32 दाऊद बादशाह ने उसे रूबिन, जद और मनस्सी के मशरिक़ी इलाक़े को सँभालने की ज़िम्मादारी दी। यरियाह की इस ख़िदमत में उसके ख़ानदान के मज़ीद 2,700 अफ़राद भी शामिल थे। सब लायक़ और अपने अपने ख़ानदानों के सरपरस्त थे। उस इलाक़े में वह रब के घर से मुताल्लिक़ कामों के अलावा बादशाह की ख़िदमत भी सरंजाम देते थे।
32 یرِیاہؔ کے دو ہزار سات سَو رشتہ دار تھے جو بڑے دِلیر اَور آبائی خاندانوں کے سربراہ تھے اَور داویؔد بادشاہ نے اُنہیں رُوبِنیوں، گادیوں اَور منشّہ کے آدھے قبیلہ پر خُدا کے سارے کاموں اَور شاہی مُعاملات کا مختار مُقرّر کر دیا تھا۔
32 اور اُس کے بھائی دو ہزار سات سَو سُورما اور آبائی خاندانوں کے سردار تھے جِن کو داؤُد بادشاہ نے رُوبِینیوں اور جدّیوں اور منسّی کے آدھے قبِیلہ پر خُدا کے ہر ایک کام اور شاہی مُعاملات کے لِئے سردار بنایا۔
32 داؤد بادشاہ نے اُسے روبن، جد اور منسّی کے مشرقی علاقے کو سنبھالنے کی ذمہ داری دی۔ یریاہ کی اِس خدمت میں اُس کے خاندان کے مزید 2,700 افراد بھی شامل تھے۔ سب لائق اور اپنے اپنے خاندانوں کے سرپرست تھے۔ اُس علاقے میں وہ رب کے گھر سے متعلق کاموں کے علاوہ بادشاہ کی خدمت بھی سرانجام دیتے تھے۔
इमामे-आज़म अमरियाह रब की शरीअत से ताल्लुक़ रखनेवाले मामलात का हतमी फ़ैसला करेगा। जो मुक़दमे बादशाह से ताल्लुक़ रखते हैं उनका हतमी फ़ैसला यहूदाह के क़बीले का सरबराह ज़बदियाह बिन इसमाईल करेगा। अदालत का इंतज़ाम चलाने में लावी आपकी मदद करेंगे। अब हौसला रखकर अपनी ख़िदमत सरंजाम दें। जो भी सहीह काम करेगा उसके साथ रब होगा।”
इमामों की तरह उनकी ज़िम्मादारियाँ भी क़ुरा-अंदाज़ी से मुक़र्रर की गईं। इस सिलसिले में सबसे छोटे भाई के ख़ानदान के साथ और सबसे बड़े भाई के ख़ानदान के साथ सुलूक बराबर था। इस काररवाई के लिए भी दाऊद बादशाह, सदोक़, अख़ीमलिक और इमामों और लावियों के ख़ानदानी सरपरस्त हाज़िर थे।
ग़रज़ यह लावी के क़बीले के ख़ानदान और सरपरस्त थे। हर एक को ख़ानदानी रजिस्टर में दर्ज किया गया था। इनमें से जो रब के घर में ख़िदमत करते थे हर एक की उम्र कम अज़ कम 20 साल थी।
उनसे कहा, “आप लावियों के सरबराह हैं। लाज़िम है कि आप अपने क़बायली भाइयों के साथ अपने आपको मख़सूसो-मुक़द्दस करके रब इसराईल के ख़ुदा के संदूक़ को उस जगह ले जाएँ जो मैंने उसके लिए तैयार कर रखी है।
दर्जे-ज़ैल उन ख़ानदानी सरपरस्तों, हज़ार हज़ार और सौ सौ फ़ौजियों पर मुक़र्रर अफ़सरों और सरकारी अफ़सरों की फ़हरिस्त है जो बादशाह के मुलाज़िम थे। फ़ौज 12 गुरोहों पर मुश्तमिल थी, और हर गुरोह के 24,000 अफ़राद थे। हर गुरोह की ड्यूटी साल में एक माह के लिए लगती थी।