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रोमियों 14:5 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

5 अपरञ्च कश्चिज्जनो दिनाद् दिनं विशेषं मन्यते कश्चित्तुु सर्व्वाणि दिनानि समानानि मन्यते, एकैको जनः स्वीयमनसि विविच्य निश्चिनोतु।

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि


अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

5 অপৰঞ্চ কশ্চিজ্জনো দিনাদ্ দিনং ৱিশেষং মন্যতে কশ্চিত্তুु সৰ্ৱ্ৱাণি দিনানি সমানানি মন্যতে, একৈকো জনঃ স্ৱীযমনসি ৱিৱিচ্য নিশ্চিনোতু|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

5 অপরঞ্চ কশ্চিজ্জনো দিনাদ্ দিনং ৱিশেষং মন্যতে কশ্চিত্তুु সর্ৱ্ৱাণি দিনানি সমানানি মন্যতে, একৈকো জনঃ স্ৱীযমনসি ৱিৱিচ্য নিশ্চিনোতু|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

5 အပရဉ္စ ကၑ္စိဇ္ဇနော ဒိနာဒ် ဒိနံ ဝိၑေၐံ မနျတေ ကၑ္စိတ္တုु သရွွာဏိ ဒိနာနိ သမာနာနိ မနျတေ, ဧကဲကော ဇနး သွီယမနသိ ဝိဝိစျ နိၑ္စိနောတု၊

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

5 aparanjca kazcijjanO dinAd dinaM vizESaM manyatE kazcittuु sarvvANi dinAni samAnAni manyatE, EkaikO janaH svIyamanasi vivicya nizcinOtu|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

5 અપરઞ્ચ કશ્ચિજ્જનો દિનાદ્ દિનં વિશેષં મન્યતે કશ્ચિત્તુु સર્વ્વાણિ દિનાનિ સમાનાનિ મન્યતે, એકૈકો જનઃ સ્વીયમનસિ વિવિચ્ય નિશ્ચિનોતુ|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि




रोमियों 14:5
9 अन्तरसन्दर्भाः  

प्रथमतो ये साक्षिणो वाक्यप्रचारकाश्चासन् तेऽस्माकं मध्ये यद्यत् सप्रमाणं वाक्यमर्पयन्ति स्म


किमपि वस्तु स्वभावतो नाशुचि भवतीत्यहं जाने तथा प्रभुना यीशुख्रीष्टेनापि निश्चितं जाने, किन्तु यो जनो यद् द्रव्यम् अपवित्रं जानीते तस्य कृते तद् अपवित्रम् आस्ते।


किन्तु यः कश्चित् संशय्य भुङ्क्तेऽर्थात् न प्रतीत्य भुङ्क्ते, स एवावश्यं दण्डार्हो भविष्यति, यतो यत् प्रत्ययजं नहि तदेव पापमयं भवति।


किन्त्वीश्वरेण यत् प्रतिश्रुतं तत् साधयितुं शक्यत इति निश्चितं विज्ञाय दृढविश्वासः सन् ईश्वरस्य महिमानं प्रकाशयाञ्चकार।


तथा सति यस्य कृते ख्रीष्टो ममार तव स दुर्ब्बलो भ्राता तव ज्ञानात् किं न विनंक्ष्यति?


अधिकन्तु ज्ञानं सर्व्वेषां नास्ति यतः केचिदद्यापि देवतां सम्मन्य देवप्रसादमिव तद् भक्ष्यं भुञ्जते तेन दुर्ब्बलतया तेषां स्वान्तानि मलीमसानि भवन्ति।


अस्मान् अनुसरणं कुर्वन्तु : १.

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