आप खाते हैं उसका अशाए-रब्बानी से कोई ताल्लुक़ नहीं रहा।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

20 کیونکہ جَب تُم جمع ہوتے ہو تو تمہارا کھانا عِشائے خُداوندی نہیں ہو سَکتا۔

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کِتابِ مُقادّس

20 پس جب تُم باہم جمع ہوتے ہو تو تُمہارا وہ کھانا عشایِ ربّانی نہیں ہو سکتا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

20 جب آپ جمع ہوتے ہیں تو جو کھانا آپ کھاتے ہیں اُس کا عشائے ربانی سے کوئی تعلق نہیں رہا۔

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۱-کرنتھیوں 11:20
10 حوالہ جات  

लाज़िम है कि आपके दरमियान मुख़्तलिफ़ पार्टियाँ नज़र आएँ ताकि आपमें से वह ज़ाहिर हो जाएँ जो आज़माने के बाद भी सच्चे निकलें।


क्योंकि हर शख़्स दूसरों का इंतज़ार किए बग़ैर अपना खाना खाने लगता है। नतीजे में एक भूका रहता है जबकि दूसरे को नशा हो जाता है।


जब यह लोग ख़ुदावंद की मुहब्बत को याद करनेवाले रिफ़ाक़ती खानों में शरीक होते हैं तो रिफ़ाक़त के लिए धब्बे बन जाते हैं। यह डरे बग़ैर खाना खा खाकर उससे महज़ूज़ होते हैं। यह ऐसे चरवाहे हैं जो सिर्फ़ अपनी गल्लाबानी करते हैं। यह ऐसे बादल हैं जो हवाओं के ज़ोर से चलते तो हैं लेकिन बरसते नहीं। यह सर्दियों के मौसम में ऐसे दरख़्तों की मानिंद हैं जो दो लिहाज़ से मुरदा हैं। वह फल नहीं लाते और जड़ से उखड़े हुए हैं।


गो वह मुझे क़ुरबानियाँ पेश करके उनका गोश्त खाते हैं, लेकिन मैं, रब इनसे ख़ुश नहीं होता बल्कि उनके गुनाहों को याद करके उन्हें सज़ा दूँगा। तब उन्हें दुबारा मिसर जाना पड़ेगा।


ईदों पर भी तुम खाते-पीते वक़्त सिर्फ़ अपनी ही ख़ातिर ख़ुशी मनाते हो।


यह ईमानदार रसूलों से तालीम पाने, रिफ़ाक़त रखने और रिफ़ाक़ती खानों और दुआओं में शरीक होते रहे।


रोज़ाना वह यकदिली से बैतुल-मुक़द्दस में जमा होते रहे। साथ साथ वह मसीह की याद में अपने घरों में रोटी तोड़ते, बड़ी ख़ुशी और सादगी से रिफ़ाक़ती खाना खाते


मैं आपको एक और हिदायत देता हूँ। लेकिन इस सिलसिले में मेरे पास आपके लिए तारीफ़ी अलफ़ाज़ नहीं, क्योंकि आपका जमा होना आपकी बेहतरी का बाइस नहीं होता बल्कि नुक़सान का बाइस।


हम बाहम जमा होने से बाज़ न आएँ, जिस तरह बाज़ की आदत बन गई है। इसके बजाए हम एक दूसरे की हौसलाअफ़्ज़ाई करें, ख़ासकर यह बात मद्दे-नज़र रखकर कि ख़ुदावंद का दिन क़रीब आ रहा है।


यों जो नुक़सान उन्होंने दूसरों को पहुँचाया वही उन्हें ख़ुद भुगतना पड़ेगा। उनके नज़दीक लुत्फ़ उठाने से मुराद यह है कि दिन के वक़्त खुलकर ऐश करें। वह दाग़ और धब्बे हैं जो आपकी ज़ियाफ़तों में शरीक होकर अपनी दग़ाबाज़ियों की रंगरलियाँ मनाते हैं।


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