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۱-تواریخ 17:2 - किताबे-मुक़द्दस

2 नातन ने बादशाह की हौसलाअफ़्ज़ाई की, “जो कुछ भी आप करना चाहते हैं वह करें। अल्लाह आपके साथ है।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

2 ناتنؔ نے داویؔد سے کہا، ”جو کچھ آپ کے دِل میں ہے اُسے کریں کیونکہ خُدا آپ کے ساتھ ہیں۔“

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کِتابِ مُقادّس

2 ناتن نے داؤُد سے کہا کہ جو کُچھ تیرے دِل میں ہے سو کر کیونکہ خُدا تیرے ساتھ ہے۔

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2 ناتن نے بادشاہ کی حوصلہ افزائی کی، ”جو کچھ بھی آپ کرنا چاہتے ہیں وہ کریں۔ اللہ آپ کے ساتھ ہے۔“

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۱-تواریخ 17:2
13 حوالہ جات  

क्योंकि इस वक़्त हमारा इल्म नामुकम्मल है और हमारी नबुव्वत सब कुछ ज़ाहिर नहीं करती।


दाऊद बादशाह उनके सामने खड़े होकर उनसे मुख़ातिब हुआ, “मेरे भाइयो और मेरी क़ौम, मेरी बात पर ध्यान दें! काफ़ी देर से मैं एक ऐसा मकान तामीर करना चाहता था जिसमें रब के अहद का संदूक़ मुस्तक़िल तौर पर रखा जा सके। आख़िर यह तो हमारे ख़ुदा की चौकी है। इस मक़सद से मैं तैयारियाँ करने लगा।


फ़रिश्ते ने उसके पास आकर कहा, “ऐ ख़ातून जिस पर रब का ख़ास फ़ज़ल हुआ है, सलाम! रब तेरे साथ है।”


रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है कि उन दिनों में मुख़्तलिफ़ अक़वाम और अहले-ज़बान के दस आदमी एक यहूदी के दामन को पकड़कर कहेंगे, ‘हमें अपने साथ चलने दें, क्योंकि हमने सुना है कि अल्लाह आपके साथ है’।”


वह तेरे दिल की आरज़ू पूरी करे, तेरे तमाम मनसूबों को कामयाबी बख़्शे।


कहा, “मेरे बेटे, मैं ख़ुद रब अपने ख़ुदा के नाम के लिए घर बनाना चाहता था।


नातन ने बादशाह की हौसलाअफ़्ज़ाई की, “जो कुछ भी आप करना चाहते हैं वह करें। रब आपके साथ है।”


लेकिन रब ने फ़रमाया, “इसकी शक्लो-सूरत और लंबे क़द से मुतअस्सिर न हो, क्योंकि यह मुझे नामंज़ूर है। मैं इनसान की नज़र से नहीं देखता। क्योंकि इनसान ज़ाहिरी सूरत पर ग़ौर करके फ़ैसला करता है जबकि रब को हर एक का दिल साफ़ साफ़ नज़र आता है।”


जब यह तमाम निशान वुजूद में आएँगे तो वह कुछ करें जो आपके ज़हन में आ जाए, क्योंकि अल्लाह आपके साथ होगा।


इसराईलियों ने मुसाफ़िरों का कुछ खाना लिया। अफ़सोस, उन्होंने रब से हिदायत न माँगी।


मेरे बाप दाऊद की बड़ी ख़ाहिश थी कि रब इसराईल के ख़ुदा के नाम की ताज़ीम में घर बनाए।


दाऊद बादशाह सलामती से अपने महल में रहने लगा। एक दिन उसने नातन नबी से बात की, “देखें, मैं यहाँ देवदार के महल में रहता हूँ जबकि रब के अहद का संदूक़ अब तक तंबू में पड़ा है। यह मुनासिब नहीं!”


लेकिन उसी रात अल्लाह नातन से हमकलाम हुआ,


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