ऑनलाइन बाइबिल

विज्ञापनम्


समग्रं बाइबिलम् पुरातननियमः नवीननियमः




मत्ती 5:39 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

किन्त्वहं युष्मान् वदामि यूयं हिंसकं नरं मा व्याघातयत। किन्तु केनचित् तव दक्षिणकपोले चपेटाघाते कृते तं प्रति वामं कपोलञ्च व्याघोटय।

अध्यायं द्रष्टव्यम्

अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

কিন্ত্ৱহং যুষ্মান্ ৱদামি যূযং হিংসকং নৰং মা ৱ্যাঘাতযত| কিন্তু কেনচিৎ তৱ দক্ষিণকপোলে চপেটাঘাতে কৃতে তং প্ৰতি ৱামং কপোলঞ্চ ৱ্যাঘোটয|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

কিন্ত্ৱহং যুষ্মান্ ৱদামি যূযং হিংসকং নরং মা ৱ্যাঘাতযত| কিন্তু কেনচিৎ তৱ দক্ষিণকপোলে চপেটাঘাতে কৃতে তং প্রতি ৱামং কপোলঞ্চ ৱ্যাঘোটয|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

ကိန္တွဟံ ယုၐ္မာန် ဝဒါမိ ယူယံ ဟိံသကံ နရံ မာ ဝျာဃာတယတ၊ ကိန္တု ကေနစိတ် တဝ ဒက္ၐိဏကပေါလေ စပေဋာဃာတေ ကၖတေ တံ ပြတိ ဝါမံ ကပေါလဉ္စ ဝျာဃောဋယ၊

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

kintvahaM yuSmAn vadAmi yUyaM hiMsakaM naraM mA vyAghAtayata| kintu kEnacit tava dakSiNakapOlE capETAghAtE kRtE taM prati vAmaM kapOlanjca vyAghOTaya|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

કિન્ત્વહં યુષ્માન્ વદામિ યૂયં હિંસકં નરં મા વ્યાઘાતયત| કિન્તુ કેનચિત્ તવ દક્ષિણકપોલે ચપેટાઘાતે કૃતે તં પ્રતિ વામં કપોલઞ્ચ વ્યાઘોટય|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

kintvahaM yuSmAn vadAmi yUyaM hiMsakaM naraM mA vyAghAtayata| kintu kenacit tava dakSiNakapole capeTAghAte kRte taM prati vAmaM kapolaJca vyAghoTaya|

अध्यायं द्रष्टव्यम्
अन्ये अनुवादाः



मत्ती 5:39
24 अन्तरसन्दर्भाः  

अपरं केनचित् त्वया सार्ध्दं विवादं कृत्वा तव परिधेयवसने जिघृतिते तस्मायुत्तरीयवसनमपि देहि।


वस्त्रेण तस्य दृशौ बद्ध्वा कपोले चपेटाघातं कृत्वा पप्रच्छुः, कस्ते कपोले चपेटाघातं कृतवान? गणयित्वा तद् वद।


तस्माद् अध्यापकाः फिरूशिनश्च तस्मिन् दोषमारोपयितुं स विश्रामवारे तस्य स्वास्थ्यं करोति नवेति प्रतीक्षितुमारेभिरे।


ततो यीशुः प्रतिगदितवान् यद्ययथार्थम् अचकथं तर्हि तस्यायथार्थस्य प्रमाणं देहि, किन्तु यदि यथार्थं तर्हि कुतो हेतो र्माम् अताडयः?


यूयं कुतोऽन्यायसहनं क्षतिसहनं वा श्रेयो न मन्यध्वे?


अपरं कमपि प्रत्यनिष्टस्य फलम् अनिष्टं केनापि यन्न क्रियेत तदर्थं सावधाना भवत, किन्तु परस्परं सर्व्वान् मानवांश्च प्रति नित्यं हिताचारिणो भवत।


यूयं पापेन सह युध्यन्तोऽद्यापि शोणितव्ययपर्य्यन्तं प्रतिरोधं नाकुरुत।


अपरञ्च युष्माभि र्धार्म्मिकस्य दण्डाज्ञा हत्या चाकारि तथापि स युष्मान् न प्रतिरुद्धवान्।


अनिष्टस्य परिशोधेनानिष्टं निन्दाया वा परिशोधेन निन्दां न कुर्व्वन्त आशिषं दत्त यतो यूयम् आशिरधिकारिणो भवितुमाहूता इति जानीथ।