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۱-تواریخ 23:4 - किताबे-मुक़द्दस

4 इन्हें दाऊद ने मुख़्तलिफ़ ज़िम्मादारियाँ सौंपीं। 24,000 अफ़राद रब के घर की तामीर के निगरान, 6,000 अफ़सर और क़ाज़ी,

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

4 داویؔد نے فرمایا، ”اِن میں سے چوبیس ہزار یَاہوِہ کے بیت المُقدّس کے کام کی نِگرانی کریں گے اَور چھ ہزار اہلکار اَور مُنصِف ہوں گے،

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کِتابِ مُقادّس

4 اِن میں سے چَوبِیس ہزار خُداوند کے گھر کے کام کی نِگرانی پر مُقرّر ہُوئے اور چھ ہزار سردار اور مُنصِف تھے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

4 اِنہیں داؤد نے مختلف ذمہ داریاں سونپیں۔ 24,000 افراد رب کے گھر کی تعمیر کے نگران، 6,000 افسر اور قاضی،

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۱-تواریخ 23:4
16 حوالہ جات  

यरूशलम में यहूसफ़त ने कुछ लावियों, इमामों और ख़ानदानी सरपरस्तों को इनसाफ़ करने की ज़िम्मादारी दी। रब की शरीअत से मुताल्लिक़ किसी मामले या यरूशलम के बाशिंदों के दरमियान झगड़े की सूरत में उन्हें फ़ैसला करना था।


अपने अपने क़बायली इलाक़े में क़ाज़ी और निगहबान मुक़र्रर कर। वह हर उस शहर में हों जो रब तेरा ख़ुदा तुझे देगा। वह इनसाफ़ से लोगों की अदालत करें।


चुनाँचे ख़बरदार रहकर अपना और उस पूरे गल्ले का ख़याल रखना जिस पर रूहुल-क़ूदस ने आपको मुक़र्रर किया है। निगरानों और चरवाहों की हैसियत से अल्लाह की जमात की ख़िदमत करें, उस जमात की जिसे उसने अपने ही फ़रज़ंद के ख़ून से हासिल किया है।


इमामों का फ़र्ज़ है कि वह सहीह तालीम महफ़ूज़ रखें, और लोगों को उनसे हिदायत हासिल करनी चाहिए। क्योंकि इमाम रब्बुल-अफ़वाज का पैग़ंबर है।


यरूशलम में रहनेवाले लावियों का निगरान उज़्ज़ी बिन बानी बिन हसबियाह बिन मत्तनियाह बिन मीका था। वह आसफ़ के ख़ानदान का था, उस ख़ानदान का जिसके गुलूकार अल्लाह के घर में ख़िदमत करते थे।


इन पर योएल बिन ज़िकरी मुक़र्रर था जबकि यहूदाह बिन सनुआह शहर की इंतज़ामिया में दूसरे नंबर पर आता था।


दूसरे लावियों को अल्लाह की सुकूनतगाह में बाक़ीमाँदा ज़िम्मादारियाँ दी गई थीं।


अगर तनाज़ा हो तो इमाम मेरे अहकाम के मुताबिक़ ही उस पर फ़ैसला करें। उनका फ़र्ज़ है कि वह मेरी मुक़र्ररा ईदों को मेरी हिदायात और क़वायद के मुताबिक़ ही मनाएँ। वह मेरा सबत का दिन मख़सूसो-मुक़द्दस रखें।


यहोयदा ने इमामों और लावियों को दुबारा रब के घर को सँभालने की ज़िम्मादारी दी। दाऊद ने उन्हें ख़िदमत के लिए गुरोहों में तक़सीम किया था। उस की हिदायात के मुताबिक़ उन्हीं को ख़ुशी मनाते और गीत गाते हुए भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ पेश करनी थीं, जिस तरह मूसा की शरीअत में लिखा है।


वह मज़दूरों और तमाम दीगर कारीगरों पर मुक़र्रर थे। कुछ और लावी मुंशी, निगरान और दरबान थे।


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