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प्रकाशितवाक्य 6:8 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

8 ततः पाण्डुरवर्ण एको ऽश्वो मया दृष्टः, तदारोहिणो नाम मृत्युरिति परलोकश्च तम् अनुचरति खङ्गेन दुर्भिक्षेण महामार्य्या वन्यपशुभिश्च लोकानां बधाय पृथिव्याश्चतुर्थांशस्याधिपत्यं तस्मा अदायि।

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि


अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

8 ততঃ পাণ্ডুৰৱৰ্ণ একো ঽশ্ৱো মযা দৃষ্টঃ, তদাৰোহিণো নাম মৃত্যুৰিতি পৰলোকশ্চ তম্ অনুচৰতি খঙ্গেন দুৰ্ভিক্ষেণ মহামাৰ্য্যা ৱন্যপশুভিশ্চ লোকানাং বধায পৃথিৱ্যাশ্চতুৰ্থাংশস্যাধিপত্যং তস্মা অদাযি|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

8 ততঃ পাণ্ডুরৱর্ণ একো ঽশ্ৱো মযা দৃষ্টঃ, তদারোহিণো নাম মৃত্যুরিতি পরলোকশ্চ তম্ অনুচরতি খঙ্গেন দুর্ভিক্ষেণ মহামার্য্যা ৱন্যপশুভিশ্চ লোকানাং বধায পৃথিৱ্যাশ্চতুর্থাংশস্যাধিপত্যং তস্মা অদাযি|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

8 တတး ပါဏ္ဍုရဝရ္ဏ ဧကော 'ၑွော မယာ ဒၖၐ္ဋး, တဒါရောဟိဏော နာမ မၖတျုရိတိ ပရလောကၑ္စ တမ် အနုစရတိ ခင်္ဂေန ဒုရ္ဘိက္ၐေဏ မဟာမာရျျာ ဝနျပၑုဘိၑ္စ လောကာနာံ ဗဓာယ ပၖထိဝျာၑ္စတုရ္ထာံၑသျာဓိပတျံ တသ္မာ အဒါယိ၊

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

8 tataH pANPuravarNa EkO 'zvO mayA dRSTaH, tadArOhiNO nAma mRtyuriti paralOkazca tam anucarati khaggEna durbhikSENa mahAmAryyA vanyapazubhizca lOkAnAM badhAya pRthivyAzcaturthAMzasyAdhipatyaM tasmA adAyi|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

8 તતઃ પાણ્ડુરવર્ણ એકો ઽશ્વો મયા દૃષ્ટઃ, તદારોહિણો નામ મૃત્યુરિતિ પરલોકશ્ચ તમ્ અનુચરતિ ખઙ્ગેન દુર્ભિક્ષેણ મહામાર્ય્યા વન્યપશુભિશ્ચ લોકાનાં બધાય પૃથિવ્યાશ્ચતુર્થાંશસ્યાધિપત્યં તસ્મા અદાયિ|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि




प्रकाशितवाक्य 6:8
26 अन्तरसन्दर्भाः  

अपरञ्च बत कफर्नाहूम्, त्वं स्वर्गं यावदुन्नतोसि, किन्तु नरके निक्षेप्स्यसे, यस्मात् त्वयि यान्याश्चर्य्याणि कर्म्मण्यकारिषत, यदि तानि सिदोम्नगर अकारिष्यन्त, तर्हि तदद्य यावदस्थास्यत्।


अपरं देशस्य विपक्षो देशो राज्यस्य विपक्षो राज्यं भविष्यति, स्थाने स्थाने च दुर्भिक्षं महामारी भूकम्पश्च भविष्यन्ति,


मृत्यो ते कण्टकं कुत्र परलोक जयः क्क ते॥


अहम् अमरस्तथापि मृतवान् किन्तु पश्याहम् अनन्तकालं यावत् जीवामि। आमेन्। मृत्योः परलोकस्य च कुञ्जिका मम हस्तगताः।


स स्वलाङ्गूलेन गगनस्थनक्षत्राणां तृतीयांशम् अवमृज्य पृथिव्यां न्यपातयत्। स एव नागो नवजातं सन्तानं ग्रसितुम् उद्यतस्तस्याः प्रसविष्यमाणाया योषितो ऽन्तिके ऽतिष्ठत्।


ततस्तद्दण्डस्य तद्दिनस्य तन्मासस्य तद्वत्सरस्य च कृते निरूपितास्ते चत्वारो दूता मानवानां तृतीयांशस्य बधार्थं मोचिताः।


एतैस्त्रिभि र्दण्डैरर्थतस्तेषां मुखेभ्यो निर्गच्छद्भि र्वह्निधूमगन्धकै र्मानुषाणां तुतीयांशो ऽघानि।


अस्मान् अनुसरणं कुर्वन्तु : १.

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