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1 कुरिन्थियों 7:36 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

36 कस्यचित् कन्यायां यौवनप्राप्तायां यदि स तस्या अनूढत्वं निन्दनीयं विवाहश्च साधयितव्य इति मन्यते तर्हि यथाभिलाषं करोतु, एतेन किमपि नापरात्स्यति विवाहः क्रियतां।

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि


अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

36 কস্যচিৎ কন্যাযাং যৌৱনপ্ৰাপ্তাযাং যদি স তস্যা অনূঢৎৱং নিন্দনীযং ৱিৱাহশ্চ সাধযিতৱ্য ইতি মন্যতে তৰ্হি যথাভিলাষং কৰোতু, এতেন কিমপি নাপৰাৎস্যতি ৱিৱাহঃ ক্ৰিযতাং|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

36 কস্যচিৎ কন্যাযাং যৌৱনপ্রাপ্তাযাং যদি স তস্যা অনূঢৎৱং নিন্দনীযং ৱিৱাহশ্চ সাধযিতৱ্য ইতি মন্যতে তর্হি যথাভিলাষং করোতু, এতেন কিমপি নাপরাৎস্যতি ৱিৱাহঃ ক্রিযতাং|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

36 ကသျစိတ် ကနျာယာံ ယော်ဝနပြာပ္တာယာံ ယဒိ သ တသျာ အနူဎတွံ နိန္ဒနီယံ ဝိဝါဟၑ္စ သာဓယိတဝျ ဣတိ မနျတေ တရှိ ယထာဘိလာၐံ ကရောတု, ဧတေန ကိမပိ နာပရာတ္သျတိ ဝိဝါဟး ကြိယတာံ၊

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

36 kasyacit kanyAyAM yauvanaprAptAyAM yadi sa tasyA anUPhatvaM nindanIyaM vivAhazca sAdhayitavya iti manyatE tarhi yathAbhilASaM karOtu, EtEna kimapi nAparAtsyati vivAhaH kriyatAM|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

36 કસ્યચિત્ કન્યાયાં યૌવનપ્રાપ્તાયાં યદિ સ તસ્યા અનૂઢત્વં નિન્દનીયં વિવાહશ્ચ સાધયિતવ્ય ઇતિ મન્યતે તર્હિ યથાભિલાષં કરોતુ, એતેન કિમપિ નાપરાત્સ્યતિ વિવાહઃ ક્રિયતાં|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि




1 कुरिन्थियों 7:36
7 अन्तरसन्दर्भाः  

यीशुख्रीष्टस्य जन्म कथ्थते। मरियम् नामिका कन्या यूषफे वाग्दत्तासीत्, तदा तयोः सङ्गमात् प्राक् सा कन्या  पवित्रेणात्मना गर्भवती बभूव।


अपरं केनचित् त्वया सार्ध्दं विवादं कृत्वा तव परिधेयवसने जिघृतिते तस्मायुत्तरीयवसनमपि देहि।


अहं यद् युष्मान् मृगबन्धिन्या परिक्षिपेयं तदर्थं नहि किन्तु यूयं यदनिन्दिता भूत्वा प्रभोः सेवनेऽबाधम् आसक्ता भवेत तदर्थमेतानि सर्व्वाणि युष्माकं हिताय मया कथ्यन्ते।


किन्तु दुःखेनाक्लिष्टः कश्चित् पिता यदि स्थिरमनोगतः स्वमनोऽभिलाषसाधने समर्थश्च स्यात् मम कन्या मया रक्षितव्येति मनसि निश्चिनोति च तर्हि स भद्रं कर्म्म करोति।


किञ्च यदि तैरिन्द्रियाणि नियन्तुं न शक्यन्ते तर्हि विवाहः क्रियतां यतः कामदहनाद् व्यूढत्वं भद्रं।


अस्मान् अनुसरणं कुर्वन्तु : १.

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