हे प्रभो, मत्पुत्रं प्रति कृपां विदधातु, सोपस्मारामयेन भृशं व्यथितः सन् पुनः पुन र्वह्नौ मुहु र्जलमध्ये पतति।
मत्ती 17:16 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari तस्माद् भवतः शिष्याणां समीपे तमानयं किन्तु ते तं स्वास्थं कर्त्तुं न शक्ताः। अधिकानि संस्करणानिসত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script তস্মাদ্ ভৱতঃ শিষ্যাণাং সমীপে তমানযং কিন্তু তে তং স্ৱাস্থং কৰ্ত্তুং ন শক্তাঃ| সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script তস্মাদ্ ভৱতঃ শিষ্যাণাং সমীপে তমানযং কিন্তু তে তং স্ৱাস্থং কর্ত্তুং ন শক্তাঃ| သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script တသ္မာဒ် ဘဝတး ၑိၐျာဏာံ သမီပေ တမာနယံ ကိန္တု တေ တံ သွာသ္ထံ ကရ္တ္တုံ န ၑက္တား၊ satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script tasmAd bhavataH ziSyANAM samIpE tamAnayaM kintu tE taM svAsthaM karttuM na zaktAH| સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script તસ્માદ્ ભવતઃ શિષ્યાણાં સમીપે તમાનયં કિન્તુ તે તં સ્વાસ્થં કર્ત્તું ન શક્તાઃ| satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script tasmAd bhavataH ziSyANAM samIpe tamAnayaM kintu te taM svAsthaM karttuM na zaktAH| |
हे प्रभो, मत्पुत्रं प्रति कृपां विदधातु, सोपस्मारामयेन भृशं व्यथितः सन् पुनः पुन र्वह्नौ मुहु र्जलमध्ये पतति।
तदा यीशुः कथितवान् रे अविश्वासिनः, रे विपथगामिनः, पुनः कतिकालान् अहं युष्माकं सन्निधौ स्थास्यामि? कतिकालान् वा युष्मान् सहिष्ये? तमत्र ममान्तिकमानयत।
इमं यं मानुषं यूयं पश्यथ परिचिनुथ च स तस्य नाम्नि विश्वासकरणात् चलनशक्तिं लब्धवान् तस्मिन् तस्य यो विश्वासः स तं युष्माकं सर्व्वेषां साक्षात् सम्पूर्णरूपेण स्वस्थम् अकार्षीत्।