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मार्क 6:47 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

ततः सन्ध्यायां सत्यां नौः सिन्धुमध्य उपस्थिता किन्तु स एकाकी स्थले स्थितः।

अध्यायं द्रष्टव्यम्

अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

ততঃ সন্ধ্যাযাং সত্যাং নৌঃ সিন্ধুমধ্য উপস্থিতা কিন্তু স একাকী স্থলে স্থিতঃ|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

ততঃ সন্ধ্যাযাং সত্যাং নৌঃ সিন্ধুমধ্য উপস্থিতা কিন্তু স একাকী স্থলে স্থিতঃ|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

တတး သန္ဓျာယာံ သတျာံ နော်း သိန္ဓုမဓျ ဥပသ္ထိတာ ကိန္တု သ ဧကာကီ သ္ထလေ သ္ထိတး၊

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

tataH sandhyAyAM satyAM nauH sindhumadhya upasthitA kintu sa EkAkI sthalE sthitaH|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

તતઃ સન્ધ્યાયાં સત્યાં નૌઃ સિન્ધુમધ્ય ઉપસ્થિતા કિન્તુ સ એકાકી સ્થલે સ્થિતઃ|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

tataH sandhyAyAM satyAM nauH sindhumadhya upasthitA kintu sa ekAkI sthale sthitaH|

अध्यायं द्रष्टव्यम्
अन्ये अनुवादाः



मार्क 6:47
4 अन्तरसन्दर्भाः  

ततो लोकेषु विसृष्टेषु स विविक्ते प्रार्थयितुं गिरिमेकं गत्वा सन्ध्यां यावत् तत्रैकाकी स्थितवान्।


तदा स सर्व्वान् विसृज्य प्रार्थयितुं पर्व्वतं गतः।


अथ सम्मुखवातवहनात् शिष्या नावं वाहयित्वा परिश्रान्ता इति ज्ञात्वा स निशाचतुर्थयामे सिन्धूपरि पद्भ्यां व्रजन् तेषां समीपमेत्य तेषामग्रे यातुम् उद्यतः।