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۱-تواریخ 6:8 - किताबे-मुक़द्दस

8 अख़ीतूब के सदोक़, सदोक़ के अख़ीमाज़,

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

8 اَور احِیطوبؔ سے صدُوقؔ اَور صدُوقؔ سے اخِیمعضؔ۔

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کِتابِ مُقادّس

8 اور اخِیطوؔب سے صدُوؔق پَیدا ہُؤا اور صدُوؔق سے اخِیمعض پَیدا ہُؤا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

8 اخی طوب کے صدوق، صدوق کے اخی معض،

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۱-تواریخ 6:8
19 حوالہ جات  

जहाँ तक आपका ताल्लुक़ है, अपने बेटे अख़ीमाज़ को साथ लेकर सहीह-सलामत शहर में वापस चले जाएँ। अबियातर और उसका बेटा यूनतन भी साथ जाएँ।


सदोक़ बिन अख़ीतूब और अख़ीमलिक बिन अबियातर इमाम थे। सिरायाह मीरमुंशी था।


योआब की जगह बादशाह ने बिनायाह बिन यहोयदा को फ़ौज का कमाँडर बना दिया। अबियातर का ओहदा उसने सदोक़ इमाम को दे दिया।


उसने उसे सदोक़ इमाम, नातन नबी, बिनायाह बिन यहोयदा और बादशाह के मुहाफ़िज़ करेतियों और फ़लेतियों के साथ जैहून चश्मे के पास भेज दिया है। सुलेमान बादशाह के ख़च्चर पर सवार था।


वहाँ सदोक़ और नातन उसे मसह करके इसराईल का बादशाह बना दें। नरसिंगे को बजा बजाकर नारा लगाना, ‘सुलेमान बादशाह ज़िंदाबाद!’


लेकिन सदोक़ इमाम, बिनायाह बिन यहोयदा और नातन नबी उसके साथ नहीं थे, न सिमई, रेई या दाऊद के मुहाफ़िज़।


सिवा मीरमुंशी था और सदोक़ और अबियातर इमाम थे।


लेकिन अख़ीमाज़ ख़ुश नहीं था। वह इसरार करता रहा, “कुछ भी हो जाए, मेहरबानी करके मुझे उसके पीछे दौड़ने दें!” एक और बार योआब ने उसे रोकने की कोशिश की, “बेटे, आप जाने के लिए क्यों तड़पते हैं? जो ख़बर पहुँचानी है उसके लिए आपको इनाम नहीं मिलेगा।”


अख़ीमाज़ बिन सदोक़ ने योआब से दरख़ास्त की, “मुझे दौड़कर बादशाह को ख़ुशख़बरी सुनाने दें कि रब ने उसे दुश्मनों से बचा लिया है।”


अबीसलूम के सिपाही उस घर में पहुँचे और औरत से पूछने लगे, “अख़ीमाज़ और यूनतन कहाँ हैं?” औरत ने जवाब दिया, “वह आगे निकल चुके हैं, क्योंकि वह नदी को पार करना चाहते थे।” सिपाही दोनों आदमियों का खोज लगाते लगाते थक गए। आख़िरकार वह ख़ाली हाथ यरूशलम लौट गए।


यूनतन और अख़ीमाज़ यरूशलम से बाहर के चश्मे ऐन-राजिल के पास इंतज़ार कर रहे थे, क्योंकि वह शहर में दाख़िल होकर किसी को नज़र आने का ख़तरा मोल नहीं ले सकते थे। एक नौकरानी शहर से निकल आई और उन्हें हूसी का पैग़ाम दे दिया ताकि वह आगे निकलकर उसे दाऊद तक पहुँचाएँ।


हूसी ने दोनों इमामों सदोक़ और अबियातर को वह मनसूबा बताया जो अख़ीतुफ़ल ने अबीसलूम और इसराईल के बुज़ुर्गों को पेश किया था। साथ साथ उसने उन्हें अपने मशवरे के बारे में भी आगाह किया।


मिरायोत के अमरियाह, अमरियाह के अख़ीतूब,


अख़ीमाज़ के अज़रियाह, अज़रियाह के यूहनान


सदोक़ नामी एक दिलेर और जवान फ़ौजी भी शामिल था। उसके साथ उसके अपने ख़ानदान के 22 अफ़सर थे।


दाऊद ने इमामों को ख़िदमत के मुख़्तलिफ़ गुरोहों में तक़सीम किया। सदोक़ और अख़ीमलिक ने इसमें दाऊद की मदद की (सदोक़ इलियज़र की औलाद में से और अख़ीमलिक इतमर की औलाद में से था)।


तो सदोक़ के ख़ानदान का इमामे-आज़म अज़रियाह ने जवाब दिया, “जब से लोग अपने हदिये यहाँ ले आते हैं उस वक़्त से हम जी भरकर खा सकते हैं बल्कि काफ़ी कुछ बच भी जाता है। क्योंकि रब ने अपनी क़ौम को इतनी बरकत दी है कि यह सब कुछ बाक़ी रह गया है।”


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