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इब्रानियों 9:7 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

7 किन्तु द्वितीयं कोष्ठं प्रतिवर्षम् एककृत्व एकाकिना महायाजकेन प्रविश्यते किन्त्वात्मनिमित्तं लोकानाम् अज्ञानकृतपापानाञ्च निमित्तम् उत्सर्ज्जनीयं रुधिरम् अनादाय तेन न प्रविश्यते।

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि


अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

7 কিন্তু দ্ৱিতীযং কোষ্ঠং প্ৰতিৱৰ্ষম্ এককৃৎৱ একাকিনা মহাযাজকেন প্ৰৱিশ্যতে কিন্ত্ৱাত্মনিমিত্তং লোকানাম্ অজ্ঞানকৃতপাপানাঞ্চ নিমিত্তম্ উৎসৰ্জ্জনীযং ৰুধিৰম্ অনাদায তেন ন প্ৰৱিশ্যতে|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

7 কিন্তু দ্ৱিতীযং কোষ্ঠং প্রতিৱর্ষম্ এককৃৎৱ একাকিনা মহাযাজকেন প্রৱিশ্যতে কিন্ত্ৱাত্মনিমিত্তং লোকানাম্ অজ্ঞানকৃতপাপানাঞ্চ নিমিত্তম্ উৎসর্জ্জনীযং রুধিরম্ অনাদায তেন ন প্রৱিশ্যতে|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

7 ကိန္တု ဒွိတီယံ ကောၐ္ဌံ ပြတိဝရ္ၐမ် ဧကကၖတွ ဧကာကိနာ မဟာယာဇကေန ပြဝိၑျတေ ကိန္တွာတ္မနိမိတ္တံ လောကာနာမ် အဇ္ဉာနကၖတပါပါနာဉ္စ နိမိတ္တမ် ဥတ္သရ္ဇ္ဇနီယံ ရုဓိရမ် အနာဒါယ တေန န ပြဝိၑျတေ၊

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

7 kintu dvitIyaM kOSThaM prativarSam EkakRtva EkAkinA mahAyAjakEna pravizyatE kintvAtmanimittaM lOkAnAm ajnjAnakRtapApAnAnjca nimittam utsarjjanIyaM rudhiram anAdAya tEna na pravizyatE|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

7 કિન્તુ દ્વિતીયં કોષ્ઠં પ્રતિવર્ષમ્ એકકૃત્વ એકાકિના મહાયાજકેન પ્રવિશ્યતે કિન્ત્વાત્મનિમિત્તં લોકાનામ્ અજ્ઞાનકૃતપાપાનાઞ્ચ નિમિત્તમ્ ઉત્સર્જ્જનીયં રુધિરમ્ અનાદાય તેન ન પ્રવિશ્યતે|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि




इब्रानियों 9:7
23 अन्तरसन्दर्भाः  

यतस्ते स्वमनोमायाम् आचरन्त्यान्तरिकाज्ञानात् मानसिककाठिन्याच्च तिमिरावृतबुद्धय ईश्वरीयजीवनस्य बगीर्भूताश्च भवन्ति,


किन्तु तै र्बलिदानैः प्रतिवत्सरं पापानां स्मारणं जायते।


सा प्रत्याशास्माकं मनोनौकाया अचलो लङ्गरो भूत्वा विच्छेदकवस्त्रस्याभ्यन्तरं प्रविष्टा।


अपरं महायाजकानां यथा तथा तस्य प्रतिदिनं प्रथमं स्वपापानां कृते ततः परं लोकानां पापानां कृते बलिदानस्य प्रयोजनं नास्ति यत आत्मबलिदानं कृत्वा तद् एककृत्वस्तेन सम्पादितं।


तत्पश्चाद् द्वितीयायास्तिरष्करिण्या अभ्यन्तरे ऽतिपवित्रस्थानमितिनामकं कोष्ठमासीत्,


अस्मान् अनुसरणं कुर्वन्तु : १.

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