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मत्ती 25:28 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

अतोस्मात् तां पोटलिकाम् आदाय यस्य दश पोटलिकाः सन्ति तस्मिन्नर्पयत।

अध्यायं द्रष्टव्यम्

अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

অতোস্মাৎ তাং পোটলিকাম্ আদায যস্য দশ পোটলিকাঃ সন্তি তস্মিন্নৰ্পযত|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

অতোস্মাৎ তাং পোটলিকাম্ আদায যস্য দশ পোটলিকাঃ সন্তি তস্মিন্নর্পযত|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

အတောသ္မာတ် တာံ ပေါဋလိကာမ် အာဒါယ ယသျ ဒၑ ပေါဋလိကား သန္တိ တသ္မိန္နရ္ပယတ၊

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

atOsmAt tAM pOTalikAm AdAya yasya daza pOTalikAH santi tasminnarpayata|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

અતોસ્માત્ તાં પોટલિકામ્ આદાય યસ્ય દશ પોટલિકાઃ સન્તિ તસ્મિન્નર્પયત|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

atosmAt tAM poTalikAm AdAya yasya daza poTalikAH santi tasminnarpayata|

अध्यायं द्रष्टव्यम्
अन्ये अनुवादाः



मत्ती 25:28
4 अन्तरसन्दर्भाः  

वणिक्षु मम वित्तार्पणं तवोचितमासीत्, येनाहमागत्य वृद्व्या साकं मूलमुद्राः प्राप्स्यम्।


येन वर्द्व्यते तस्मिन्नैवार्पिष्यते, तस्यैव च बाहुल्यं भविष्यति, किन्तु येन न वर्द्व्यते, तस्यान्तिके यत् किञ्चन तिष्ठति, तदपि पुनर्नेष्यते।


किन्तु प्रयोजनीयम् एकमात्रम् आस्ते। अपरञ्च यमुत्तमं भागं कोपि हर्त्तुं न शक्नोति सएव मरियमा वृतः।


पश्चात् स समीपस्थान् जनान् आज्ञापयत् अस्मात् मुद्रा आनीय यस्य दशमुद्राः सन्ति तस्मै दत्त।