मत्ती 3:9 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari किन्त्वस्माकं तात इब्राहीम् अस्तीति स्वेषु मनःसु चीन्तयन्तो मा व्याहरत। यतो युष्मान् अहं वदामि, ईश्वर एतेभ्यः पाषाणेभ्य इब्राहीमः सन्तानान् उत्पादयितुं शक्नोति। अधिकानि संस्करणानिসত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script কিন্ত্ৱস্মাকং তাত ইব্ৰাহীম্ অস্তীতি স্ৱেষু মনঃসু চীন্তযন্তো মা ৱ্যাহৰত| যতো যুষ্মান্ অহং ৱদামি, ঈশ্ৱৰ এতেভ্যঃ পাষাণেভ্য ইব্ৰাহীমঃ সন্তানান্ উৎপাদযিতুং শক্নোতি| সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script কিন্ত্ৱস্মাকং তাত ইব্রাহীম্ অস্তীতি স্ৱেষু মনঃসু চীন্তযন্তো মা ৱ্যাহরত| যতো যুষ্মান্ অহং ৱদামি, ঈশ্ৱর এতেভ্যঃ পাষাণেভ্য ইব্রাহীমঃ সন্তানান্ উৎপাদযিতুং শক্নোতি| သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script ကိန္တွသ္မာကံ တာတ ဣဗြာဟီမ် အသ္တီတိ သွေၐု မနးသု စီန္တယန္တော မာ ဝျာဟရတ၊ ယတော ယုၐ္မာန် အဟံ ဝဒါမိ, ဤၑွရ ဧတေဘျး ပါၐာဏေဘျ ဣဗြာဟီမး သန္တာနာန် ဥတ္ပာဒယိတုံ ၑက္နောတိ၊ satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script kintvasmAkaM tAta ibrAhIm astIti svESu manaHsu cIntayantO mA vyAharata| yatO yuSmAn ahaM vadAmi, Izvara EtEbhyaH pASANEbhya ibrAhImaH santAnAn utpAdayituM zaknOti| સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script કિન્ત્વસ્માકં તાત ઇબ્રાહીમ્ અસ્તીતિ સ્વેષુ મનઃસુ ચીન્તયન્તો મા વ્યાહરત| યતો યુષ્માન્ અહં વદામિ, ઈશ્વર એતેભ્યઃ પાષાણેભ્ય ઇબ્રાહીમઃ સન્તાનાન્ ઉત્પાદયિતું શક્નોતિ| satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script kintvasmAkaM tAta ibrAhIm astIti sveSu manaHsu cIntayanto mA vyAharata| yato yuSmAn ahaM vadAmi, Izvara etebhyaH pASANebhya ibrAhImaH santAnAn utpAdayituM zaknoti| |
ततः स मनसा चिन्तयित्वा कथयाम्बभूव ममैतानि समुत्पन्नानि द्रव्याणि स्थापयितुं स्थानं नास्ति किं करिष्यामि?
हे पितर् इब्राहीम् अनुगृह्य अङ्गुल्यग्रभागं जले मज्जयित्वा मम जिह्वां शीतलां कर्त्तुम् इलियासरं प्रेरय, यतो वह्निशिखातोहं व्यथितोस्मि।
स उवाच, युष्मानहं वदामि यद्यमी नीरवास्तिष्ठन्ति तर्हि पाषाणा उचैः कथाः कथयिष्यन्ति।
तस्माद् इब्राहीम् अस्माकं पिता कथामीदृशीं मनोभि र्न कथयित्वा यूयं मनःपरिवर्त्तनयोग्यं फलं फलत; युष्मानहं यथार्थं वदामि पाषाणेभ्य एतेभ्य ईश्वर इब्राहीमः सन्तानोत्पादने समर्थः।
तस्मात् स निमन्त्रयिता फिरूशी मनसा चिन्तयामास, यद्ययं भविष्यद्वादी भवेत् तर्हि एनं स्पृशति या स्त्री सा का कीदृशी चेति ज्ञातुं शक्नुयात् यतः सा दुष्टा।
तदा ते प्रत्यवादिषुः वयम् इब्राहीमो वंशः कदापि कस्यापि दासा न जातास्तर्हि युष्माकं मुक्त्ति र्भविष्यतीति वाक्यं कथं ब्रवीषि?
युयम् इब्राहीमो वंश इत्यहं जानामि किन्तु मम कथा युष्माकम् अन्तःकरणेषु स्थानं न प्राप्नुवन्ति तस्माद्धेतो र्मां हन्तुम् ईहध्वे।
तर्हि त्वं किम् अस्माकं पूर्व्वपुरुषाद् इब्राहीमोपि महान्? यस्मात् सोपि मृतः भविष्यद्वादिनोपि मृताः त्वं स्वं कं पुमांसं मनुषे?
हे इब्राहीमो वंशजाता भ्रातरो हे ईश्वरभीताः सर्व्वलोका युष्मान् प्रति परित्राणस्य कथैषा प्रेरिता।
हे भ्रातरो मम कथायाम् मनो निधत्त। ईश्वरः स्वनामार्थं भिन्नदेशीयलोकानाम् मध्याद् एकं लोकसंघं ग्रहीतुं मतिं कृत्वा येन प्रकारेण प्रथमं तान् प्रति कृपावलेकनं कृतवान् तं शिमोन् वर्णितवान्।