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रोमियों 11:24 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

24 वन्यजितवृक्षस्य शाखा सन् त्वं यदि ततश्छिन्नो रीतिव्यत्ययेनोत्तमजितवृक्षे रोेेपितोऽभवस्तर्हि तस्य वृक्षस्य स्वीया याः शाखास्ताः किं पुनः स्ववृक्षे संलगितुं न शक्नुवन्ति?

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि


अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

24 ৱন্যজিতৱৃক্ষস্য শাখা সন্ ৎৱং যদি ততশ্ছিন্নো ৰীতিৱ্যত্যযেনোত্তমজিতৱৃক্ষে ৰোेेপিতোঽভৱস্তৰ্হি তস্য ৱৃক্ষস্য স্ৱীযা যাঃ শাখাস্তাঃ কিং পুনঃ স্ৱৱৃক্ষে সংলগিতুং ন শক্নুৱন্তি?

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

24 ৱন্যজিতৱৃক্ষস্য শাখা সন্ ৎৱং যদি ততশ্ছিন্নো রীতিৱ্যত্যযেনোত্তমজিতৱৃক্ষে রোेेপিতোঽভৱস্তর্হি তস্য ৱৃক্ষস্য স্ৱীযা যাঃ শাখাস্তাঃ কিং পুনঃ স্ৱৱৃক্ষে সংলগিতুং ন শক্নুৱন্তি?

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

24 ဝနျဇိတဝၖက္ၐသျ ၑာခါ သန် တွံ ယဒိ တတၑ္ဆိန္နော ရီတိဝျတျယေနောတ္တမဇိတဝၖက္ၐေ ရောेेပိတော'ဘဝသ္တရှိ တသျ ဝၖက္ၐသျ သွီယာ ယား ၑာခါသ္တား ကိံ ပုနး သွဝၖက္ၐေ သံလဂိတုံ န ၑက္နုဝန္တိ?

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

24 vanyajitavRkSasya zAkhA san tvaM yadi tatazchinnO rItivyatyayEnOttamajitavRkSE rOेेpitO'bhavastarhi tasya vRkSasya svIyA yAH zAkhAstAH kiM punaH svavRkSE saMlagituM na zaknuvanti?

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

24 વન્યજિતવૃક્ષસ્ય શાખા સન્ ત્વં યદિ તતશ્છિન્નો રીતિવ્યત્યયેનોત્તમજિતવૃક્ષે રોेेપિતોઽભવસ્તર્હિ તસ્ય વૃક્ષસ્ય સ્વીયા યાઃ શાખાસ્તાઃ કિં પુનઃ સ્વવૃક્ષે સંલગિતું ન શક્નુવન્તિ?

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि




रोमियों 11:24
4 अन्तरसन्दर्भाः  

अपरञ्च ते यद्यप्रत्यये न तिष्ठन्ति तर्हि पुनरपि रोपयिष्यन्ते यस्मात् तान् पुनरपि रोपयितुम् इश्वरस्य शक्तिरास्ते।


हे भ्रातरो युष्माकम् आत्माभिमानो यन्न जायते तदर्थं ममेदृशी वाञ्छा भवति यूयं एतन्निगूढतत्त्वम् अजानन्तो यन्न तिष्ठथ; वस्तुतो यावत्कालं सम्पूर्णरूपेण भिन्नदेशिनां संग्रहो न भविष्यति तावत्कालम् अंशत्वेन इस्रायेलीयलोकानाम् अन्धता स्थास्यति;


अतएव पूर्व्वम् ईश्वरेऽविश्वासिनः सन्तोऽपि यूयं यद्वत् सम्प्रति तेषाम् अविश्वासकारणाद् ईश्वरस्य कृपापात्राणि जातास्तद्वद्


अस्मान् अनुसरणं कुर्वन्तु : १.

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