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2 कुरिन्थियों 7:12 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

12 येनापराद्धं तस्य कृते किंवा यस्यापराद्धं तस्य कृते मया पत्रम् अलेखि तन्नहि किन्तु युष्मानध्यस्माकं यत्नो यद् ईश्वरस्य साक्षाद् युष्मत्समीपे प्रकाशेत तदर्थमेव।

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि


अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

12 যেনাপৰাদ্ধং তস্য কৃতে কিংৱা যস্যাপৰাদ্ধং তস্য কৃতে মযা পত্ৰম্ অলেখি তন্নহি কিন্তু যুষ্মানধ্যস্মাকং যত্নো যদ্ ঈশ্ৱৰস্য সাক্ষাদ্ যুষ্মৎসমীপে প্ৰকাশেত তদৰ্থমেৱ|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

12 যেনাপরাদ্ধং তস্য কৃতে কিংৱা যস্যাপরাদ্ধং তস্য কৃতে মযা পত্রম্ অলেখি তন্নহি কিন্তু যুষ্মানধ্যস্মাকং যত্নো যদ্ ঈশ্ৱরস্য সাক্ষাদ্ যুষ্মৎসমীপে প্রকাশেত তদর্থমেৱ|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

12 ယေနာပရာဒ္ဓံ တသျ ကၖတေ ကိံဝါ ယသျာပရာဒ္ဓံ တသျ ကၖတေ မယာ ပတြမ် အလေခိ တန္နဟိ ကိန္တု ယုၐ္မာနဓျသ္မာကံ ယတ္နော ယဒ် ဤၑွရသျ သာက္ၐာဒ် ယုၐ္မတ္သမီပေ ပြကာၑေတ တဒရ္ထမေဝ၊

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

12 yEnAparAddhaM tasya kRtE kiMvA yasyAparAddhaM tasya kRtE mayA patram alEkhi tannahi kintu yuSmAnadhyasmAkaM yatnO yad Izvarasya sAkSAd yuSmatsamIpE prakAzEta tadarthamEva|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

12 યેનાપરાદ્ધં તસ્ય કૃતે કિંવા યસ્યાપરાદ્ધં તસ્ય કૃતે મયા પત્રમ્ અલેખિ તન્નહિ કિન્તુ યુષ્માનધ્યસ્માકં યત્નો યદ્ ઈશ્વરસ્ય સાક્ષાદ્ યુષ્મત્સમીપે પ્રકાશેત તદર્થમેવ|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि




2 कुरिन्थियों 7:12
8 अन्तरसन्दर्भाः  

एतस्य कारणं किं? युष्मासु मम प्रेम नास्त्येतत् किं तत्कारणं? तद् ईश्वरो वेत्ति।


तादृशं नैमित्तिकं दुःखं विनाहं प्रतिदिनम् आकुलो भवामि सर्व्वासां समितीनां चिन्ता च मयि वर्त्तते।


अन्ये बहवो लोका यद्वद् ईश्वरस्य वाक्यं मृषाशिक्षया मिश्रयन्ति वयं तद्वत् तन्न मिश्रयन्तः सरलभावेनेश्वरस्य साक्षाद् ईश्वरस्यादेशात् ख्रीष्टेन कथां भाषामहे।


यूयं सर्व्वकर्म्मणि ममादेशं गृह्लीथ न वेति परीक्षितुम् अहं युष्मान् प्रति लिखितवान्।


अहं पत्रेण युष्मान् शोकयुक्तान् कृतवान् इत्यस्माद् अन्वतप्ये किन्त्वधुना नानुतप्ये। तेन पत्रेण यूयं क्षणमात्रं शोकयुक्तीभूता इति मया दृश्यते।


यत आत्मपरिवारान् शासितुं यो न शक्नोति तेनेश्वरस्य समितेस्तत्त्वावधारणं कथं कारिष्यते?


अस्मान् अनुसरणं कुर्वन्तु : १.

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