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मत्ती 21:24 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

ततो यीशुः प्रत्यवदत्, अहमपि युष्मान् वाचमेकां पृच्छामि, यदि यूयं तदुत्तरं दातुं शक्ष्यथ, तदा केन सामर्थ्येन कर्म्माण्येतानि करोमि, तदहं युष्मान् वक्ष्यामि।

अध्यायं द्रष्टव्यम्

अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

ততো যীশুঃ প্ৰত্যৱদৎ, অহমপি যুষ্মান্ ৱাচমেকাং পৃচ্ছামি, যদি যূযং তদুত্তৰং দাতুং শক্ষ্যথ, তদা কেন সামৰ্থ্যেন কৰ্ম্মাণ্যেতানি কৰোমি, তদহং যুষ্মান্ ৱক্ষ্যামি|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

ততো যীশুঃ প্রত্যৱদৎ, অহমপি যুষ্মান্ ৱাচমেকাং পৃচ্ছামি, যদি যূযং তদুত্তরং দাতুং শক্ষ্যথ, তদা কেন সামর্থ্যেন কর্ম্মাণ্যেতানি করোমি, তদহং যুষ্মান্ ৱক্ষ্যামি|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

တတော ယီၑုး ပြတျဝဒတ်, အဟမပိ ယုၐ္မာန် ဝါစမေကာံ ပၖစ္ဆာမိ, ယဒိ ယူယံ တဒုတ္တရံ ဒါတုံ ၑက္ၐျထ, တဒါ ကေန သာမရ္ထျေန ကရ္မ္မာဏျေတာနိ ကရောမိ, တဒဟံ ယုၐ္မာန် ဝက္ၐျာမိ၊

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

tatO yIzuH pratyavadat, ahamapi yuSmAn vAcamEkAM pRcchAmi, yadi yUyaM taduttaraM dAtuM zakSyatha, tadA kEna sAmarthyEna karmmANyEtAni karOmi, tadahaM yuSmAn vakSyAmi|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

તતો યીશુઃ પ્રત્યવદત્, અહમપિ યુષ્માન્ વાચમેકાં પૃચ્છામિ, યદિ યૂયં તદુત્તરં દાતું શક્ષ્યથ, તદા કેન સામર્થ્યેન કર્મ્માણ્યેતાનિ કરોમિ, તદહં યુષ્માન્ વક્ષ્યામિ|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

tato yIzuH pratyavadat, ahamapi yuSmAn vAcamekAM pRcchAmi, yadi yUyaM taduttaraM dAtuM zakSyatha, tadA kena sAmarthyena karmmANyetAni karomi, tadahaM yuSmAn vakSyAmi|

अध्यायं द्रष्टव्यम्
अन्ये अनुवादाः



मत्ती 21:24
6 अन्तरसन्दर्भाः  

पश्यत, वृकयूथमध्ये मेषः यथाविस्तथा युष्मान प्रहिणोमि, तस्माद् यूयम् अहिरिव सतर्काः कपोताइवाहिंसका भवत।


अनन्तरं मन्दिरं प्रविश्योपदेशनसमये तत्समीपं प्रधानयाजकाः प्राचीनलोकाश्चागत्य पप्रच्छुः, त्वया केन सामर्थ्यनैतानि कर्म्माणि क्रियन्ते? केन वा तुभ्यमेतानि सामर्थ्यानि दत्तानि?


योहनो मज्जनं कस्याज्ञयाभवत्? किमीश्वरस्य मनुष्यस्य वा? ततस्ते परस्परं विविच्य कथयामासुः, यदीश्वरस्येति वदामस्तर्हि यूयं तं कुतो न प्रत्यैत? वाचमेतां वक्ष्यति।


तस्मात् तस्मिन् उत्थितवति यीशुस्तान् व्याजहार, युष्मान् इमां कथां पृच्छामि, विश्रामवारे हितम् अहितं वा, प्राणरक्षणं प्राणनाशनं वा, एतेषां किं कर्म्मकरणीयम्?


युष्माकम् आलापः सर्व्वदानुग्रहसूचको लवणेन सुस्वादुश्च भवतु यस्मै यदुत्तरं दातव्यं तद् युष्माभिरवगम्यतां।