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मत्ती 11:10 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

यतः, पश्य स्वकीयदूतोयं त्वदग्रे प्रेष्यते मया। स गत्वा तव पन्थानं स्मयक् परिष्करिष्यति॥ एतद्वचनं यमधि लिखितमास्ते सोऽयं योहन्।

अध्यायं द्रष्टव्यम्

अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

যতঃ, পশ্য স্ৱকীযদূতোযং ৎৱদগ্ৰে প্ৰেষ্যতে মযা| স গৎৱা তৱ পন্থানং স্মযক্ পৰিষ্কৰিষ্যতি|| এতদ্ৱচনং যমধি লিখিতমাস্তে সোঽযং যোহন্|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

যতঃ, পশ্য স্ৱকীযদূতোযং ৎৱদগ্রে প্রেষ্যতে মযা| স গৎৱা তৱ পন্থানং স্মযক্ পরিষ্করিষ্যতি|| এতদ্ৱচনং যমধি লিখিতমাস্তে সোঽযং যোহন্|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

ယတး, ပၑျ သွကီယဒူတောယံ တွဒဂြေ ပြေၐျတေ မယာ၊ သ ဂတွာ တဝ ပန္ထာနံ သ္မယက် ပရိၐ္ကရိၐျတိ။ ဧတဒွစနံ ယမဓိ လိခိတမာသ္တေ သော'ယံ ယောဟန်၊

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

yataH, pazya svakIyadUtOyaM tvadagrE prESyatE mayA| sa gatvA tava panthAnaM smayak pariSkariSyati|| EtadvacanaM yamadhi likhitamAstE sO'yaM yOhan|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

યતઃ, પશ્ય સ્વકીયદૂતોયં ત્વદગ્રે પ્રેષ્યતે મયા| સ ગત્વા તવ પન્થાનં સ્મયક્ પરિષ્કરિષ્યતિ|| એતદ્વચનં યમધિ લિખિતમાસ્તે સોઽયં યોહન્|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

yataH, pazya svakIyadUtoyaM tvadagre preSyate mayA| sa gatvA tava panthAnaM smayak pariSkariSyati|| etadvacanaM yamadhi likhitamAste so'yaM yohan|

अध्यायं द्रष्टव्यम्
अन्ये अनुवादाः



मत्ती 11:10
10 अन्तरसन्दर्भाः  

अपरं युष्मानहं तथ्यं ब्रवीमि, मज्जयितु र्योहनः श्रेष्ठः कोपि नारीतो नाजायत; तथापि स्वर्गराज्यमध्ये सर्व्वेभ्यो यः क्षुद्रः स योहनः श्रेष्ठः।


एतत् प्रष्टुं निजौ द्वौ शिष्यौ प्राहिणोत्।


परमेशस्य पन्थानं परिष्कुरुत सर्व्वतः। तस्य राजपथांश्चैव समीकुरुत सर्व्वथा। इत्येतत् प्रान्तरे वाक्यं वदतः कस्यचिद् रवः॥


भविष्यद्वादिनां ग्रन्थेषु लिपिरित्थमास्ते, पश्य स्वकीयदूतन्तु तवाग्रे प्रेषयाम्यहम्। गत्वा त्वदीयपन्थानं स हि परिष्करिष्यति।


अतो हे बालक त्वन्तु सर्व्वेभ्यः श्रेष्ठ एव यः। तस्यैव भाविवादीति प्रविख्यातो भविष्यसि। अस्माकं चरणान् क्षेमे मार्गे चालयितुं सदा। एवं ध्वान्तेऽर्थतो मृत्योश्छायायां ये तु मानवाः।


तदा सोवदत्। परमेशस्य पन्थानं परिष्कुरुत सर्व्वतः। इतीदं प्रान्तरे वाक्यं वदतः कस्यचिद्रवः। कथामिमां यस्मिन् यिशयियो भविष्यद्वादी लिखितवान् सोहम्।