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मत्ती 12:39 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

39 तदा स प्रत्युक्तवान्, दुष्टो व्यभिचारी च वंशो लक्ष्म मृगयते, किन्तु भविष्यद्वादिनो यूनसो लक्ष्म विहायान्यत् किमपि लक्ष्म ते न प्रदर्शयिष्यन्ते।

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि


अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

39 তদা স প্ৰত্যুক্তৱান্, দুষ্টো ৱ্যভিচাৰী চ ৱংশো লক্ষ্ম মৃগযতে, কিন্তু ভৱিষ্যদ্ৱাদিনো যূনসো লক্ষ্ম ৱিহাযান্যৎ কিমপি লক্ষ্ম তে ন প্ৰদৰ্শযিষ্যন্তে|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

39 তদা স প্রত্যুক্তৱান্, দুষ্টো ৱ্যভিচারী চ ৱংশো লক্ষ্ম মৃগযতে, কিন্তু ভৱিষ্যদ্ৱাদিনো যূনসো লক্ষ্ম ৱিহাযান্যৎ কিমপি লক্ষ্ম তে ন প্রদর্শযিষ্যন্তে|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

39 တဒါ သ ပြတျုက္တဝါန်, ဒုၐ္ဋော ဝျဘိစာရီ စ ဝံၑော လက္ၐ္မ မၖဂယတေ, ကိန္တု ဘဝိၐျဒွါဒိနော ယူနသော လက္ၐ္မ ဝိဟာယာနျတ် ကိမပိ လက္ၐ္မ တေ န ပြဒရ္ၑယိၐျန္တေ၊

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

39 tadA sa pratyuktavAn, duSTO vyabhicArI ca vaMzO lakSma mRgayatE, kintu bhaviSyadvAdinO yUnasO lakSma vihAyAnyat kimapi lakSma tE na pradarzayiSyantE|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

39 તદા સ પ્રત્યુક્તવાન્, દુષ્ટો વ્યભિચારી ચ વંશો લક્ષ્મ મૃગયતે, કિન્તુ ભવિષ્યદ્વાદિનો યૂનસો લક્ષ્મ વિહાયાન્યત્ કિમપિ લક્ષ્મ તે ન પ્રદર્શયિષ્યન્તે|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि




मत्ती 12:39
8 अन्तरसन्दर्भाः  

एतत्कालस्य दुष्टो व्यभिचारी च वंशो लक्ष्म गवेषयति, किन्तु यूनसो भविष्यद्वादिनो लक्ष्म विनान्यत् किमपि लक्ष्म तान् न दर्शयिय्यते। तदानीं स तान् विहाय प्रतस्थे।


तदा सोऽन्तर्दीर्घं निश्वस्याकथयत्, एते विद्यमाननराः कुतश्चिन्हं मृगयन्ते? युष्मानहं यथार्थं ब्रवीमि लोकानेतान् किमपि चिह्नं न दर्शयिष्यते।


एतेषां व्यभिचारिणां पापिनाञ्च लोकानां साक्षाद् यदि कोपि मां मत्कथाञ्च लज्जास्पदं जानाति तर्हि मनुजपुत्रो यदा धर्म्मदूतैः सह पितुः प्रभावेणागमिष्यति तदा सोपि तं लज्जास्पदं ज्ञास्यति।


हे व्यभिचारिणो व्यभिचारिण्यश्च, संसारस्य यत् मैत्र्यं तद् ईश्वरस्य शात्रवमिति यूयं किं न जानीथ? अत एव यः कश्चित् संसारस्य मित्रं भवितुम् अभिलषति स एवेश्वरस्य शत्रु र्भवति।


अस्मान् अनुसरणं कुर्वन्तु : १.

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